कुंभ का मतलब सिर्फ नागा साधु नहीं : मोदी

The Prime Minister, Shri Narendra Modi at the International Convention on Universal Message of Simhastha, in Ujjain on May 14, 2016.

The Prime Minister, Shri Narendra Modi at the International Convention on Universal Message of Simhastha, in Ujjain on May 14, 2016.

उज्जैन, 14 मई| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां शनिवार को कहा कि कुंभ मेला की एक ही पहचान बना दी गई है-नागा साधु, यह सब इसलिए हुआ है, क्योंकि ब्रांडिंग ठीक तरह से नहीं की गई। मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ के दौरान निनोरा में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय विचार कुंभ के समापन पर मोदी ने सार्वभौम अमृत संदेश (घोषणापत्र) जारी किया और कहा, “दुनिया के लोग हमें अनऑर्गनाइज्ड (असंगठित) कहते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि दुनिया के सामने हमें अपनी बात सही तरीके से रखने की आदत नहीं रही।”

उन्होंने कहा कि जिन लोगों पर देश की बात दुनिया के सामने रखने की जिम्मेदारी रही है, और जिन्होंने इस तरह के काम को चुना है, वे भी शॉर्टकट पर चले जाते हैं। यही कारण रहा कि कुंभ की एक ही पहचान बना दी गई है-नागा साधु। उनकी तस्वीर निकालना, उसी को प्रचारित करना और कुंभ को इसी के आसपास सीमित कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “क्या हम दुनिया के लोगों से कह सकते हैं कि हमारी इतनी बड़ी ऑर्गनाइजिंग कैपिसिटी है? क्या यह बता सकते हैं कि इस आयोजन के लिए किसी को निमंत्रणपत्र गया था, सर्कुलर जारी किया गया था जो इतनी बड़ी संख्या में लोग क्षिप्रा के तट पर आ गए। यह मैनेजमेंट की दुनिया की सबसे बड़ी घटना है।”

मोदी ने कहा, “यहां तीस दिन तक इतनी संख्या में हर रोज लोग आते हैं, जितनी जनसंख्या यूरोप के एक देश की है। मगर हम भारत की ब्रांडिंग का परिचय नहीं दे पा रहे हैं।”

उन्होंने भारत में होने वाले चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि यह दुनिया के लिए अजूबा है। इतना बड़ा देश, दुनिया के कई देशों से ज्यादा वोटर, और हमारा चुनाव आयोग आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए चुनाव कराता है। यह प्रबंधन के क्षेत्र में दुनिया के लिए सबसे बड़ी ‘केस स्टडी’ है।

मोदी ने कहा, “हमें भारत को वैश्विक रूप में प्रदर्शित करने के लिए विश्व जिस भाषा को समझता है, जिस तर्क को समझता है, उसी भाषा में समझाने की जरूरत है और इसके लिए हमें चिंतन-मनन करना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि आदिकाल से चले आ रहे कुंभ के समय और कालखंड को लेकर अलग-अलग मत हैं, लेकिन इतना तय है कि यह मानव की सांस्कृतिक यात्रा की पुरातन व्यवस्था में से एक है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं अपने तरह से जब सोचता हूं तो लगता है, इस विशाल भारत को अपने में समेटने का प्रयास कुंभ मेले के द्वारा होता था। तर्क और अनुमान के आधार पर कहा जा सकता है कि समाज की चिंता करने वाले मनीषी 12 वर्ष में एक बार प्रयाग में कुंभ के मौके पर इकट्ठा होते थे, विचार-विमर्श करते थे और बीते वर्ष की सामाजिक स्थिति का अध्ययन करते थे। इसके साथ ही समाज के लिए अगले 12 वर्षो की दिशा क्या होगी, इसे तय करते थे।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रयाग से अपने-अपने स्थान पर जाकर संत महात्मा तय एजेंडे पर काम करने लगते थे। इतना ही नहीं, तीन वर्ष उज्जैन, नासिक और इलाहाबाद में होने वाले कुंभ में जब वे इकट्ठा होते थे, तब उनके बीच इस बात पर विमर्श होता था कि प्रयाग में जो तय हुआ था, उस दिशा में क्या हुआ। फिर उसके बाद आगामी तीन वर्ष का एजेंडा तय होता था।

मोदी ने कहा कि यह एक अद्भुत सामाजिक संरचना थी, मगर धीरे-धीरे इसका रूप बदला। अनुभव यह है कि परंपरा तो रह जाती है, मगर प्राण खो जाते हैं। कुंभ के साथ भी यही हुआ, अब कुंभ सिर्फ डुबकी लगाने, पाप धोने और पुण्य कमाने तक सीमीत रह गया है।

उन्होंने कहा कि संतों के आशीर्वाद से उज्जैन में एक नया प्रयास प्रारंभ हुआ। यह प्रयास सदियों पुरानी परंपरा का आधुनिक संस्करण है। इस आयोजन में वैश्विक चुनौतियों और मानव कल्याण के क्या प्रयास हो सकते हैं, इस पर विचार हुआ है। इस मंथन से जो 51 अमृतबिंदु निकले हैं, समाज के लिए प्रस्तुत किए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने विचार कुंभ के समापन मौके पर मौजूद साधु-संतों और अखाड़ों के प्रमुख से आह्वान किया कि मंथन से जो 51 अमृतबिंदु निकले हैं, उन पर सभी परंपराओं के अंदर रहकर प्रतिवर्ष एक सप्ताह का विचार कुंभ अपने भक्तों के बीच करने पर विचार जरूर करें।

उन्होंने कहा कि मोक्ष की बातें तो करें, मगर एक सप्ताह ऐसा हो जिसमें धरती की सच्चाई पर चर्चा हो, उसमें यह बताया जाए कि पेड़ क्यों लगाना चाहिए, बेटी को क्यों पढ़ाना चाहिए, धरती को स्वच्छ क्यों रखना चाहिए, नारी का सम्मान क्यों करना चाहिए।

इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी विशेष विमान से इंदौर पहुंचे, हवाईअड्डे पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य लोगों ने उनकी अगवानी की। मोदी यहां से श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना के साथ उज्जैन के निनोरा के लिए रवाना हुए।

निनोरा में हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने की। मंच पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, थावरचंद गहलोत और मेजबान मुख्यमंत्री शिवराज भी उपस्थित रहे।