Rajnath

नक्सलियों की हिंसा के कारण बीस साल में 12 हजार लोगों की जानें गई

नई दिल्ली, 08 मई (जनसमा)। विगत 20 वर्षों में देश में माओवादी उग्रवादियों की या नक्सलवादी हिंसक गतिविधियों के कारण 12 हजार लोगों की जानें गई है। इन 12 हजार लोगों में 27 सौ सुरक्षा बलों के जवान हैं , शेष 9 हजार 300 निर्दोष, निरीह और मासूम जनता। वामपंथी उग्रवाद से देश के दस राज्यों के 35 जिले सर्वाधिक प्रभावित हैं। यह तथ्य सामने आया है वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों की सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में, जिसे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संबोधित किया ।

बैठक में दी गई जानकारी के अनुसार विकास विरोधी वामपंथी उग्रवादियों का निशाना सुरक्षा बलों के जवानों के अलावा सार्वजनिक संपत्ति जैसे सड़क, पुल-पुलिया, रेल मार्ग, बिजली तथा टेलीफोन के टॉवर, अस्पताल, स्कूल, आंगनवाड़ी तथा पंचायत के भवन आदि स्थान बने हैं, जो आम जनता की सुविधा के लिए शासन द्वारा बनाए जाते हैं।

सरकार का कहना है कि वामपंथी उग्रवादियों के विध्वंस से यह जाहिर है कि वे दूरस्थ तथा दुर्गम अंचलों में विकास के साधन तथा सुविधाएं नहीं पहुंचने देना चाहते, क्योंकि ये सुविधाएं स्थानीय जनता को आर्थिक और सामाजिक प्रगति का रास्‍ता प्रशस्‍त करती है और स्‍थानीय जनता को राष्‍ट्र की मुख्‍यधारा से जोड़ती है। जबकि वामपंथी उग्रवाद जैसे नासूर, गरीबी और पिछड़ेपन में पनपते है। उनकी यह रणनीति है कि इस क्षेत्र की जनता बिना बिजली, सड़क, शिक्षा के हमेशा गरीबी और उपेक्षित दशा में रहे ताकि इन ठेकेदारों की दुकान चलती रहे।

राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार के पास वामपंथी उग्रवादि‍यों से बेहतर संसाधन है, प्रशिक्षण है, प्रौद्योगिकी है। लेकिन वामपंथी उग्रवादि‍यों की रणनीति को बींधने के लिए और बेहतर समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि इस मोर्चे पर कामयाबी सिर्फ भावनाओं से ही नहीं मिल सकती। सफलता के लिए आवश्यक है सही नजरिया, सही रणनीति, संसाधनों का कुशल उपयोग, दुश्मन की शक्ति और कमजोरियों का ज्ञान, अपने सुरक्षाबलों का प्रशिक्षण, उनकी सुविधाओं और साधनों की व्यवस्था। अत: हमें सही ढंग से बिंदुवार इन सभी विषयों पर विचार करना होगा। इसी दृष्टि से आज की बैठक महत्वपूर्ण है।

गृहमंत्री ने कहा कि सुरक्षा बल जिन शिविरों में रहते हैं, उन्हें सुविधाजनक बनाना होगा, जहां बिजली, पानी, कनेक्टिविटी के साथ ही ऐसी सभी सुविधाएं हों, जहां वे तनाव रहित रह सकें और आवश्यकतानुसार घर-परिवार से सम्पर्क साध सकें।

राजनाथ सिंह ने कहा पदस्थापना के स्थानों की जानकारी के साथ-साथ वहां की भाषा, बोली व परंपराओं और संस्कृति की जानकारी भी सुरक्षा बलों को होनी चाहिए ताकि वे स्थानीय परिस्थितियों में ढल सकें और स्थानीय लोगों का विश्वास अर्जित कर सकें। सुरक्षा बलों में SOP के पालन की आदत डलवानी चाहिए ताकि सुरक्षा को लेकर वे स्वयं जागरूक रहे।

गृहमंत्री ने कहा कि भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है मगर वामपंथी उग्रवाद लोकतंत्र की जड़ों को खोखला करना चाहता है। लोकतंत्र विरोधी होने के साथ-साथ वामपंथी उग्रवाद का विकास विरोधी चेहरा हम सबके सामने है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जिस नये भारत के निर्माण की बात कर रहे हैं उसका आधार ही देश में विकास और लोकतंत्र की मजबूती है। भारत का भविष्‍य हिंसा और हत्‍या को बढ़ावा देने वाले वामपंथी उग्रवादियों के प्रभाव से मुक्‍त हो इसके लिए हम सबको इस दिशा में सोचने और कार्य करने की जरूरत है। मेरा यह विश्‍वास है की बन्‍दूक के बल पर विकास और लोकतंत्र को झुकाने और दबाने की कोशिश कभी कामयाब नहीं होगी।

उन्होंने कहा “आज इस सभाकक्ष में 10 राज्यों के मुख्यमंत्री, प्रशासन और पुलिस के मुखिया उपस्थित हैं। आप नीति-निर्धारक भी हैं और उसका क्रियान्वयन कराने वाले भी। वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला सुरक्षा और विकास के मोर्चें पर एक समन्वित लड़ाई है, जिसे निर्णायक रूप से लड़ना और जीतना है। इसके लिए आप से उपयुक्त और सक्षम और कौन हो सकता है? हमारे जवानों की मौजूदगी वामपंथी उग्रवादियों के बीच दहशत का तथा स्थानीय जनता एवं आदिवासियों के बीच आश्वस्ति का भाव पैदा करने वाला होना चाहिए। ”

गृहमंत्री ने कहा “Let your action speak for itself”.