कौशल विकास योजना के तहत 10 लाख से ज्यादा युवाओं ने प्रशिक्षण पूरा किया

नई दिल्ली, 10 मार्च (जनसमा)। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 10 लाख से ज्यादा युवाओं ले ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है।

योजना के तहत 18 लाख से ज्यादा युवाओं को पंजीकृत किया गया है। 14 लाख युवाओं को नये सिरे से प्रशिक्षित किया गया और 10 लाख युवाओं को ज्ञानपूर्व मान्यता (आरपीएल) दी गई है। 18 लाख से ज्यादा युवकों को ताजे प्रशिक्षण कार्यक्रम में नामांकित किया गया जिनमें से 10 लाख से ज्यादा ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है।

औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थानों के पर्यावरण केंद्रित तंत्र में जान फूंकी गई। इसके तहत 1141 नये संस्थानों में एक साल के भीतर 1.73 लाख सीटें जोड़ी गई हैं।

केंद्रीय प्रशिक्षण महानिदेशालय के संस्थानों से 15 हजार अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया गया। सुदूर शिक्षा के बुनियादी ढांचे का निर्माण और 18 हजार से ज्यादा प्रशिक्षणार्थी तैयार किए गए। प्रधानाचार्यों को क्षमता विकास प्रशिक्षण से लैस किया गया। सभी सरकारी और निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में सूचना हासिल करने का एक ही केंद्र बनाया गया। इसके लिए पोर्टल शुरू किया गया।

राष्ट्रीय कुशलता विकास निगम के द्वारा निजी कुशलता प्रशिक्षण प्रणाली के तहत 27 लाख 80 हजार लोगों को कुशलता कार्यक्रम से जोड़ा गया और पिछले एक साल के दौरान 12 लाख लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता कार्यक्रम से। अब तक राष्ट्रीय कुशलता विकास निगम के कोष से 65 लाख 46 हजार से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

उद्यमशीलता पहल नई ऊंचाई पर:

राष्ट्रीय उद्यमशीलता और लघु व्यापार विकास संस्थान ने पहले ही 2 लाख 8 हजार 85 युवकों को प्रशिक्षण देकर कुशल बनाया है।

विश्व कुशलता प्रतिस्पर्धा में भागीदारी से बढ़ती कुशलता:

भारत ने अगस्त 2015 में ब्राजील के साउ पॉउलो में हुई विश्व कुशलता प्रति‍योगिता में हिस्सा लिया था। उसने कुशलता के ओलंपिक मुकाबले में कई रंग बिखेरे और सौंदर्य, थेरेपी, वेल्डिंग, ग्राफिक डि‍जाइन, तकनीक, प्रोटोटाइप मॉ‍डलिंग, जूलरी डिजाइन और प्लास्टिक डाइ इंजीनियरिंग क्षेत्र में अपनी कुशलता का प्रदर्शन करते हुए 8 पदक जीते।

दिसंबर 2014 में प्रशिक्षुता अधिनियम के संशोधन के जरिये प्रशिक्षुता प्रशिक्षण को मिली नई ऊंचाई :

1975  में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने शासन के 20 सूत्री कार्यक्रम की जननीति संबंधी प्राथमिकता में प्रशिक्षुता के कानूनी पहलुओं में बदलाव किया था लेकिन 40 साल बाद इस कानून में अब प्रत्येक नियोक्ता को प्रशिक्षु कार्यों के लिए कड़े दंड का प्रावधान है, जिसमें जेल की सजा है।

22 दिसंबर 2014 को इसमें व्यापक संशोधन किए गए और उद्योगों और युवाओं को ज्यादा फायदा पहुंचाया गया। अब एक नियोक्ता प्रशिक्षु के रूप में सिर्फ 10 प्रतिशत कार्यबल रख सकता है। पिछले एक साल के दौरान देश में प्रशिक्षुओं की संख्या 3 लाख 10 हजार हो गई है।

पैमाना और गुणवत्‍ता हासिल करने के लिए कार्यसूची पर अमल :

कई प्रस्तावित पहलों द्वारा सुधार किया गया है जिनमें अगले एक साल में 7 हजार नई कुशलता पहल की जाएगी। हरियाणा और उत्तराखंड में महिलाओं के लिए दो नये प्रशिक्षु प्रशिक्षण संस्थान खुलेंगे। देश भर में सार्वजनिक-निजी भागीदारी में 27 नये उन्नत प्रशिक्षण केंद्र स्थापित होंगे। औद्योगिक और निजी भागीदारी के तहत 1500 कुशल प्रशि‍क्षण संस्थान सामने आएंगे। मॉडल कुशलता केंद्रों को हर जिले में स्थापित किया जाएगा। कुशलता विकास को ऊंचाई पर ले जाने के लिए दो नई परियोजनाएं विश्व बैंक से मंजूर हो चुकी हैं। इनमें से एक औद्योगिक मूल्य उन्नयन कुशलता विकास और दूसरा सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत रोजगार योग्य कुशलता प्रशिक्षण कार्यक्रम है।

गुणों के विकास और समरुपता सुनिश्चित करने पर जोर:

इसके लिए एक राष्ट्रीय बोर्डगठित किया जाएगा, जो कुशलता मूल्यांकन और प्रमाणीकरण पर जोर देगा। इसका काम परीक्षाएं आयोजित करना, मूल्यांकन करना और राष्ट्रीय स्तर के प्रमाण पत्र जारी करना है। इससे कुशलता विकास को नई पहचान मिलेगी।