Deepfakes, data theft and use of AI tools by terrorist organizations are challenges

डीपफेक, डेटा चोरी और आतंकवादी संगठनों द्वारा एआई टूल का उपयोग चुनौतियाँ हैं

नई दिल्ली , 12 दिसंबर।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi ) ने ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) शिखर सम्मेलन (Summit) का  नई दिल्ली के भारत मंडपम (Bharat Mandapam) में उद्घाटन  करते हुए डीपफेक (Deepfakes), साइबर सुरक्षा, डेटा चोरी (data theft) और आतंकवादी संगठनों (terrorist organizations) द्वारा एआई टूल्स (AI tools) के इस्तेमाल की चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए,  जवाबी उपायों की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि एआई नए भविष्य को गढ़ने का सबसे बड़ा आधार बन रहा है। चूंकि एआई लोगों को जोड़ सकता है, यह न केवल आर्थिक विकास सुनिश्चित करता है बल्कि समानता और सामाजिक न्याय भी सुनिश्चित करता है। उन्होंने एआई को और अधिक समावेशी बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “एआई की विकास यात्रा जितनी अधिक समावेशी होगी, परिणाम भी उतने ही अधिक समावेशी होंगे।”

प्रधानमंत्री ने ग्लोबल एआई एक्सपो का भी अवलोकन किया। ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI)  29 सदस्य देशों के साथ एक बहु-हितधारक पहल है, जिसका लक्ष्य एआई से संबंधित प्राथमिकताओं पर अत्याधुनिक अनुसंधान और व्यावहारिक गतिविधियों का समर्थन करके एआई पर सिद्धांत और व्यवहार के बीच अंतर को पाटना है। भारत 2024 में जीपीएआई का लीड चेयर है।

प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए, भारत द्वारा अगले वर्ष जीपीएआई शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करने पर प्रसन्नता व्यक्त की, जब पूरी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में बहस कर रही है।

उन्होंने कहा, भारत में एआई के प्रति उत्साह दिखाई दे रहा है, क्योंकि भारतीय युवा एआई तकनीक का परीक्षण कर रहे हैं और उसे आगे बढ़ा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने हाल ही में लॉन्च किए गए एआई कृषि चैटबॉट के बारे में जानकारी दी जो किसानों को खेती के विभिन्न पहलुओं में मदद करेगा। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य सेवा और सतत विकास लक्ष्यों के क्षेत्र में एआई के उपयोग पर भी प्रकाश डाला।

प्रधानमंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करने और जल्द ही लॉन्च होने वाले एआई मिशन के बारे में जानकारी दी, जिसका उद्देश्य एआई की कंप्यूटिंग शक्तियों को स्थापित करना है।

उन्होंने शैक्षिक प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से एआई से संबंधित कौशल को टियर 2 और 3 शहरों में ले जाने के बारे में भी चर्चा की। एआई पहल को बढ़ावा देने वाले भारत के राष्ट्रीय एआई पोर्टल के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने एआईआरएडब्ल्यूएटी पहल के बारे में बताया कि कॉमन प्लेटफॉर्म जल्द ही हर अनुसंधान प्रयोगशाला, उद्योग और स्टार्टअप के लिए खुला होगा।

उन्होंने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि एआई परिवर्तनकारी है लेकिन इसे अधिक से अधिक पारदर्शी बनाना हम पर निर्भर है।” उन्होंने कहा कि इस्तेमाल किए जा रहे डेटा को पारदर्शी और पूर्वाग्रह से मुक्त रखना एक अच्छी शुरुआत होगी।

प्रधानमंत्री ने एआई के नकारात्मक पहलुओं की ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि भले ही इसमें 21वीं सदी में विकास का सबसे मजबूत उपकरण बनने की क्षमता है, लेकिन यह इसके विनाश में भी अपनी भूमिका निभा सकता है।

उन्होंने भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान जिम्मेदार मानव-केंद्रित एआई शासन के लिए एक रूपरेखा बनाने के भारत के प्रस्ताव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जी-20 नई दिल्ली घोषणा ने ‘एआई सिद्धांतों’ के प्रति सभी सदस्य देशों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समझौतों और प्रोटोकॉल की तरह एक साथ काम करने व एआई के नैतिक उपयोग के लिए एक रूपरेखा तैयार करने पर जोर दिया, जिसमें उच्च जोखिम वाले या सीमांत एआई उपकरणों का परीक्षण और विकास शामिल है।

एआई को एक विश्वव्यापी अभियान बताते हुए प्रधानमंत्री ने सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने एआई उपकरणों के परीक्षण और प्रशिक्षण के लिए डेटा सेट, किसी भी उत्पाद को बाजार में जारी करने से पहले परीक्षण की अवधि जैसे कुछ प्रश्न सुझाए, जिन्हें एआई की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए हल करने की आवश्यकता है।

उन्होंने यह भी पूछा कि क्या किसी सूचना या उत्पाद को एआई-जनरेटेड के रूप में चिह्नित करने के लिए एक सॉफ्टवेयर वॉटरमार्क पेश किया जा सकता है।

भारत में सैकड़ों भाषाओं और हजारों बोलियों का जिक्र करते हुए, प्रधानमंत्री ने डिजिटल समावेशन को बढ़ाने के लिए स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए एआई का उपयोग करने का सुझाव दिया।

उन्होंने उन भाषाओं को पुनर्जीवित करने जो अब बोली नहीं जाती हैं, संस्कृत भाषा के समृद्ध ज्ञान आधार और साहित्य को आगे ले जाने और वैदिक गणित के लुप्त संस्करणों को फिर से जोड़ने के लिए एआई का उपयोग करने का भी सुझाव दिया।

इस अवसर पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री  राजीव चन्द्रशेखर, जीपीएआई के निवर्तमान अध्यक्ष और  जापान सरकार के नीति समन्वय, आंतरिक और संचार मंत्रालय के उप-मंत्री हिरोशी योशिदा और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव  एस कृष्णन एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।