बंजर भूमि

बंजर भूमि में लगाये फलदार पौधे, तीन साल में आमदनी हुई 5 लाख रु.

जशपुरनगर (छत्तीसगढ़) । बंजर भूमि में फलदार पौधे लगाकर गाँव के छोटी जोत के किसानों ने तीन साल में 5 लाख रु. की आमदनी है। इन किसानों के बारे में आईये जानतें हैं कि उन्होंने यह सब कैसे किया।

जिला मुख्यालय से 96 किलोमीटर दूर पत्थलगाँव विकासखण्ड में सुरेशपुर एक आदिवासी बहुल्य गाँव है।

इस गाँव के निवासी 45 वर्षीय मदनलाल किसान हैं। खेती करके अपने परिवार का जीवन यापन करते हैे, उनकी अपनी लगभग ढाई हेक्टेयर की पड़ती(बंजर) कृषि भूमि पर कुछ भी उगा नहीं पा रहे थे।

एक दिन उन्होंने पंचायत कार्यालय में  गाँव के ग्राम रोजगार सहायक ज्ञानेश कुमार डनसेना से इस संबंध में बातचीत की थी, उन्हें क्या पता था कि उनकी यह बातचीत उनके पड़ती जमीन के दिन बदल देगी।

ज्ञानेश ने उन्हें उद्यानिकी विभाग के माध्यम से सामुदायिक फलोद्यान लगाने और उनके बीच अंतरवर्ती खेती के रुप में सब्जियों के उत्पादन का उपाय बताया।

प्रतीकात्मक फोटो

बस फिर क्या था,  मदनलाल ने पंचायत की सलाह पर तुरंत अपनी बंजर भूमि से लगते अन्य कृषकों  बुधकुंवर,  मोहन, मनबहाल और श्रीमती हेमलता से संपर्क किया एवं उन्हें मिलकर सामुदायिक फलोद्यान से होने वाले फायदे के बारे में बताया।

इन चारों किसानों की आधे से लेकर एक हेक्टेयर तक की बंजर कृषि भूमि  मदनलाल की कृषि भूमि से लगती थी और लगभग सभी की यह भूमि पड़ती होने के कारण अनुपयोगी थी। इसलिए सभी ने इसके लिए अपनी सहमति दे दी।

आखिरकार मदनलाल की मेहनत रंग लाई और ग्राम सभा के प्रस्ताव के आधार पर 9.48 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति के साथ सामुदायिक फलोद्यान रोपण का मार्ग प्रशस्त हो गया।

उद्यानिकी विभाग ने की योजना का लाभ लेकर  मदनलाल सहित पाँचों किसानों की कृषि भूमि को मिलाकर 4.600 हेक्टेयर भूमि के एक चक पर आम का सामुदायिक फलोद्यान रोपण का कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) से कराया गया। उस समय 7 लाख 97 हजार रुपयों की लागत से आम की दशहरी प्रजाति के एक हजार 300 पौधे रोपे गए थे।

यह कार्य इन पाँचों हितग्राहियों के परिवार के सदस्यों सहित कुल 67 जॉबकार्डधारी श्रमिकों ने मिलकर पूरा किया। योजना से इन्हें 3 हजार 617 मानव दिवस रोजगार के लिए 5 लाख 75 हजार 863 रुपए का मजदूरी भुगतान किया गया।

जिले के उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक  राम अवध सिंह भदौरिया बताते हैं कि इस आम्र फलोद्यान से इन्हें पिछले 3 सालों में आमों की बिक्री से लगभग 5 लाख 70 हजार रुपये से अधिक की आमदनी हुई है।

वहीं दूसरी ओर अंतरवर्ती फसल के रुप में इन्होंने बरबट्टी, भिण्डी, करेला, मिर्च, टमाटर, प्याज और आलू की सब्जियों का उत्पादन लिया है। इन सब्जियों को स्थानीय और पत्थलगाँव के बाजारों में बेचकर इन्होंने लगभग साढ़े 3 लाख रुपए की अतिरिक्त कमाई भी की है।

पाँचों किसानों में  मदनलाल काफी सक्रिय हैं। वे फलोद्यान में अपने हिस्से की भूमि के साथ-साथ बाकी चारों किसानों की भूमि पर रोपे गए पेड़ों की शुरु से देखभाल करते आए हैं।

बंजर भूमि पर लगाये फलोद्यान से प्राप्त हुए फायदों के बारे में लाभार्थी मदनलाल कहते हैं कि “इस आम के बगीचे में उद्यानिकी विभाग ने हमारी बहुत मदद की है।

विभाग ने यहाँ राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना से ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, सब्जी क्षेत्र विस्तार (प्याज), पैक हाउस, मल्चिंग शीट और वर्मी कम्पोस्ट यूनिट के रुप में विभागीय अनुदान सहायता उपलब्ध कराई हैं। हमारी परस्पर एकजुटता और योजनाओं के तालमेल से विकसित हुए इस फलोद्यान से तीन ही सालों में ही हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी हुई है।

आमों की अच्छी क्वालिटी होने से पत्थलगाँव विकासखण्ड के फल व्यापारी सीधे खेत पर पहुँचकर हमसे इनकी थोक में खरीदी कर रहे हैं।”

आम के उत्पादन से अब तक 5 लाख रुपए से अधिक की आमदनी इन्हें हो चुकी है। वहीं सब्जियों की अंतरवर्ती खेती करते हुए वे अतिरिक्त लाभ भी अर्जित कर रहे हैं। अब वे अपने गाँव में फल उत्पादक के रुप में भी पहचाने जाने लगे हैं।