Cellular Jail

सेल्यूलर जेल याद दिलाती है कि कितनी कठिन और कीमती है आजादी

Cellular Jail

Naidu and his family members paying homage to Veer Savarkar in the solitary confinement cell occupied by him in the Cellular Jail, in Port Blair, Andaman and Nicobar Islands on January 16, 2020.

सेल्यूलर जेल (Cellular Jail) हमें याद दिलाती है कितनी कठिन और कीमती है हमारी आजादी।

वर्ष 1906 में पूरी हुई सेल्यूलर जेल (Cellular Jail) को काला पानी भी कहा जाता है। यह नाम कैदियों को रखने के लिए एकांत को‍ठरियों के आधार पर पड़ा।

भूख, यातना और एकांत में रखने के इसके तीन स्‍तरीय तरीके में यहां कैदियों को अलग-थलग रखकर कठोर से कठोर सजा दी जाती थी।

उपराष्‍ट्रपति(Vice President)  एम. वेंकैया नायडू (M.Venkaiah Naidu ) आज 16 जनवरी,2020 को अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह  (Andaman and Nicobar Islands) में  पोर्ट ब्लेयर (Port Blair) स्थित  सेल्यूलर जेल (Cellular Jail) गए।

उन्‍होंने अन्‍य स्‍वाधीनता सेनानियों के साथ-साथ उस एकांत कोठरी में जाकर वीर सावरकर को श्रद्धांजलि अर्पित की, जहां स्‍वतंत्रता संग्राम के समय उन्‍हें कैद किया गया था और उनके साथ अमानवीय व्‍यवहार किया जाता था।

यह सेल्यूलर जेल (Cellular Jail) आज उन लोगों के लिए तीर्थ स्‍थल है, जो देश से प्‍यार करते हैं और आजादी को महत्‍व देते हैं। उपराष्‍ट्रपति ने इसे उपनिवेशवाद की बुराई से प्रतिरोध का प्रतीक बताया।

नायडू ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सभी राज्‍य सरकारों से आग्रह किया कि वे सेल्यूलर जेल (Cellular Jail) और स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े अन्य ऐतिहासिक स्थलों में छात्रों के दौरे आयोजित करे।

वीर सावरकर के अलावा अनेक जाने-माने लोगों को सेल्यूलर जेल (Cellular Jail) में कैद करके रखा गया। वीर सावरकर को दो आजीवन कारावासों की सजा के साथ सेल्‍यूलर जेल भेजा गया। एकांतवास में काल कोठरी में उन्‍हें रखना यातना और उत्‍पीड़न था। उन्‍हें कोल्‍हू से बांध दिया गया था, जो सबसे कठोर श्रम था।

सावरकर अन्‍य कैदियों के लिए प्रेरणा का स्रोत थे। उनके भाई भी सेल्यूलर जेल (Cellular Jail) में थे, लेकिन दोनों को एक-दूसरे की उपस्थिति की जानकारी नहीं थी।

सेल्यूलर जेल (Cellular Jail)  में बंद अन्‍य क्रांतिकारियों पर ब्रिटिश ने अलीपुर बम कांड, नासिक साजिश, लाहौर साजिश मामले और चटगांव शस्‍त्रागार विद्रोह मामले थोपे थे, उन्‍हें आजीवन कारावास दिए गए और अनेक कठिनाइयों तथा बर्बरताओं का सामना करना पड़ा।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि ब्रिटिश इन्‍हें साजिश के मामले कहते थे, लेकिन हमें इसके बजाय इन्‍हें स्‍वाधीनता संघर्ष के मामले कहना चाहिए।