सेंसर बोर्ड से हमारी लड़ाई काफी पुरानी है : आईएफटीडीए

मुंबई, 8 जून (जनसमा)। सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी द्वारा ‘उड़ता पंजाब’ के सह-निर्माता अनुराग कश्यप पर ‘आप’ से पैसा लेने के आरोप पर भारतीय फिल्म और टेलीविजन निर्देशक एसोसिएशन (आईएफटीडीए) ने मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर निहलानी से माफी मांगने की मांग की है। एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा है कि सेंसर बोर्ड से हमारी लड़ाई काफी पुरानी है।

एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक पंडित जो फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के सदस्य भी हैं, ने कहा, ‘‘निहलानी द्वारा अनुराग पर लगाए गए आरोप पूरी फिल्म इंडस्ट्री पर आरोप है। हम चाहते हैं कि निहलानी माफी मांगें।’’।

संवाददाता सम्मेलन में एसोसिएशन के सदस्यों ने निहलानी द्वारा ‘उड़ता पंजाब’ फिल्म में कांट-छांट किए जाने की बात को खतरे की घंटी बताया और कहा कि यह लड़ाई काफी पुरानी है।

महेश भट्ट ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे बीच का एक आदमी ऐसा कर रहा है।’’

ज़ोया अख्तर ने कहा, अगर ‘उड़ता पंजाब’ एक ‘एडल्ट’ फिल्म है तो इसमें 89 कट्स क्यों हैं?’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो अनुराग के साथ हो रहा है, वह किसी के भी साथ हो सकता है। यह सिर्फ एक फिल्मकार की लड़ाई नहीं है।’’

आनंद राय ने कहा, ‘‘आप विश्वास रखिए, सब जिम्मेदार लोग हैं, सोच समझकर ही फिल्म बनाते हैं।’’

सुधीर मिश्रा ने कहा, ‘‘यह सभी के लिए खतरे की घंटी है। सेंसर बोर्ड एक कड़क प्रिंसिपल की तरह बर्ताव कर रहा है।’’

अशोक चौधरी ने कहा, ‘‘यह लड़ाई आईएफटीडीए के 10 हजार फिल्मकारों की है।’’

‘उड़ता पंजाब’ के निर्देशक अभिषेक चौबे ने कहा, ‘‘अभी माहौल डर का हो गया है। मैं इस फिल्म को कट्स के साथ रिलीज़ करने की सोचने लगा था।

‘उड़ता पंजाब’ फिल्म के लीड रोल निभाने वाले कलाकार शाहिद कपूर ने कहा, ‘‘आज की पीढ़ी को सूचना पाने का अधिकार है। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में सूचना रोक नहीं सकते।’’

अनुराग कश्यप ने कहा, ‘‘ये मेरी लड़ाई है, इसे राजनीतिक रंग न दें। निहलानी पैसे लेने के सबूत दें। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी लड़ाई उससे है जो सेंसर बोर्ड में बैठा है। सेंसर बोर्ड से हमारी लड़ाई काफी पुरानी है। हम उन चीजों पर फिल्म बनाते हैं जो हमें झकझोरती हैं। पिछले 2 सालों में रिकार्ड फिल्में टाइब्युनल में गई हैं। जो लोग आंखें मूंदकर बात नहीं मानते उनको दिक्कत होती है। हम अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। फिल्म को स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार सिर्फ दर्शकों को होना चाहिए। हम सेंसर बोर्ड को अपनी फिल्में सिर्फ प्रमाण-पत्र के लिए देते हैं, सेंसर के लिए नही। निहलानी के बर्ताव से फिल्मकारों की हिम्मत जवाब दे रही है।