श्मशानों में

श्मशानों में लाशों के अंबार…एक ऐसा भयानक मंजर है कि रूह काँप जाती है…..

देश के श्मशानों में लाशों के अंबार लगे हैं। एक ऐसा भयानक मंजर है कि रूह काँप जाती है। अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं हैं। कई जगह सड़कों पर लाशों के जलाने के वीडियो सोशल मीडिया पर दिख रहे हैं।

अस्पतालों के बाहर जिंदा लाशें दो सांसों के लिए टकटकी बांधे स्वास्थ्यकर्मियों और डाक्टरों की ओर देख रही हैं और कुछ मिनटों के बाद दम तोड़ रही हैं। कुव्यवस्था की शिकार निगाहें प्रशासन से पूछ रही हैं इसकी जिम्मेदारी किसकी है? जवाब मद्रास हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में दिया और कहा कि चुनाव आयोग के लोगों पर हत्या का मुकदमा चलाया जा सकता है।

इससे बड़ी अपराधिक लापरवाही क्या होगी कि भारत की संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में निहित स्वार्थों का हस्तक्षेप इतना बढ़ जाए कि प्रशासन पंगु हो जाए और  दायित्वों भूल मदमस्त होकर झूमता रहे।

जब संघीय संस्थाओं के अधिकारी,  संविधान की शपथ लेकर उसके ही चिथड़े उधेड़ने लगे तो लोकतंत्र नाम की चिड़िया अधिकारों और व्यवस्था के आकाश में कहां जगह ढूंढेंगी?

मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी पर वर्तमान राजनेताओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए।

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने 28 सितंबर, 2001 को प्रधानमंत्री के रूप में विचार व्यक्त करते हुए कहा था  ‘‘जो सरकार ठीक काम नहीं करेगी और लोगों को परेशान करेगी, लोगों के साथ ज्यादती करेगी, लोगों के साथ भेदभाव करेगी, चुनाव आएगा, वोट डाले जाएंगे और उस सरकार का बिस्तर गोल कर दिया जाएगा।”  सभी  सत्ताधीशों को यह बात गांठ बांधकर याद रखनी चाहिए।

अब बात करते हैं जनता की। नागरिक अधिकारों के प्रति लापरवाह जनता कभी अपने अधिकारों और दायित्वों की रक्षा नहीं कर सकती। यह इन दिनों साफ-साफ दिख रहा है।  एक ओर जहां सरकार के कारिंदे गैरजिम्मेदारी का परिचय दे रहे हैं वही नागरिक भी कम जिम्मेदार नहीं है। लोकतंत्र में नागरिकों की लापरवाही और  जिम्मेदारियों के प्रति उपेक्षा का दुष्परिणाम है कि कोरोना महामारी अपने विकराल रूप के साथ कहर बरपा कर रही है ।

अस्पतालों में बेहतर स्थिति नहीं है। डाक्टर और स्वास्थ्सकर्मी अपनी जान पर खेल कर लोगों को बचानेे में लगे हैं। सफाईकर्मियों से लेकर सुरक्षा में लगे लोग दिन रात एक करके लोगों की सेवा कर रहे हैं। ऐसे समय में हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी का परिचय देना चाहिए,  तभी हम इस महाकारी की अंधेरी सुरंग से बाहर निकल सकेंगे।

इस समय हालात इतने बदतर है कि बीते 24 घंटे में तीन लाख से अधिक कोरोना के नए मामले सामने आए हैं और एक करोड़ 76 लाख से अधिक लोग कोरोना संक्रमण से ग्रसित हो चुके हैं लेकिन संतोष की बात यह है कि इनमें से एक करोड़ पैंतालीस लाख से ज्यादा लोग स्वस्थ हो चुके हैं।

दूसरी ओर बीते 24 घंटे में 26 अप्रैल, 2021 की रात तक 2762 लोग कोरोना से मौत की नींद सो चुके हैं। लोग कोरोना से बचाप के नियमों को मानते हुए मास्क लगाएं, हाथ धोते रहें , दूरी रखें, बिना किसी जरूरत के घर के बाहर ना निकले इसी में हम सब की भलाई है।