यूरेनियम आपूर्ति पर चर्चा करेंगे भारत, नामीबिया : मुखर्जी

नई दिल्ली, 18 जून| भारत ने नामीबिया से 2009 में हुए समझौते को पूरा करने का आग्रह किया है। समझौते के तहत नामीबिया भारतीय परमाणु रिएक्टरों को यूरेनियम की आपूर्ति करने पर राजी हुआ था।

अभी-अभी संपन्न हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नामीबिया दौरे के दौरान यह मुद्दा उठाया गया। नामीबिया के राष्ट्रपति हेगे गेंगॉब ने आश्वासन दिया कि वह यूरेनियम की आपूर्ति के लिए तरीके ढूढ़ेंगे।

स्वदेश लौटते समय मुखर्जी ने विशेष विमान में संवाददाताओं से कहा कि इस दिशा में आगे कदम उठाने हेतु चर्चा के लिए दोनों देशों के तकनीकी दल शीघ्र बैठक करेंगे।

मुखर्जी ने सवालों का जवाब देते हुए कहा, “यूरेनियम की आपूर्ति अभी तक शुरू नहीं हुई है।”

उन्होंेने कहा कि यह सच नहीं है कि नामीबियाई यूरेनियम पाने के लिए भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य होना जरूरी है।

सियोल में अगले सप्ताह होने वाली एनएसजी सदस्यों की बैठक से पहले एनएसजी की सदस्यता एक उच्च स्तरीय पेंचीदा मुद्दा बन गया है।

अधिकांश देश भारत का समर्थन कर रहे हैं, जबकि पाकिस्तान के समर्थन में चीन एनएसजी में भारत के प्रवेश पर अड़ंगा लगा रहा है।

हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि एनएसजी हाल की एक बड़ी बाधा है। नामीबिया और अफ्रीकी संघ के अधिकांश सदस्यों में एक समझ बन चुकी है कि वे परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों के साथ सौदा नहीं करेंगे। एनपीटी पर दस्तखत नहीं करने वालों में भारत भी एक है।

पाकिस्तान ने भी एनपीटी पर दस्तखत नहीं किया है और उसकी वकालत चीन कर रहा है।

एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि अफ्रीकियों में एक प्रकार से भ्रम की स्थिति है। हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया।

राजनयिक सूत्रों को इस बात की आशंका है कि चीन ने अफ्रीकियों को प्रभावित किया, जिससे एनएसजी, एनपीटी और अन्य मुद्दे मिश्रित हो गए हैं।

फिलहाल इसका कोई उपाय नहीं दिख रहा है। एनएसजी की सियोल बैठक में जो फैसले होंगे, उस पर सब कुछ निर्भर होगा।

राष्ट्रपति के तीन देशों -घाना, आइवरी कोस्ट और नामीबिया- के दौरे के दौरान उठाए गए मुद्दों में एक 2009 का समझौता था। भारत ने इन तीन अफ्रीकी देशों के त्वरित विकास में मदद के लिए कई प्रतिबद्धताएं भी जताईं।

अफ्रीकी देशों के साथ भारत के पुराने संबंधों और समान औपनिवेशिक अनुभवों का बखान करते हुए मुखर्जी भावुक भी हुए। उन्होंने वित्तीय मदद के वादे के साथ परियोजना के लिए भी प्रतिबद्धता जताई।

–आईएएनएस