लोगों को कला की वास्तविकता से जोड़ने की सोच ‘पुणे बिनाले’ : किरण

नई दिल्ली, 14 दिसम्बर | आम लोगों को कला की वास्तविकता से जोड़ने और उभरते कलाकारों को उनकी प्रतिभा के प्रदर्शन हेतु एक मंच प्रदान करने के नजरिए से हर दो साल में पुणे बिनाले फाउंडेशन एक कला महोत्सव ‘पुणे बिनाले’ का आयोजन करता है।

अगले साल जनवरी में आयोजित होने वाले अपने तीसरे संस्करण के आयोजन के लिए पूरी तरह से तैयार पुणे बिनाले फाउंडेशन के संस्थापक और निदेशक किरण शिंदे का कहना है कि इस कला महोत्सव के जरिए इस धारणा को तोड़ना है कि कला संग्राहलयों और गैलरियों (चित्रशालाओं) तक सीमित है।

आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में किरण ने कहा कि ‘पुणे बिनाले’ कला महोत्सव का लक्ष्य लोगों को कला की वास्तविकता से जोड़ना है, ताकि वह इसे महसूस कर सकें और इसके सही महत्व को जान सकें।

‘पुणे बिनाले’ महोत्सव के तीसरे संस्करण का आयोजन अगले साल पांच से 29 जनवरी तक पुणे के जांगली महाराज रोड़ पर आयोजित किया जाएगा। इसका विषय ‘आईडेंटिटी एंड सेल्फ’ है। 21 दिवसीय महोत्सव के दौरान कई गतिविधियां होंगी, जिसमें सार्वजनिक कला प्रदर्शन, सेमिनार, कार्यशालाएं और अन्य चीजें शामिल हैं।

इस महोत्सव के पहले संस्करण का आयोजन 2013 में किया गया था, जिसमें पुणे शहर की पहाड़ियों पर प्रकाश डाला गया था। इस बारे में किरण ने कहा, “यह महोत्सव लोगों की कला पर काम करता है। पहले संस्करण में हमने शहर की पहाड़ियों को प्रमुख विषय रखा था, जो इस शहर की खासियत हैं।”

किरण ने कहा, “हमने इन्हीं पहाड़ियों पर महोत्सव का आयोजन किया था और 2015 में आयोजित हुए अपने दूसरे संस्करण में इस शहर की विरासत पर प्रकाश डाला था।”

अगले साल आयोजित होने वाले महोत्सव के विषय ‘आईडेंटिटी एंड सेल्फ’ के बारे में किरण ने कहा, “हाल जिस प्रकार से पुणे शहर का विस्तार हुआ है। इसमें विभिन्न राज्यों से लोग शिक्षा और नौकरी की तलाश में इस शहर में आ रहे हैं। इस कारण इस बार इसलिए हम व्यस्त इलाकों में इसका आयोजन कर रहे हैं।”

इस पहल के लिए प्रेरणा के बारे में किरण ने कहा, “इस बारे में कह पाना मेरे लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि मैं 11 साल तक विदेश में रहा हूं। मैंने कई यात्राएं की हैं और मैंने देखा है कि वहां कि दार्शनिक संस्कृति काफी बेहतरीन है। हमारे देश की भी संस्कृति शानदार है, लेकिन आम लोगों को इस प्रकार की कला को देखने का मौका नहीं मिलता। इस कला को लोगों तक पहुंचाने की पहल है हमारी।”

ग्रामीण क्षेत्रों से प्रतिभा को बाहर निकालने के बारे में किरण ने कहा कि उनका फाउंडेशन अभी इस ओर बढ़ा है और इसे लेकर उनकी अभी कोई योजनाएं नहीं हैं।

‘पुणे बिनाले’ के लिए की गई कड़ी मेहनत के बारे में किरण ने कहा, “इस प्रकार के सार्वजनिक परियोजनाओं के विचार में काफी मेहनत लगती है। गैलरी में कार्यक्रम का आयोजन करना आसान है, लेकिन इस तरह के महोत्सव के लिए सार्वजनिक स्थलों का चुनाव करने और इसके आयोजन में मेहनत लगती है।”

किरण ने कहा कि उन्हें भी शुरुआत में काफी आलोचनाएं झलेनी पड़ी थी, लेकिन इन सबसे ऊपर उठकर उन्होंने अपनी सोच को बरकरार रखा। यहीं कारण है कि आज ‘पुणे बिनाले’ इस स्तर तक पहुंच पाया है।

‘पुणे बिनाले’ के तीसरे संस्करण में ‘यंग एक्सप्रेशन’ गतिविधि भी शामिल है, जिसमें कला के बारे में युवाओं की सोच का पता लगाया जाएगा। इसके साथ ही एक अन्य गतिविधि ‘माइ सिटी माई आर्ट’ में प्रतिभागी एक ऐसे स्थल को तलाश सकते हैं, जो बेरंग है और जिसके साथ उनका संपर्क है। वह इस स्थल को अपने अनुसार सजा सकते हैं। –आईएएनएस