कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध केवल नारों पर केन्द्रित न रहें : रमन

रायपुर, 08 मार्च। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या और लैंगिक शोषण जैसे जघन्य अपराधों के खिलाफ आवाज केवल नारों पर केन्द्रित न रहे, बल्कि इस प्रकार के अपराधों से समाज को मुक्ति मिलनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने इसके लिए जन-जागरण के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण की भावना को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत पर बल दिया है। उन्होंने कहा है कि कन्या भ्रूण हत्या जैसे घिनौने अपराध के लिए कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए।

डॉ. सिंह आज दोपहर रायपुर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय महिला सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। यह सम्मेलन ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ की थीम पर केन्द्रित रहा। मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा, “यह गौरव की बात है कि छत्तीसगढ़ की चारों दिशाओं में देवियों का निवास है। डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी, दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी, रतनपुर में महामाया और चन्द्रपुर में मां चन्द्रहासिनी विराजमान हैं। इन माताओं के आशीर्वाद के साथ छत्तीसगढ़ चहुमुंखी विकास की ओर अग्रसर है।”

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ भगवान श्री राम की माता मां कौशल्या की जन्म स्थली भी है। सम्मेलन का आयोजन बूढ़ापारा स्थित इंडोर स्टेडियम में किया गया।

उन्होंने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण की दिशा में सराहनीय कार्यों के लिए छह महिला स्वसहायता समूहों सहित कई महिलाओं को सम्मानित किया। उन्होंने कई निःशक्त बालिकाओं, किशोरियों और महिलाओं को भी संगीत, तैराकी, तलवारबाजी आदि के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया।

डॉ. रमन सिंह ने कहा कि पिछले दशक में महिला साक्षरता दर में आठ प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पुरूष साक्षरता में छह प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस प्रकार महिलाओं ने पिछले दशक साक्षरता दर वृद्धि में पुरूषों को पछाड़ दिया है, पर अभी भी वे साक्षरता दर में पुरूषों से पिछड़ी हुई है। महिला साक्षरता को और बढ़ाने की दिशा में जागरूक होकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि केरल के बाद छत्तीसगढ़ में स्त्री-पुरूष लिंग अनुपात सबसे बेहतर है। यहां एक हजार पुरूष पर 991 महिलाएं हैं, जो बड़ी उपलब्धि है।

डॉ. सिंह ने कहा बच्चों और महिलाओं के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों का ही यह परिणाम है कि आज प्रदेश में कुपोषण दर घटकर 30 प्रतिशत हो गई है, जबकि वर्ष 2003-04 में राज्य में कुपोषण दर 52 प्रतिशत थी। प्रदेश में शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में भी भारी कमी आई है। डॉ. सिंह ने आगामी दो-तीन वर्ष तक छत्तीसगढ़ को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए महिलाओं से संकल्प लेने का आव्हान किया।