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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अब डीजल टैक्सियों का नया पंजीकरण नहीं

नई दिल्ली, 10 मई | सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) में अब डीजल टैक्सियों का नया पंजीकरण नहीं होगा और केवल पेट्रोल तथा सीएनजी पर चलने वाली टैक्सियों का ही पंजीकरण होगा। न्यायालय ने कहा कि 2,000 सीसी तथा इससे अधिक ताकत वाले इंजन के डीजल वाहनों के पंजीकरण पर प्रतिबंध अगले आदेश तक जारी रहेगा।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर के नेतृत्व वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि दिल्ली (एनसीटी) में चलने वाली सभी टैक्सियों को अब एनसीआर में चलने की मंजूरी दी जाएगी।

न्यायालय ने अपने पिछले आदेश को संशोधित करते हुए ये बातें कही। इससे पहले न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी तथा एनसीआर में डीजल टैक्सियों के परिचालन पर प्रतिबंध लगा दिया था।

डीजल कैब के परिचालन पर रोक लगाने पर लोगों को हो रही परेशानियों पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि वैसे कैब जिनके पास ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट है, उन्हें उनके परमिट के समाप्त होने तक पूरे एनसीआर में परिचालन की मंजूरी दी जाएगी।

न्यायालय ने कहा कि परमिट समाप्त हो जाने पर इसका नवीनीकरण तभी किया जाएगा, जब वे इस बात का हलफनामा देंगे कि अब वे एनसीआर में टैक्सी का परिचालन नहीं करेंगे।

पीठ ने कहा कि इन वाहनों के संचालकों को सक्षम प्राधिकार के नियमों व कानूनों का विश्वासपूर्वक पालन करना चाहिए, क्योंकि न्यायालय 30 अप्रैल के अपने उस आदेश में संशोधन कर रहा है, जिसके मुताबिक उसने टैक्सी मालिकों द्वारा अपने डीजल वाहनों को सीएनजी में परिवर्तित करने की कोई समय सीमा नहीं देने के कारण एनसीआर में डीजल टैक्सियों के परिचालन पर रोक लगाने का आदेश दिया गया।

इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि उसके आदेश का पालन करने तथा डीजल टैक्सियों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए सरकार जरूरी कानून बनाएगी।

सर्वोच्च न्यायालय ने 16 दिसंबर, 2015 को अपने आदेश में डीजल टैक्सी संचालकों से कहा था कि वे एक मार्च तक अपने वाहन को सीएनजी में परिवर्तित करा लें, जबकि पांच जनवरी को जारी अपने आदेश में उसने समय सीमा को 31 मार्च तक के लिए बढ़ा दी थी।

डीजल टैक्सी संचालकों के अनुरोध पर समय सीमा 31 मार्च से बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दी गई और न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह डीजल वाहनों को सीएनजी में परिवर्तित करने के लिए अब और समय नहीं देने जा रहा।

सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र के सर्वोच्च निकाय नास्कॉम की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायालय से कहा कि डीजल टैक्सियों पर रोक से बीपीओ कंपनियों को देश से बाहर जाने को मजबूर होना पड़ेगा, जिससे उनके साथ काम कर रहे 2.5 लाख कर्मचारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने न्यायालय से कहा कि बीपीओ के कर्मचारियों को लाने ले जाने वाली 14 हजार डीजल टैक्सियों को चरणबद्ध तरीके से हटाने में वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि एक बार जब बीपीओ कंपनियों का कैब कंपनियों के साथ हुआ करार खत्म होने के कगार पर आ जाएगा, वे सीएनजी टैक्सी वाली कंपनियों के साथ करार कर लेंगे।