कोयला के रिकार्ड उत्पादन का भाजपा का दावा सही

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय प्रवक्ता शाइना एन.सी. ने गत 30 जुलाई को ट्वीट कर कहा था, ‘कोयला की कहानी : दो साल में कमी से आधिक्य तक!’

यद्यपि शाइना ने अपने ट्वीट में सीधे तौर पर कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का जिक्र नहीं किया था, लेकिन उनका इशारा इसी की तरफ था जो देश में 80 प्रतिशत कोयले का उत्पादन करती है।

हमने शाइना के बयान के तथ्यों की जांच की और उनका दावा सही पाया।

कोल इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, विगत दो वर्षो में इसके उत्पादन में 7.4 करोड़ टन की वृद्धि हुई है और साल 2020 तक एक अरब टन कोयले का उत्पादन करना उसका लक्ष्य है।

फोटो: फैशन डिजाइनर और भारतीय जनता पार्टी की नेता शायना एनसी

विगत दो वर्षो में सीआईएल के कोयला उत्पादन में क्रमश: 6.9 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि साल 2014 में जब भाजपा सत्ता में आई उससे पहले तीन वर्षो में क्रमश: एक प्रतिशत, 3.8 प्रतिशत और 2.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष (2016-17) में 59.8 करोड़ टन कोयले के उत्पादन का लक्ष्य रखा है।

कोयले का उत्पादन बढ़ने से इसके आयात में कमी हुई है। साल 2015-16 और 2014-15 में भारत ने क्रमश: 19.99 करोड़ टन और 21.78 करोड़ टन कोयला के आयात किया था।

हालांकि, इससे पूरी तस्वीर स्पष्ट नहीं होती है।

कोयला दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है : थर्मल कोयला, जो उर्जा संयंत्रों के काम में आता है और कोकिंग कोयला जो इस्पात उत्पादन के लिए उपयोग में लाया जाता है।

सापेक्षिक रूप से भारत के पास कोकिंग कोयला के कम भंडार हैं जिसके कारण इसका आयात निरंतर जारी रहेगा। लेकिन, थर्मल कोयले के आयात में कमी हुई है। साल 2014-15 में 16.84 करोड़ टन थर्मल कोयला आयात हुआ था, जबकि 2015-16 के पहले दस महीने में इसका आयात 12.87 करोड़ टन हुआ था।

मानसून के मौजूदा मौसम में कोयले की मांग घट गई है। बड़े पैमाने पर ऊर्जा की खपत वाले कम से कम पांच राज्य कोयला आधारित बिजली की जगह पन बिजली पर आश्रित हो गए हैं।

सीआईएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गत 1 अगस्त को अंग्रेजी दैनिक ‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ से कहा, “पंजाब, हरियाण, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने कोयले की खरीद कम कर दी है। नतीजा है कि कोयले की बिक्री में वृद्धि घट गई है। इस साल जुलाई महीने में कोयले की बिक्री की वृद्धि दर 1.3 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल यह दर करीब 9 प्रतिशत थी।”

(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। यहां प्रस्तुत विचार लेखक के अपने हैं)

— देवानिक साहा