UN medical convoy attacked in Gaza

संयुक्त राष्ट्र चिकित्सा क़ाफ़िले पर ग़ाज़ा में हमला

संयुक्त राष्ट्र,8 नवंबर। यूएन एजेंसियों ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र और उसके साझीदार संगठनों द्वारा भेजे गए एक चिकित्सा क़ाफ़िले पर भी ग़ाज़ा सिटी में हमला किया गया है.

ये स्थिति ऐसे समय में उत्पन्न हो रही है जब जी7 देशों के विदेश मंत्रियों ने बुधवार को, आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, सहायता सामग्री पहुँचाने और हमास के पास बन्धक रखे गए 240 से ज़्यादा लोगों को रिहा किए जाने में मदद के लिए, लड़ाई में मानवीय विराम लागू किए जाने की अन्तरराष्ट्रीय पुकारों में अपनी आवाज़ मिलाई है.

ध्यान रहे कि हमास ने, 7 अक्टूबर को इसराइल में किए गए हमले के बाद लगभग 240 लोगों को बन्धक बना लिया था.

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता मामलों की समन्वय एजेंसी – OCHA के अनुसार, ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में, ईंधन, पानी और आटे की कमी के कारण कोई भी बेकरी काम नहीं कर रही हैं और लगभग एक सप्ताह से, कोई भोजन या बोतलबन्द पानी वितरित नहीं किया गया है.

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी – WHO ने कहा है कि ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में, चिकित्सा सामग्री के अभाव में, अस्पतालों में अब, बेहोश करने वाली दवाओं यानि ऐनिस्थीसिया के बिना ही सर्जरी और ऑपरेशन किए जा रहे हैं.

यूएन ओसीएचए ने ख़बर दी है कि इस भयावह स्थिति को, WHO और फ़लस्तीनियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA के पाँच ट्रकों के एक सहायता क़ाफ़िले पर किए गए हमले ने और भी भीषण बना दिया है. अन्तरराष्ट्रीय रैडक्रॉस समिति (ICRC) के दो वाहन, इस क़ाफ़िले के साथ चल रहे थे और ये जीवनरक्षक चिकित्सा सामग्री, मंगलवार को ग़ाज़ा सिटी में शिफ़ा और अल क़ुद्स अस्पतालों को पहुँचाई जा रही थी.

OCHA ने बताया है कि चिकित्सा क़ाफ़िलों पर हुए इन हमलों में, दो ट्रक क्षतिग्रस्त हो गए और एक चालक घायल भी हुआ है, इसके बावजूद, ये क़ाफ़िला अन्ततः शिफ़ा अस्पताल पहुँच गया और चिकित्सा सामग्री वहाँ पहुँचा दी गई.

इस बीच, पूरे ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र पर इसराइली बमबारी जारी है, जबकि फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों ने भी इसराइली की तरफ़ हथियार दागने जारी रखे हैं.

ऐसी ख़बरें हैं कि इसराइली सैनिक, हमास के लड़ाकों की तलाश में, ग़ाज़ा सिटी के भीतर हैं. ध्यान रहे कि हमास के लड़ाकों को, 7 अक्टूबर को इसराइली के दक्षिणी हिस्से में किए गए घातक हमले के लिए ज़िम्मेदार माना गया है.

OCHA का कहना है कि इसराइली सेना ने, ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े के निवासियों को, वहाँ से कहीं और चले जाने के आदेश फिर दोहराए हैं और मंगलवार को, निवासियों को दक्षिणी इलाक़े की तरफ़ चले जाने के लिए, चार घंटे का एक गलियारा मुहैया कराया.

संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि लगभग 15 हज़ार लोगों ने इस मार्ग का इस्तेमाल किया होगा.

OCHA ने ज़ोर देते हुए बताया है कि बच्चों, वृद्धन और विकलांगता वाले व्यक्तियों के साथ, बहुसंख्या में लोग, पैदल चलकर ही पहुँच रहे हैं और उनके पास कोई सामान भी नहीं है.

OCHA ने कहा है कि इसराइली सेना ने, मंगलवार को, ग़ाज़ा सिटी के रनतीसी अस्पताल के लिए भी, निकासी आदेश दोहराए. ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में, केवल यही एक मात्र बाल अस्पताल है. इसराइली सेना ने दावा किया है कि सशस्त्र गुट, इस अस्पताल के परिसर और आसपास की इमारतों का प्रयोग कर रहे हैं.

ग़ाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इस तरह के निकासी आदेश के कारण, बहुत से ऐसे बच्चों का जीवन ख़तरे में पड़ जाएगा, जो या तो जीवनरक्षक चिकित्सा सहायता पर निर्भर हैं या किडनी बीमारी के लिए जिनका इलाज चल रहा है या जो बच्चे कृत्रिम साँस प्रक्रिया पर निर्भर हैं.

युद्धापराध चेतावनी

ऐसी ख़बरें हैं कि ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में, लगभग एक तिहाई इमारतें, या तो क्षतिग्रस्त हो गई हैं या बिल्कुल ध्वस्त हो गई हैं. 

संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, बुधवार को आगाह किया है कि घरों, नागरिक ठिकानों और चीज़ों व बुनियादी ढाँचे को व्यवस्थित और व्यापक रूप में बमबारी का निशाना बनाया जाना, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून, आपराधिक क़ानून और मानवाधिकार क़ानून के तहत सख़्ती से निषिद्ध है.

पर्याप्त आवास के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर बाल कृष्णन राजगोपाल ने कहा है कि “इस जानकारी के साथ युद्धक गतिविधियाँ जारी रखना कि उनसे नागरिकों के घर व बुनियादी ढाँचा, व्यवस्थित रूप से ध्वस्त हो जाएंगे, और जिसके परिणामस्वरूप ग़ाज़ा सिटी की तरह कोई पूरा का पूरा शहर, लोगों के लिए रहने योग्य नहीं रह जाए – ये एक युद्धापराध है.”

संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर, यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. वो संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और ना ही उन्हें उनके कामकाज के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है.(संयुक्त राष्ट्र समाचार)