Urjit Patel, the newly appointed Governor of Reserve Bank of India. Patel will replace Raghuram Rajan. (File Photo: IANS)

मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं

मुंबई, 2 अक्टूबर | विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में  ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है, क्योंकि समिति को मुद्रास्फीति पर अधिक आंकड़े मिलने का इंतजार है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक सोमवार और मंगलवार को होनी है। यह नवगठित मौद्रिक नीति समिति के साथ-साथ नए गवर्नर उर्जित पटेल की पहली बैठक होगी।

 भारतीय रेटिंग एजेंसी, क्रिसिल ने हाल के एक शोध पत्र में कहा है, “हो सकता है कि चाकू चलाने से पहले भारतीय रिजर्व बैंक कुछ और समय इंतजार करे, क्योंकि महंगाई के जो रुझान हैं, वे तेज हो सकते हैं।”

उसने कहा है कि महंगाई बढ़ने का खतरा मुद्रास्फीति की अधिक दर की वजह से है, जिसमें लगातार 14 माह के दौरान दोहरे अंकों में वृद्धि देखी गई है। सेवाएं महंगी हुई हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में, जिसकी वजह से मूलभूत महंगाई अधिक है और तेल के मूल्य में भी आश्चर्यजनक ढंग से वृद्धि हुई है।

अमेरिकी एजेंसी फिच ग्रुप की कंपनी, इंडिया रेटिंग ने कहा है कि अगस्त में खुदरा महंगाई में तेजी से कमी आई है, जिसके कारण अगली तिमाही में खुद दर कटौती की स्थिति बनी है। इसके साथ ही अगले वर्ष मार्च तक खुदरा महंगाई दर को घटाकर पांच प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य को हालिस करने लायक बना दिया है।

इंडिया रेटिंग ने कहा है कि थोक खाद्यान्न की महंगाई दर वर्ष 1996 से 2005 तक 5.3 प्रतिशत रही, लेकिन वर्ष 2006 से 2016 के बीच बढ़कर यह 9.2 प्रतिशत हो गई।

एजेंसी ने कहा है कि स्पष्ट तौर पर महंगाई के मोर्चे पर खासकर खाद्य पदार्थो की महंगाई को लेकर संघर्ष की स्थिति है।

सितंबर के सरकारी आंकड़े से पता चलता है कि भारत का थोक मूल्य आधारिक वार्षिक महंगाई दर दो वर्षो में सर्वाधिक अगस्त में रही, जो उसके पिछले माह 3.55 प्रतिशत से बढ़कर 3.74 प्रतिशत पर पहुंच गई।

लगातार 17 माह तक कम रहने के बाद पहली बार अप्रैल में थोक मूल्यों में चालू वित्त वर्ष में अगस्त तक 4.45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो इसी अवधि में वर्ष 2015 में 0.23 प्रतिशत थी।

जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमूरा ने दिसंबर में रेपो रेट या आरबीआई के अल्पकालिक ऋण में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद जताई है।

छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के तीन सदस्यों को सरकार ने मनोनीत किया है। यदि उनका फैसला विभाजित होता है तो गवर्नर अपने वीटो का इस्तेमाल कर सकते हैं।

एमपीसी की सोमवार और मंगलवार को समीक्षा बैठक होनी है।