पुरुषों की मृत्यु का छठा सबसे प्रमुख कारण प्रोस्टेट कैंसर

नई दिल्ली, 14 सितंबर | प्रोस्टेट कैंसर दुनियाभर में पुरुषों की मृत्यु का छठा सबसे प्रमुख कारण है। भारत में इसकी स्थिति काफी चिंताजनक है, इसलिए इस ओर पर्याप्त ध्यान देने की जरूरत है। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सफदरजंग अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ.अनूप कुमार ने कहा, “85 फीसदी कैंसर का इलाज दवाइयों से किया जा सकता है, जबकि 10 से 15 फीसदी का इलाज सर्जरी से हो सकता है। बाइजीन प्रोस्टेटिक इनलारजमेंट सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, जिसमें उम्र के साथ आमतौर पर 40 साल के बाद प्रोस्टेट का आकार बढ़ता है और इससे एलयूटीएस यानि मूत्रयोनि के निचले हिस्से में लक्षण उभरकर आ सकते हैं।”

प्रोस्टेट कैंसर से जुड़े मुद्दों के प्रति जागरूक कराने के लिए हेल्थकेयर हितधारकों ने देशभर में सिंतबर व अक्टूबर का महीना प्रोस्टेट हेल्थ मंथ के रूप में रखा है।

यूरोलॉजी डिपार्टमेंट (एम्स) के प्रमुख प्रो.डॉ.पी.एन. डोगरा ने कहा, “अस्वस्थ जीवनशैली से मोटापा बढ़ता है जो प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना को बढ़ा सकता है। वैसे यह आमतौर पर अनुवांशिक देखा गया है। वर्तमान स्थिति में व्यावहारिक रूप से प्रोस्टेट कैंसर को रोकना मुमकिन नहीं है। हालांकि प्रोस्टेट से जुड़ी सेहत पर नजर रखने से मदद मिल सकती है। अगर इस बीमारी का शुरुआती स्टेज पर ही पता चल जाए, तो इसका निश्चित उपचार करके रोगी को ठीक किया जा सकता है।”

आईसीएमआर व विभिन्न राज्यों की कैंसर रिजिस्ट्री के अनुसार, भारतीय पुरुषों में यह दूसरा सबसे आम कैंसर है। दिल्ली, कोलकता, पुणे, तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में पाया जाने वाला दूसरा मुख्य कैंसर है, तो बेंगलुरू और मुंबई जैसे शहरों में तीसरा प्रमुख कैंसर है। भारत के अन्य पीबीआरसी में ये कैंसर शीर्ष 10 कैंसर की सूची में शुमार है।

आंकड़ों से अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2020 तक प्रोस्टेट कैंसर के मामले दोगुने हो जाएंगे। कैंसर रिजिस्ट्री से पता चलता है कि दिल्ली के पुरुषों में पाए जाने वाले कैंसर में प्रोस्टेट कैंसर दूसरा सबसे आम कैंसर है, जो सभी तरह के कैंसर का लगभग 6.78 फीसदी है।

सरकार ने इस खतरे को भांप लिया है और इसी वजह से केंद्र ने प्रोस्टेट स्पेस्फिक ऐंटीजन (पीएसए) परीक्षण को अनिवार्य कर दिया है, जिससे बीमारी की गंभीरता का पता चलता है। वैसे तो प्रोस्टेट कैंसर का इलाज कराने के लिए धन की जरूरत है, लेकिन इसकी स्क्रीनिंग व इलाज केंद्र सरकार संचालित अस्पतालों जैसे आरएमएल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और सफदरजंग में मुफ्त है।