भारत के ‘प्राकृतिक पर्यटन को विकसित करने की आवश्यकता’

नई दिल्ली, 5 अक्टूबर | वन्यजीव और प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्र से जुड़े अग्रणी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘टीओएफटाइगर्स’ ने प्राकृतिक पर्यटन उद्योग से अपील की है कि वह भारत की प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा की दिशा में कदम उठाने के साथ-साथ वृक्षविहीन हो रहे पहाड़ों और पर्वतों को फिर से हरा-भरा करने की दिशा में अपनी अहम भूमिका निभाए। ‘टीओएफटाइगर्स’ ने यह अपील ऐसे वक्त में की है, जब एक वैश्विक शोध में पता चला है कि सिर्फ बीते 25 साल में इनसानों ने धरती के वन क्षेत्र का 10 फीसदी हिस्सा खत्म कर दिया है।

नई दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायुक्त के निवास पर 23 सितम्बर को आयोजित टीओएफटाइगर्स पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान यह जानकारी दी गई।

‘टीओएफटाइगर्स’ ने टूर आपरेटरों, परिस्थिति विज्ञानशास्त्री, प्रकृतिविदों और वन्यजीव गाइडों सहित बड़ी कम्पनियों, पार्कों और हर व्यक्ति से यह अपील की है। टीओएफटाइगर्स ने कहा है कि प्राकृतिक पर्यटन को वन्यजीव पुर्नस्थापन, शिक्षा और संरक्षण के लिए एक साधन के रूप में उपयोग में लाया जाना चाहिए।

भारत दुनिया के सबसे जैव विविध देशों में से एक है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता से पर्यटन क्षेत्र को भी काफी लाभ मिलता है, जो सरकार के मुख्य विकासशील उद्योगों में से एक है।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से हाल ही में निकले निष्कर्ष से पता चला है कि आज प्राकृतिक संरक्षण में एक रुपया निवेश किया जा रहा है और 67 रुपये आर्थिक रूप से वापस मिल रहे हैं जो कि संरक्षण निवेश पर एक चौंकाने वाली बात है।

‘टीओएफटाइगर्स’ के संस्थापक चेयरमैन जुलियन मैथ्यू ने कहा, “संगठन का दृष्टिकोण प्रकृति संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीण समुदायों के लिए समर्थन के एक नए अभियान को उत्प्रेरित करना है।”

मैथ्यू ने कहा, “सरकार को सोचना चाहिए कि हमारे पास ‘स्मार्ट सिटी’ की तरह ‘स्मार्ट फॉरेस्ट’ भी होने चाहिए, जिसका लक्ष्य वन्य क्षेत्र को बचाने के लिए निवेश को बढ़ावा देना हो। हमें उम्मीद है कि इस पुरस्कार समारोह के आयोजन से देश भर में पर्यटन उद्योग, गैर सरकारी संगठनों और सरकार के बीच सहयोग बढ़ेगा।”         –आईएएनएस