Yogi Adityanath

सोनभद्र नरसंहार अनुसूचित जनजाति आयोग की यात्रा स्थगित

सोनभद्र नरसंहार से संबंधित तथ्यों को जानते हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी (Yogi Adityanath ji) की जुबानी, जो उन्होंने विधाननसभा में प्रस्तुत किये।

अनुसूचित जनजाति आयोग ने सोनभद्र नरसंहार (Sonbhadra massacre) से संबंधित उत्तर प्रदेश के उम्भा गांव (Umbha village) की यात्रा फिलहाल टाल दी है।

नई दिल्ली में रविवार 21 जुलाई को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में सोनभद्र (Sonbhadra) जिले के उम्भा गांव की स्थिति को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes (NCST)) के अध्यक्ष डॉ. नंद कुमार सहाय और आयोग के एक दल की 22 जुलाई, 2019 की सोनभद्र नरसंहार (Sonbhadra massacre) स्थल को देखने की प्रस्तावित यात्रा स्थगित कर दी गई है।

यह दल भूमि के एक विवाद को लेकर अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) के 10 व्यक्तियों की हत्या (killing)  के संबंध में इस गांव की यात्रा करने वाला था।

सोनभद्र नरसंहार (Sonbhadra massacre)  के संबंध में मुुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने 19 जुलाई, 2019 , शनिवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में जो वक्तव्य दिया था उसके कुछ प्रमुख बिन्दु इस प्रकार हैं :

  • दिनांक 17 जुलाई, 2019 को जनपद सोनभद्र (Sonbhadra)  की तहसील व थाना घोरावल स्थित ग्राम उम्भा में जमीनी विवाद को लेकर एक दुःखद घटना घटी, जिसमें 10 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई तथा कुल 28 व्यक्ति घायल हुए। इस घटना के पीड़ितों के प्रति मेरी व राज्य सरकार की गहरी संवेदनाएं हैं।
  • घटना की जानकारी प्राप्त होते ही मैंने पुलिस महानिदेशक को इस प्रकरण का व्यक्तिगत रूप से अनुश्रवण करने तथा दोषियों को गिरफ्तार करने के लिए प्रभावी कार्रवाई हेतु निर्देश दिए।
  • इसी के साथ सोनभद्र (Sonbhadra)  के जिलाधिकारी को घायलों का समुचित उपचार सुनिश्चित कराने के लिए भी निर्देशित किया गया।
  • प्रदेश सरकार द्वारा  मृतकों के आश्रितों को 5-5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
  • राज्य सरकार ने  घायलों को 50-50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने का भी निर्णय लिया है।
  • इसके अलावा, आयुक्त विन्ध्याचल मण्डल, मीरजापुर तथा अपर पुलिस महानिदेशक वाराणसी जोन को संयुक्त रूप से घटना की जांच करने हेतु नामित करते हुए 24 घण्टे में जांच आख्या प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया है।
  •  इस दो सदस्यीय जांच समिति द्वारा घटना के दिन ही स्थल का निरीक्षण करते हुए सम्बन्धित अभिलेखांे का गहन परीक्षण किया गया तथा सम्बन्धित पक्षकारों के बयान आदि दर्ज किए गए।
  • समिति द्वारा प्रदेश शासन को उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट के अनुसार यह प्रकरण वर्ष 1955 से चला आ रहा है। दोनों पक्षों के बीच कई मुकदमें हैं, जो राजस्व न्यायालय में चल रहे हैं। इसके अलावा, आपराधिक वाद भी लम्बित हैं।
  • पीड़ित पक्ष विवादित भूमि पर काफी लम्बे समय से कृषि कार्य करते चले आ रहे हैं।
  • घटना की छानबीन से समिति को यह स्पष्ट हुआ कि ग्राम प्रधान यज्ञदत्त कई व्यक्तियों के साथ ट्रैक्टरों से जमीन पर कब्जा करने के लिए पहुंचा, जिसका पीड़ित पक्ष द्वारा विरोध किया गया।
  • इसके परिणामस्वरूप मौके पर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसमें प्रधान पक्ष के व्यक्तियों द्वारा अंधाधुंध फायरिंग की गई, जिससे 10 व्यक्तियों की हत्या हो गई। इसके अलावा, पीड़ित पक्ष के 21 व्यक्ति तथा अभियुक्त पक्ष के 7 व्यक्ति घायल हुए।
  • घटना की सूचना मिलने पर पुलिस व प्रशासन के अधिकारी तत्काल मौके पर पहुंचे तथा घायलों को सोनभद्र (Sonbhadra)  के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
  • स्थानीय पुलिस द्वारा तत्परता से कार्रवाई करते हुए अब तक 29 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधाान व उसका भाई भी गिरफ्तार किया जा चुका है।
  • इसके साथ ही 01 लाइसेंसी एस.बी.बी.एल. 01 रायफल तथा 03 डी.बी.बी.एल. गन व घटना में प्रयुक्त 06 ट्रैक्टरों की भी बरामदगी की जा चुकी है।
  • इस घटना के सम्बन्ध में थाना घोरावल पर मुकदमा अपराध संख्या-78/19 धारा-34/147, 148, 149, 037, 302 भा0दं0सं0 व 325 अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम-1989 के अन्तर्गत 28 नामजद व 40-50 व्यक्ति अज्ञात के विरुद्ध पंजीकृत किया गया है।
  • सम्पूर्ण जांच से समिति को यह स्पष्ट हुआ कि पीड़ित पक्ष विवादित भूमि पर लम्बे समय से खेती कर रहा है, परन्तु राजस्व अभिलेखों में इनका नाम दर्ज नहीं है।
  • पीड़ित पक्ष द्वारा कई वर्षों से खेती करने के एवज में जिनके नाम जमीन दर्ज थी, को प्रति वर्ष कुछ धनराशि दी जा रही थी। लेकिन प्रधान पक्ष के द्वारा दिनांक 17 जुलाई, 2017 को भूमि क्रय करने के पश्चात् पीड़ित पक्ष द्वारा प्रतिफल दिया जाना बन्द कर दिया गया।
  • जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि तहसीलदार के आदेश दिनांक 17 दिसम्बर, 1955 के द्वारा ग्राम उम्भा व सपही स्थित कुल 125 गाटा रकबा 1297-10-0 बीघा भूमि पर आदर्श कोआॅपरेटिव सोसाइटी, उम्भा, सपही का नाम दर्ज किया गया।
  • रिपोर्ट के अनुसार यह आदेश पूरी तरह से संदिग्ध प्रतीत होता है और यह गहन जांच का विषय है। इसके साथ ही धारा-33/39 के अन्तर्गत परगनाधिकारी, राबट्र्सगंज के आदेश दिनांक 06 सितम्बर, 1989 और सहायक अभिलेख अधिकारी द्वारा पारित नामान्तरण आदेश दिनांक 27 फरवरी, 2019 की भी जांच को आवश्यक बताया गया है।
  • जांच रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया कि 145 सीआरपीसी के अन्तर्गत दिनांक 12 अप्रैल, 2019 को प्रेषित रिपोर्ट पर उप जिलाधिकारी, घोरावल द्वारा 03 माह के अन्तर्गत समुचित एवं प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।
  • यह भी स्पष्ट हुआ कि दोनों पक्षों के मध्य शान्ति भंग की आशंका लम्बे समय से बनी हुई थी। इसके बावजूद प्रभारी निरीक्षक थाना-घोरावल, क्षेत्राधिकारी-घोरावल तथा उप जिलाधिकारी-घोरावल द्वारा समस्या का यथेष्ठ समाधान निकालने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किये गये।
  • रिपोर्ट में उल्लिखित किया गया है कि इन तीनों अधिकारियों का दायित्व था कि वे मौके पर जाकर विवाद के निस्तारण तथा शान्ति व्यवस्था बनाए रखने के लिए समुचित प्रयास करते, किन्तु उनके द्वारा इस प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
  • 02 सदस्यीय जांच समिति द्वारा तीनों अधिकारियों के विरुद्ध समुचित कार्रवाई किए जाने की संस्तुति की गई।
  • प्रदेश सरकार द्वारा जांच रिपोर्ट का अध्ययन करते हुए सम्यक विचारोपरान्त उप जिलाधिकारी-घोरावल, क्षेत्राधिकारी-घोरावल प्रभारी निरीक्षक थाना-घोरावल को निलम्बित करने का निर्णय लिया गया है। इनके अलावा, हल्के के दरोगा तथा बीट कांस्टेबिल को भी निलम्बित किया गया है।
  • इस प्रकरण से जुड़े राजस्व अभिलेखों की जांच के लिए शासन द्वारा अपर मुख्य सचिव राजस्व की अध्यक्षता में 03 सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस समिति में प्रमुख सचिव श्रम तथा विन्ध्याचल मण्डल मीरजापुर के आयुक्त को सदस्य नामित किया गया है।
  • यह समिति राजस्व अभिलेखों की गहनता से जांच करेगी और यह पता लगाएगी कि भूमि के समय-समय पर नामान्तरण (दाखिल-खारिज) में विधि के अनुसार कार्रवाई हुई अथवा नहीं। इसके आधार पर पूर्व के राजस्व अधिकारियों का भी उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाएगा। सहायक अभिलेख अधिकारी, ओबरा, सोनभद्र (Sonbhadra)  के द्वारा किये गये नामान्तरण आदेश के संदर्भ में उनके विरूद्व त्रिस्तरीय कमेटी विशेष रूप से जांच करेगी।
  • प्रदेश सरकार ने यह निर्णय भी लिया है कि दिनांक 17 जुलाई, 2019 की घटना से पूर्व दोनों पक्षों के बीच जो आपराधिक मुकदमे दर्ज हुए और जो निरोधात्मक कार्रवाई हुई, उसमें यदि कोई त्रुटि हुई है, तो उसका उत्तरदायित्व निर्धारण अपर पुलिस महानिदेशक वाराणसी जोन द्वारा किया जाएगा।
  • मा. अध्यक्ष जी, इस प्रकरण में प्रदेश सरकार द्वारा तत्परता से कार्रवाई की जा रही है।
  • आपके माध्यम से मैं माननीय सदन को यह अवगत कराना चाहूंगा कि दोषियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार पीड़ितों को न्याय दिलाएगी।