वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) : प्रमुख बिन्दु

वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्‍नों के उत्‍तर इस प्रकार हैं-

 प्रश्‍नः 1. जीएसटी क्‍या है और यह किस प्रकार काम करता है?

उत्‍तरः जीएसटी पूरे देश के लिए एक अप्रत्‍यक्ष कर है जो भारत को एकीकृत साझा बाजार बना देगा। जीएसटी विनिर्माता से लेकर उपभोक्‍ता तक वस्‍तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक एकल कर है। प्रत्‍येक चरण पर भुगतान किये गये इनपुट करों का लाभ मूल्‍य संवर्धन के बाद के चरण में उपलब्‍ध होगा जो प्रत्‍येक चरण में मूल्‍य संवर्धन पर जीएसटी को आवश्‍यक रूप से एक कर बना देता है। अंतिम उपभोक्‍ताओं को इस प्रकार आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी ही वहन करना होगा। इससे पिछले चरणों के सभी मुनाफे समाप्‍त हो जायेंगे।

प्रश्‍नः 2.  जीएसटी से क्‍या लाभ हैं?

उत्‍तरः जीएसटी के लाभों को संक्षेप में इस प्रकार बताया जा सकता है:

व्‍यापार और उद्योग के लिए

o   आसान अनुपालन: एक मजबूत और व्‍यापक सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली भारत में जीएसटी व्‍यवस्‍था की नींव होगी इसलिए पंजीकरण, रिटर्न, भुगतान आदि जैसी सभी कर भुगतान सेवाएं करदाताओं को ऑनलाइन उपलब्‍ध होंगी, जिससे इसका अनुपालन बहुत सरल और पारदर्शी हो जायेगा।

o    कर दरों और संरचनाओं की एकरूपता: जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्‍यक्ष कर दरें और ढांचे पूरे देश में एकसमान हैं। इससे निश्चिंतता में तो बढ़ोतरी होगी ही व्‍यापार करना भी आसान हो जाएगा। दूसरे शब्‍दों में जीएसटी देश में व्‍यापार के कामकाज को कर तटस्‍थ बना देगा फिर चाहे व्‍यापार करने की जगह का चुनाव कहीं भी जाये।

o    करों पर कराधान (कैसकेडिंग) की समाप्ति– मूल्‍य श्रृंखला और समस्‍त राज्‍यों की सीमाओं से बाहर टैक्‍स क्रेडिट की सुचारू प्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि करों पर कम से कम कराधान हों। इससे व्‍यापार करने में आने वाली छुपी हुई लागत कम होगी।

o    प्रतिस्‍पर्धा में सुधार – व्‍यापार करने में लेन-देन लागत घटने से व्‍यापार और उद्योग के लिए प्रतिस्‍पर्धा में सुधार को बढ़ावा मिलेगा।

o    विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ – जीएसटी में केन्‍द्र और राज्‍यों के करों के शामिल होने और इनपुट वस्‍तुएं और सेवाएं पूर्ण और व्‍यापक रूप से समाहित होने और केन्‍द्रीय बिक्री कर चरणबद्ध रूप से बाहर हो जाने से स्‍थानीय रूप से निर्मित वस्‍तुओं और सेवाओं की लागत कम हो जाएगी। इससे भारतीय वस्‍तुओं और सेवाओं की अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में होने वाली प्रतिस्‍पर्धा में बढ़ोतरी होगी और भारतीय निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। पूरे देश में कर दरों और प्रक्रियाओं की एकरूपता से अनुपालन लागत घटाने में लंबा रास्‍ता तय करना होगा।

केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों के लिए

o    सरल और आसान प्रशासन –  केन्‍द्र और राज्‍य स्‍तर पर बहुआयामी अप्रत्‍यक्ष करों को जीएसटी लागू करके हटाया जा रहा है। मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली पर आधारित जीएसटी केन्‍द्र और राज्‍यों द्वारा अभी तक लगाए गए सभी अन्‍य प्रत्‍यक्ष करों की तुलना में प्रशासनिक नजरिए से बहुत सरल और आसान होगा।

o    कदाचार पर बेहतर नियंत्रण – मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे के कारण जीएसटी से बेहतर कर अनुपालन परिणाम प्राप्‍त होंगे। मूल्‍य संवर्धन की श्रृंखला में एक चरण से दूसरे चरण में इनपुट कर क्रेडिट कर सुगम हस्‍तांतरण जीएसटी के स्‍वरूप में एक अंत:निर्मित तंत्र है, जिससे व्‍यापारियों को कर अनुपालन में प्रोत्‍साहन दिया जाएगा।

o    अधिक राजस्‍व निपुणता – जीएसटी से सरकार के कर राजस्‍व की वसूली लागत में कमी आने की उम्‍मीद है। इसलिए इससे उच्‍च राजस्‍व निपुणता को बढ़ावा मिलेगा।

उपभोक्‍ताओं के लिए

o    वस्‍तुओं और सेवाओं के मूल्‍य के अनुपा‍ती एकल एवं पारदर्शी कर – केन्‍द्र और राज्‍यों द्वारा लगाए गए बहुल अप्रत्‍यक्ष करों या मूल्‍य संवर्धन के प्रगामी चरणों में उपलब्‍ध गैर-इनपुट कर क्रेडिट के कारण आज देश में अनेक छिपे करों से अधिकांश वस्‍तुओं और सेवाओं की लागत पर प्रभाव पड़ता है। जीएसटी के अधीन विनिर्माता से लेकर उपभोक्‍ताओं तक केवल एक ही कर लगेगा, जिससे अंतिम उपभोक्‍ता पर लगने वाले करों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।

o   समग्र कर भार में राहत – निपुणता बढ़ने और कदाचार पर रोक लगने के कारण अधिकांश उपभोक्‍ता वस्‍तुओं पर समग्र कर भार कम होगा, जिससे उपभोक्‍तओं को लाभ मिलेगा।

प्रश्‍नः 3.  केन्‍द्र और राज्‍य स्‍तर पर कौन से करों को जीएसटी में शामिल किया जा रहा है?

उत्‍तरः

केन्‍द्रीय स्‍तर निम्‍नलिखित करों को शामिल किया जा रहा है –

ए- केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क

बी- अतिरिक्त उत्पाद शुल्क,

सी- सेवा कर,

डी- अतिरिक्त सीमा शुल्क आमतौर पर जिसे काउंटरवेलिंग ड्यूटी के रूप में जाना जाता है, और

ई- सीमा शुल्क का विशेष अतिरिक्त शुल्क।

 

राज्य स्तर पर, निम्न करों को शामिल किया जा रहा है:

ए- राज्य मूल्‍य संवर्धन कर/ बिक्री कर

बी- मनोरंजन कर (स्थानीय निकायों द्वारा लागू करों को छोड़कर), केंद्रीय बिक्री कर (केंद्र द्वारा लागू और राज्‍य द्वारा वसूल किये जाने वाला)

सी- चुंगी और प्रवेश कर,

डी- खरीद कर,

ई- विलासिता कर, और

एफ- लॉटरी, सट्टा और जुआ पर कर।

 

प्रश्‍न: 4. प्रमुख कालक्रम घटनाएं क्‍या हैं, जिनके कारण जीएसटी की शुरूआत को बढ़ावा मिला?

उत्‍तर : देश में जीएसटी को 13 वर्ष लंबी यात्रा के बाद पेश किया जा रहा है, क्‍योंकि अप्रत्‍यक्ष करों पर गठित केलकर कार्यबल की रिपोर्ट में सर्वप्रथम इसके बारे में विचार-विमर्श किया गया था। भारत में जीएसटी की शुरूआत करने के प्रस्‍ताव पर प्रमुख मील के पत्‍थरों को दर्शाने वाला कालक्रम संक्षिप्‍त में इस प्रकार है –

– 2003 में प्रत्‍यक्ष कर पर केलकर कार्यबल ने वैट सिद्धांत पर आधारित एक व्‍यापक वस्‍तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का सुझाव दिया था।

बी– सबसे पहले वित्‍त वर्ष 2006-07 के बजट भाषण में 01 अप्रैल 2010 से राष्‍ट्रीय स्‍तर पर वस्‍तुए एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने का प्रस्‍ताव किया गया था।

सी– क्‍योंकि प्रस्‍ताव में न केवल केन्‍द्र द्वारा लगाए जाने वाले अप्रत्‍यक्ष करों बल्कि राज्‍य द्वारा लगाए जाने वाले करों में भी सुधार और पुनर्गठन करना शामिल है। इसलिए जीएसटी लागू करने का डिजाइन और रोडमैप तैयार करने की जिम्‍मेदारी राज्‍य वित्‍त मंत्रियों की अधिकार प्राप्‍त समिति को सौंपी गई थी।

डी– भारत सरकार और राज्‍यों से प्राप्‍त सुझावों के आधार पर इस अधिकार प्राप्‍त समिति ने नवम्‍बर, 2009 में वस्‍तु एवं सेवा कर पर अपना पहला विचार-विमर्श पत्र (एफडीपी) जारी किया।

– जीएसटी से संबंधित कार्य को आगे बढ़ाने के क्रम में केन्‍द्र के साथ-साथ राज्‍य सरकार के अधिकारियों को शामिल करके एक संयुक्‍त कार्य समूह का सितम्‍बर, 2009 में गठन किया गया था।

एफ – जीएसटी लागू करने में सक्षमता के लिए संविधान संशोधन करने के लिए संविधान (155वां संशोधन) विधेयक मार्च, 2011 में लोकसभा में पेश किया गया। निर्धारित प्रक्रिया के साथ विधेयक को जांच और रिपोर्ट के लिए संसद की स्‍थायी वित्‍त समिति के पास भेजा गया।

जी – इस दौरान केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री और राज्‍य वित्‍त मंत्रियों की अधिकार प्राप्‍त समिति के मध्‍य 08 नवम्‍बर, 2012 को आयोजित बैठक में लिये गये निर्णय के अनुपालन में भारत सरकार, राज्‍य सरकारों के अधिकारियों और अधिकार प्राप्‍त समिति को शामिल करके ‘जीएसटी स्‍वरूप पर समिति’ का गठन किया गया।

एच – इस समिति ने जीएसटी स्‍वरूप और संविधान 115वां संशोधन विधेयक के बारे में विस्‍तृत विचार-विमर्श किया और जनवरी, 2013 में अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत की। इस रिपोर्ट के आधार पर अधिकार प्राप्‍त समिति ने जनवरी, 2013 में भुवनेश्‍वर में आयोजित अपनी बैठक में संविधान संशोधन विधेयक में कुछ परिवर्तनों की सिफारिश की।

आई – अधिकार प्राप्‍त समिति ने अपनी भुवनेश्‍वर में आयोजित बैठक में जीएसटी के विभिन्‍न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने और अपनी रिपोर्ट देने के लिए अधिकारियों की तीन समितियों का निम्‍न प्रकार गठन करने का निर्णय लिया-

 (ए) – आपूर्ति नियमों के स्‍थान और राजस्व तटस्थ दरों पर समिति;

 (बी) दोहरे नियंत्रण, सीमा और छूट पर समिति

 (सी) आयात पर आईजीएसटी और जीएसटी के लिए समिति

(जे) संसदीय स्‍थायी समिति ने अगस्‍त 2013 में अपनी रिपोर्ट लोकसभा में प्रस्‍तुत की। अधिकार प्राप्‍त समिति और संसदीय स्‍थायी समिति द्वारा की गई सिफारिशों की मंत्रालय ने विधायी विभाग के परामर्श में जांच की। अधिकार प्राप्‍त समिति को संसदीय स्‍थायी समिति द्वारा की गई अधिकाशं सिफारिशों को स्‍वीकार कर लिया गया और मसौदा संशोधन विधेयक को उचित रूप से संशोधित किया गया।

और प्रारूप संशोधन विधेयक सही तरीके से संशोधित किया गया।

के. उपरोक्त परिवर्तनों सहित अंतिम प्रारूप संविधान संशोधन विधेयक सितंबर 2013 में अधिकार प्राप्त समिति के पास विचार के लिए भेजा गया।

एल. राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) ने नवंबर 2013 में शिलोंग में अपनी बैठक के बाद विधेयक पर कुछ सिफारिशें की। अधिकार प्राप्त समिति की कुछ सिफारिशें प्रारूप संविधान (115वां संशोधन) विधेयक में शामिल की गई। संशोधित प्रारूप मार्च 2014 में अधिकार प्राप्त समिति के विचार के लिए भेजा गया।

एम. जीएसटी लागू करने के लिए लोकसभा में मार्च 2011 में 115वां संविधान (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। 15वीं लोकसभा भंग होने से यह विधेयक स्वतः समाप्त हो गया।

एन. जून, 2014 में नई सरकार की स्वीकृति के बाद प्रारूप संविधान संशोधन विधेयक अधिकार प्राप्त समिति को भेजा गया।

. विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर उच्च अधिकार प्राप्त समिति के साथ बनी सहमति के आधार पर मंत्रिमंडल ने 17/12/2014 को देश में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए आवश्यक संविधान संशोधन के लिए विधेयक प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। 19/12/2014 को विधेयक लोकसभा में पेश किया गया और सदन ने इसे 06/05/2015 को पारित कर दिया। फिर इसे राज्यसभा की प्रवर समिति को भेजा गया। समिति ने 22/07/2015 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

प्रश्नः 5 . भारत में जीएसटी का प्रशासनिक स्वरूप कैसा होगा?

उत्तरः भारत के संघीय ढांचे को ध्यान में रखते हुए जीएसटी के दो घटक होंगे- केन्द्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और राज्य जीएसटी (एसजीएसटी)। केन्द्र और राज्य दोनों एक साथ मूल्य श्रृंखला पर वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लगाएंगे। समानों की प्रत्येक सप्लाई और सेवाओं पर टैक्स लगाया जाएगा। केन्द्र, अपना केन्द्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी) लगाएंगा और कर संग्रह करेगा और राज्य, अपने राज्य के अंदर सभी कारोबार पर राज्य वस्तु और सेवा कर (एसजीएसटी) लगाएंगे। सीजीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट से हर चरण में आउटपुट पर सीजीएसटी देनदारी चुकाई जाएगी। इसी तरह इनपुट पर अदा किए गए एसजीएसटी से आउटपुट पर एसजीएसटी को अदा किया जा सकेगा। क्रेडिट के आड़े-तिरछे अतिरिक्त उपयोग की अनुमति नहीं दी जाएगी।

प्रशनः 6. वस्तु और सेवाओं से संबंधित एक विशेष कारोबार पर एक साथ जीएसटी (सीजीएसटी) तथा राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) टैक्स कैसे लगाया जाएगा।

उत्तरः केन्द्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी एक साथ प्रत्येक वस्तु और सेवा सप्लाई कारोबार पर लगाया जाएगा, लेकिन उन वस्तुओं और सेवाओं को छोड़कर जो जीएसटी के दायरे से बाहर हैं और वैसे कारोबार को छोड़कर जो न्यूनतम सीमा से कम हो। दोनों टैक्स सामान कीमत या मूल्य पर लगेगा, जबकि राज्य के वैट में वस्तु के मूल्य पर केन्द्रयी उत्पाद शुल्क सहित टैक्स लगाया जाता है।

एक राज्य के अंदर दोहरे जीएसटी मॉडल के कार्य करने के बारे में रेखाचित्र 1 नीचे है।

प्रश्नः 7. क्या जीएसटी व्यवस्था के अंतर्गत वस्तु और सेवाओं के बीच क्रेडिट का आड़े-तिरछे अतिरिक्त उपयोग किया जा सकता है?

उत्तरः वस्तु और सेवाओं के बीच क्रेडिट का आड़े-तिरछे अतिरिक्त उपयोग करने की अनुमति होगी। इसी तरह एसजीएसटी के मामले में क्रेडिट के आड़े-तिरछे अतिरिक्त उपयोग की सुविधा होगी, लेकिन आईजीएसटी मॉडल के अंतर्गत वस्तु और सेवा सप्लाई के अंतर-राज्य मामले को छोड़कर सीजीएसटी और एसजीएसटी के आड़े-तिरछे अतिरिक्त उपयोग की अनुमति नहीं होगी। इस मॉडल को अगले प्रश्न के उत्तर में बताया गया है।

प्रश्नः 8. आईजीएसटी तरीके के संदर्भ में जीएसटी के अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं के अंतर-राज्य कारोबार पर टैक्स कैसे लगाया जाएगा?

उत्तरः केन्द्र अंतर-राज्य कारोबार के मामले में संविधान के अनुच्छेद 269ए (1) के अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं की अंतर-राज्य सभी सप्लाई पर एकीकृत वस्तु और सेवा कर (आईजीएसटी) लगाएगा और उसका संग्रह करेगा। आईजीएसटी लगभग सीजीएसटी प्लस एसजीएसटी के बराबर होगा। आईजीएसटी व्यवस्था इस तरह की गई है कि एक राज्य से दूसरे राज्य को इनपुट टैक्स क्रेडिट का प्रवाह अबाध रूप से हो। अंतर-राज्य विक्रेता अपनी खरीददारी पर आईजीएसटी, सीजीएसटी तथा एसजीएसटी क्रेडिट के समायोजन के बाद अपनी वस्तुओं की बिक्री पर केन्द्र सरकार को आईजीएसटी का भुगतान करेगा। निर्यातक राज्य आईजीएसटी भुगतान में प्रयुक्त एसजीएसटी का क्रेडिट केन्द्र को हस्तांतरित कर देगा। आयातक डीलर अपने राज्य में आउटपुट टैक्स दायित्व (दोनों सीजीएसटी और एसजीएसटी) पूरा करते हुए आईजीएसटी क्रेडिट का दावा करेगा। केन्द्र एसजीएसटी भुगतान में प्रयुक्त आईजीएसटी क्रेडिट आयातक राज्य को हस्तांतरित करेगा। जीएसटी एक गंतव्य आधारित टैक्स है इसलिए अंतिम उत्पाद पर सभी एसजीएसटी साधारतः उपभोक्ता राज्य को प्राप्त होगा।

प्रश्नः 9. जीएसटी लागू करने में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का उपयोग कैसे किया जाएगा।

उत्तरः देश में जीएसटी लागू करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों ने मिलकर वस्तु और सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) बनाया है। यह लाभ रहति गैर-सरकारी कंपनी के रूप में पंजीकृत है ताकि केन्द्र तथा राज्य सरकारों टैक्स देने वाले लोगों और अन्य हितधारकों के लिए साझा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अवसंरचना उपलब्ध कराई जा सके। जीएसटीएन का मुख्य उद्देश्य करदाताओं को मानक और एक समान इंटरफेस प्रदान करना है और केन्द्र तथा राज्य/केन्द्रशासित सरकारों के साथ अवसंरचना और सेवा साझा करना है।

जीएसटीएन साझा जीएसटी पोर्टल सहित व्यापक अत्याधुनिक आईटी अवसंरचना विकास का कार्य कर रही है। इससे पंजीकरण, रिटर्न तथा सभी करदाताओं को भुगतान और वैसे राज्यों के लिए बैंक एन्ड आईटी मॉड्यूल प्रदान करना है। इसमें रिटर्न प्रोसेसिंग, पंजीकरण, ऑडिट, एसेसमेंट, अपील शामिल हैं। जीएसटी के सफल प्रशासन के लिए सभी राज्य, लेखा-प्राधिकार, भारतीय रिजर्व बैंक तथा बैंक आईटी अवसंरचना तैयार कर रहे हैं।

कागज रूप में रिटर्न नहीं भरे जा सकेंगे। सभी टैक्स भुगतान ऑनलाइन होंगे। एक-दूसरे से नहीं मिलने वाले रिटर्न ऑटो-जेनरेट होंगे और मानवीय हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं होगी। अधिकतर रिटर्न सेल्फ एसेस होंगे।

प्रशनः 10. जीएसटी के अंतर्गत आयात पर टैक्स किस तरह लगेगा।

उत्तरः आयात पर अभी लगने वाला अतिरिक्त उत्पाद शुल्क या सीवीडी और विशेष अतिरिक्त शुल्क या एसएडी जीएसटी में समाहित हो जाएंगे। संविधान के अनुच्छेद 269ए (1) की व्याख्या के अनुसार भारत के भू-भाग में सभी प्रकार के आयात पर आईजीएसटी लगेगा। वर्तमान व्यवस्था से विभिन्न आयातित वस्तु का उपभोग करने वाले राज्य आयातित वस्तुओं पर आईजीएसटी भुगतान में से अधिक हिस्सा प्राप्त करेंगे।

प्रश्नः 11. संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 की प्रमुख विशेषताएं क्या है।

उत्तरः विधेयक की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं-

जी. वस्तु और सेवा कर विषय पर कानून बनाने के लिए संसद और राज्य विधायिकाओं को एक साथ शक्ति दी गई।

एच. केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क जिसे सामान्य रूप से काउंटर वेलिंग ड्यूटी कहा जाता है तथा विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क जैसे विभिन्न केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर इसमें समाहित हो जाएगें।

आई.  राज्य वैल्यू ऐडेट टैक्स/सैल्स टैक्स, मनोरंजन कर (स्थानीय निकायों द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स से अलग), केन्द्रीय बिक्री कर (टैक्स केन्द्र लगाता है और संग्रह राज्य करते है), ऑक्टराय, इंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लग्जरी टैक्स तथा लॉटरी, सट्टे और जुए पर टैक्स।

जे. संविधान के विशेष महत्व की घोषित वस्तुओं की अवधारणा समाप्त।

के. वस्तुओं और सेवाओं के अंतर-राज्य कारोबार पर एकीकृत वस्तु और सेवा कर लगाने का प्रावधान।

एल. मानवीय खपत के लिए नशीली शराब को छोड़कर सभी वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी लगाया जाएगा। पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पादों पर बाद की तिथि से जीएसटी लगाया जाएगा। यह तिथि वस्तु और सेवा कर परिषद की सिफारिश पर अधिसूचित की जाएगी।

एम.  पांच वर्षों तक राज्यों को वस्तु और सेवा कर लागू करने में हुए राजस्व नुकसान के लिए मुआवजा।

एन. वस्तु और सेवा कर से संबंधित विषयों की जांच के लिए वस्तु और सेवा कर परिषद का गठन तथा टैक्स दरें, टैक्स, सेस तथा सम्मिलित अधिभार छूट सूची तथा न्यूनतम सीमा, मॉडल जीएसटी कानून आदि पर केन्द्र और राज्यों को सिफारिश। यह परिषद केन्द्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करेगी और सभी राज्य सरकारें इसकी सदस्य होंगी।

प्रश्नः 12. जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित पंजीकरण प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताएं क्या है।

उत्तरः जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित पंजीकरण प्रक्रियाओं की महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार हैः

  1. वर्तमान डीलर- वर्तमान वैट/केन्द्रीय उत्पाद तथा सेवा कर देने वालों को जीएसटी के अंतर्गत पंजीकरण के लिए नया आवेदन नहीं कर पड़ेगा।
  2. नए डीलर- जीएसटी के अंतर्गत पंजीकरण के लिए केवल एक आवेदन ऑनलाइन भरा जाएगा।

                iii.     पंजीकरण संख्या पीएएन (पैन) आधारित होगी और केन्द्र और राज्य दोनों के काम आएगी।

  1. दोनों टैक्स अधिकारियों को एकीकृत आवेदन।.
  2. प्रत्येक डीलर को यूनिक आईडी जीएसटीआईएन दिया जाएगा।
  3. तीन दिनों के अंदर मानित स्वीकृति।

              vii.            केवल जोखिम वाले मामलों में पंजीकरण के बाद जांच।

प्रश्नः 13. जीएसटी के अंतर्गत रिटर्न फाइल करने की प्रस्तावित प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताएं क्या है।

उत्तरः जीएसटी के अंतर्गत रिटर्न फाइल करने की प्रस्तावित प्रक्रियाओं की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैः

ए. केन्द्र और राज्य सरकार दोनों के लिए एक रिटर्न।

बी. रिटर्न दाखिल करने के लिए जीएसटी बिजनेस प्रोसेस में आठ फॉर्म दिए गए हैं। औसत करदाता सामान्यतः रिटर्न दाखिल करने में चार फॉर्म का इस्तेमाल करेंगे। ये हैं सप्लाई, खरीद, मासिक रिटर्न तथा वार्षिक रिटर्न फॉर्म।

सी. कम्पोजिशन योजना विकल्प वाले छोटे करदाताओं को तिमाही आधार पर रिटर्न दाखिल करना होगा।

डी. सभी रिटर्न ऑनलाईन भरे जाएगे और सभी करों का भुगतान ऑनलाईन होगा।

प्रश्नः 14. जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित भुगतान प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताएं क्या है।

उत्तरः जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित भुगतान प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैः

  1. इलेक्ट्रोनिक भुगतान प्रक्रिया- किसी भी चरण में कागजी काम नहीं।
  2. चालान जेनरेशन- जीएसटीएन के लिए एकल इंटर फेस।

                            iii.     भुगतान सहजता- ऑनलाइन बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड, एनईएफटी/आरटीजीएस से भुगतान किया जा सकता है। बैंकों में चेक/नकद भुगतान किया जा सकता है।

  1. ऑटो पोपुलेशन विशेषता के साथ साझा चालान
  2. एकल चालान का उपयोग और एकल भुगतान व्यवस्था।
  3. अधिकृत बैंकों का साझा सेट।

                          vii.       लेखा कार्य के लिए साझा कोड।