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उप्र : टूट रहा सब्र, नोटबंदी हाय-हाय के नारे लगे

हरदोई (उप्र), 5 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई नोटबंदी के विरोध में हरदोई जिले में सोमवार को कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन कर सड़क जाम की गई और नोटबंदी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। परेशानी झेल रहे लोगों ने नोटबंदी के आदेश को ‘तुगलकी फरमान’ बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की। प्रदर्शन पिहानी, गोपामऊ, सांडी व माधौगंज में किया गया।

पिहानी में एक तरफ जे.पी. गुप्ता और गोपी सिंह जिला सचिव तो दूसरी तरफ गुड्डू कुरैशी नगर अध्यक्ष के नेतृत्व में सड़क पर उतर कर नोटबंदी के विरोध में जमकर नारेबाजी की गई। हाथों में नारे लिखी तख्तियां उठाए सैकड़ों लोग सड़क पर सीढ़ी और बेंच डालकर बैठ गए और काफी देर तक नारेबाजी करते रहे।

पिहानी कोतवाल पवन त्रिवेदी अपनी फोर्स के साथ यातायात व्यवस्था संभालने में जुटे रहे। इसके बाद धरने पर बैठे लोगों को इंस्पेक्टर ने समझाया और जाम खोलने के लिए कहा। काफी मान-मनुहार के बाद लोगों ने जाम खोल दिया, जिससे पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली।

इस मौके पर मुख्य रूप से चेयरमैन डॉ. सईद खान, मोहसिन जैदी, मोनू कुरैशी, डाडा गुप्ता, फरीद सिद्दीकी, हाजी नाजिम और तमाम सभासद मौजूद रहे।

टडियांवा में वली मोहम्मद चेयरमैन नगर पंचायत गोपामऊ की अगुआई में नोटबंदी के विरोध में लोगों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करते हुए सड़क जाम की। इस दौरान मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले को गलत ठहराते हुए नारेबाजी की गई।

कहा गया कि नोटबंदी के फैसले से पूरे देश की जनता प्रभावित हुई है। प्रदर्शनों के दौरान कहा गया कि नोटबंदी को लेकर आम आदमी त्रस्त है, खेती-किसानी पर बुरा असर पड़ रहा है। उद्योग-धंधे चैपट हो रहे हैं, दिहाड़ी मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है, छोटे दुकानदार परेशान हैं। व्यापारियों ने भी इस फैसले को वापस लेने की मांग की।

वहीं माधौगंज में बिलग्राम रोड पर स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा व आर्यावर्त ग्रामीण बैंक में ग्राहकों को कई दिन से रुपये नहीं मिल रहे थे। सोमवार को ग्राहक आक्रोशित होकर सड़क पर आ गए और नारेबाजी करने लगे, जिससे सड़क पर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें दोनों ओर लग गई।

सूचना मिलने पर प्रभारी इंचार्ज शेर सिंह राजपूत पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचकर लोगों को समझा बुझाकर जाम खुलवाया। यहां लोगों ने कहा कि सरकार नोटबंदी के बाद की परिस्थितियों को नियंत्रित कर पाने में विफल है।

कहा गया कि केंद्र सरकार तत्काल बैंकों में रुपया उपलब्ध कराए। लोग अपना काम छोड़कर बैंक और एटीम की कतारों में लगे हैं। अधिकांश बैंकों के पास नगदी का अभाव है। शादी, विवाह, इलाज, रोजमर्रा की जरूरतों के लिए खाते में रुपया होने के बाद भी लोग परेशान हैं। कई हफ्तों से नींद गायब है। सारा दिन कतारों में गुजरता है।

कहा गया कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से सबसे ज्यादा प्रभाव किसानों, गरीबों, मजदूरों पर पड़ा है। इनका दर्द समझने के बजाय इन्हें कैशलेस व्यवस्था में ढलने को कहा जा रहा है। (आईएएनएस/आईपीएन)