Road Map for double income of farmers in Madhya Pradesh

हिमाचल में जैविक खेती को मिल रहा है बढ़ावा

शिमला, 14 मई (जनसमा)। जैविक उत्पादों की मण्डियों में बढ़ती मांग तथा किसानों को उनके उत्पादों के लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के दृष्टिगत हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में जैविक खेती को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित कर रही है। जैविक खेती अनुकूल, स्वास्थ्य तथा पर्यावरण मित्र होने के कारण लोकप्रिय बन रही है।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने शनिवार को यहां कहा कि किसानों को प्रशिक्षण प्रदान कर, प्रदर्शनियों, मेलों/गोष्ठियां के आयोजन द्वारा राज्य में जैविक खेती को योजनाबद्ध तरीके से प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने 12वीं योजना के अन्त तक प्रत्येक घर में वर्मी-कम्पोष्ट इकाई की स्थापना करने का निर्णय लिया है। इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक किसान को वर्मी गड्डा तथा वर्मी कल्चर तैयार करने के लिए 5000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त, अनुमोदित जैविक आदानों के लिए भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। जैविक खेती अपनाने पर प्रति हैक्टेयर 10 हजार रुपये प्रोत्साहन के रूप में तथा प्रमाणीकरण के लिए भी 10 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर तीन वर्षों के लिए प्रदान किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उत्पादन क्षमता का पता लगाने के लिए मृदा परीक्षण एक महत्वपूर्ण अव्यव है, जिसे राज्य सरकार ने एक फ्लैगशिप कार्यक्रम के रूप में अपनाया है। सरकार प्रत्येक मौसम में मिट्टी की उवर्रकता को बनाए रखने के लिए प्रभावी कदम उठा रही है। किसानों के खेतों से मिट्टी के नमूने एकत्र कर इनका परीक्षण प्रयोगशालाओं में विश्लेषण किया जा रहा है। ये प्रयोगशालाएं लाहौल-स्पिति को छोड़ प्रदेश के सभी जिलों में स्थापित की गई हैं।

राज्य में चार सचल मृदा परीक्षण वाहनों की सुविधा भी प्रदान की जा रही है, जिनमें से एक वाहन जनजातीय क्षेत्रों में साईट पर मिट्टी की जांच के लिए कार्यरत है। ये प्रयोगशालाएं आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित हैं। प्रत्येक पात्र किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध करवाना सुनिश्चित किया गया है, जिससे किसानों को मिट्टी की स्थिति एवं इसमें आवश्यक पोषकता का पता लगाने में मदद मिल रही है।

प्रवक्ता ने कहा कि भू-उर्वरकता नक्शे चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा जीपीएस तकनीक से तैयार किए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने मिट्टी जांच को हि.प्र. सार्वजनिक सेवाएं गारंटी अधिनियम, 2011 के अन्तर्गतएक सार्वजनिक सेवा घोषित किया है।

(फोटोः आईएएनएस)