Glory Tourch

वायु सेना के जांबाज 4500 किमी अल्ट्रा मैराथन ग्लोरी रन 45 दिनों में पूरी करेंगे

भारतीय वायु सेना के 25 जांबाज  एक ऐसे अभियान पर निकल पड़े हैं जो 45 दिनों में 4500 किलोमीटर की दूरी दौड़कर तय करेंगे और लक्ष्य पर पहुँचेंगे।

ये 25 वीर योद्धा एक ऐसी लंबी दूरी की दौड़  ‘अल्ट्रा मैराथन -ग्लोरी रन’’(Ultra-Marathon- Glory Run) अभियान  (expedition)  के लिए निकल पड़े हें जो 45 दिनों में  4500 किलोमीटर की दूरी तय करके लक्ष्य पर पहुँचेंगे।

कारगिल से कोहिमा (Kargil to Kohima)  के बीच ‘ग्लोरी रन’ के नाम से शुरू की गई यह अल्ट्रा मैराथन  देश के 9 राज्यों के बर्फीले पहाड़ों, खतरनाक दर्रों, बीहड़ वनों, नदी-नालों, झरनों और खतरनाक रास्तों से गुजरेगी।

कारगिल से कोहिमा (के2के) (K2K) अल्ट्रा मैराथन – ग्लोरी रन (Ultra-Marathon- Glory Run) को आज 22 सितंबर, 2019 को द्रास (Drass)  स्थित कारगिल वॉर मेमोरियल (Kargil War Memorial) से एयर वाइस मार्शल पीएम सिन्हा (Air Vice Marshal PM Sinha) ने रवाना किया।

कारगिल विजय के 20वें वर्ष के अवसर पर और भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की गौरवशाली परंपरा और आदर्श वाक्य “टच द स्काई विद ग्लोरी”, के लिए कारगिल से कोहिमा (के2के) अल्ट्रा मैराथन – ग्लोरी रन का एक अभियान भारतीय वायु सेना द्वारा कारगिल वार मेमोरियल, द्रास, जम्मू और कश्मीर से कोहिमा वार सेमेन्ट्री, कोहिमा (नागालैंड) तक रखा गया।

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी. एस. धनोआ 06 सितंबर, 2019 को नई दिल्ली में टीम के नेतृत्वकर्ता स्क्वाड्रन लीडर सुरेश राजदान को  ’ग्लोरी टॉर्च’ सौंपते हुए।

कोहिमा और कारगिल उत्तर भारत के पूर्व में और उत्तर में स्थित सबसे महत्वपूर्ण चौकी हैं जहां क्रमशः 1944 और 1999 में दो बड़े युद्ध हुए थे।

कारगिल से कोहिमा (के2के) (K2K) अल्ट्रा मैराथन – ग्लोरी रन (Ultra-Marathon- Glory Run) आज से शुरू हुआ है जिसका समापन 6 नवंबर 2019 को होगा।

अल्ट्रा मैराथन – ग्लोरी रन (Ultra-Marathon- Glory Run) के नाम से शुरू किये गए इस अनूठे प्रयास में, 25 वायु योद्धाओं की एक टीम 45 दिनों में 4500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेगी यानि औसतन 100 किलोमीटर प्रति दिन की दूरी तय करेगी।

अल्ट्रा मैराथन – ग्लोरी रन (Ultra-Marathon- Glory Run)  अभियान का उद्देश्य पैदल यात्री सुरक्षा और हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फिट इंडिया मूवमेंट को बढ़ावा देना और उन बहादुर जांबाजों को श्रद्धांजलि देना भी है जिन्होंने हमारी मातृभूमि के लिए अपना बलिदान दिया है।

इससे पहले, 6 सितंबर 2019 को सेनाध्‍यक्षों की समिति के अध्‍यक्ष और वायुसेना अध्‍यक्ष एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ(Air Chief Marshal BS Dhanoa)  ने वायु सेना मुख्यालय (वायु भवन), नई दिल्ली में स्क्वाड्रन लीडर (Squadron Leader) सुरेश राजदान (Suresh Razdan) को अल्ट्रा मैराथन – ग्लोरी रन (Ultra-Marathon- Glory Run) की ’ग्लोरी टॉर्च’ सौंपी थी।

अल्ट्रा मैराथन – ग्लोरी रन (Ultra-Marathon- Glory Run) के लिए कठोर परीक्षणों के बाद टीम का चयन किया गया है और इन्हें वायु सेना स्टेशन लेह में प्रशिक्षण दिया गया है।

अल्ट्रा मैराथन – ग्लोरी रन (Ultra-Marathon- Glory Run) टीम में एक महिला अधिकारी फ्लाइट लेफ्टिनेंट ऋषभ जीत कौरान (Flight Lieutenant Rishab Jeet Kauran)  और 51 वर्षीय वारंट अधिकारी इंद्र पाल सिंह सहित कई अधिकारियों और एयरमैन को शामिल किया गया है।

अल्ट्रा मैराथन – ग्लोरी रन (Ultra-Marathon- Glory Run)  अभियान का नेतृत्व एसयू-30 विमान के  पायलट स्क्वाड्रन लीडर सुरेश राजदान कर रहे हैं।

यह टीम द्रास-लेह-मनाली हाईवे (Drass-Leh-Manali) से गुजरेगी जहां औसतन ऊँचाई 13,000 फीट है, और  तांगलांग-ला पर्वत होते हुए आगे बढ़ेगी, जिसकी औसतन ऊँचाई 17480 फीट है।

अल्ट्रा मैराथन – ग्लोरी रन (Ultra-Marathon- Glory Run) टीम बर्फ से ढंके पहाड़ों, बर्फ जैसेे ठंडे पानी की कई छोटी-छोटी जल-धाराओं को पार कर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ेगी।

लद्दाख क्षेत्र के कुछ मार्ग नमिकी-ला (Namiki–La)  (12198 फीट), फाउट-ला (Fout–La )(13510 फीट), तांगलंग-ला (Tanglang–La) (17480 फीट), लाचुंग-ला (Lachung–La) (16613 फीट), बरलांच-ला (Baralancha–La) (16040 फीट) और रोहतांग  (Rohtang0 (13129 फीट) है।

अल्ट्रा मैराथन – ग्लोरी रन (Ultra-Marathon- Glory Run)  टीम इस साहसिक अभियान के दौरान लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, आसाम और नागालैंड के विभिन्न भूभागों से कैम्पिंग और बाहरी रास्तों की कठिनाईयों, बर्फबारी में प्रबंधन और जीवित रहने के तरीकों, बारिश और विपरीत परिस्थितिक जलवायु से होते हुए आगे बढ़ेगी।

भारतीय वायु सेना अपने कर्मियों के लिए साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई मुकाम भी हासिल कर चुका है।

विभिन्न साहसिक विषयों में विशेषज्ञता के साथ, भारतीय वायु सेना ने सौहार्द, टीम भावना और साहस के गुणों को प्रदर्शित करने का अनूठा प्रयास किया है जो एक फोर्स की बहुत बड़ी नीव है।

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