Dinosaur Museum

गुजरात के बालासिनोर के पास रैयाली का डायनासोर म्युजियम

Dinosaur Museum

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी

गुजरात के बालासिनोर के पास रैयाली (Raiyoli near Balasinor) के डायनासोर म्युजियम  (Dinosaur Museum ) और फोसिल पार्क  (Fossil Park)  को विकसित करने का निर्णय लिया है।

डायनासोर म्युजियम (Dinosaur Museum ) और फोसिल पार्क को थ्रीडी टेक्नोलॉजी  के साथ विश्व पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग को 10 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि आवंटित की जाएगी।

रैयाली में देश के पहले और विश्व के तीसरे डायनासोर म्युजियम (Dinosaur Museum ) और फोसिल पार्क का लोकार्पण गुजरात के मुख्यमंत्री  विजय रूपाणी ने 8 जून को किया था

करीब साढ़े छह करोड़ वर्ष पूर्व महिसागर तहसील- बालासिनोर के रैयाली गांव (Raiyoli village) के महाकाय डायनासोर की विभिन्न प्रजातियां सजीव सृष्टि अस्तित्व में थी।

इसके जीवाश्म (फोसिल) अवशेष ठंडे होकर पत्थर बन चुके अंडों और विभिन्न संसोधनों को शामिल कर विश्व का तीसरा और भारत का सर्वप्रथम डायनासोर जीवाश्म उद्यान बनाया गया है।

1980 के समयकाल में रैयाली में खुदायी के दौरान क्रिस्टेशियश युग के डायनासोर के अंडे और अवशेष मिले थे।

खोजकर्ताओं ने यहां नयी प्रजाति के अवशेष खोज निकाले थे।

जियोलोज़िकल सर्वे ऑफ इंडिया के मतानुसार डायनासोर जीवाश्म का एक अदभुत संग्रह रैयाली में है।

विश्व के अन्य भागों में जो डायनासोर के अवशेष मिले हैं, उनकी तुलना में रैयाली में मिले विभिन्न प्रकार के डायनासोर के अवशेष अति दुर्लभ और संशोधन के लिए महत्वपूर्ण हैं। साढ़े छह करोड़ वर्ष पुराने यह अवशेष हैं, ऐसा माना जाता है।

इन अंडों के काल की गणना का अभ्यास करने पर पता चला कि भारत की जीवसृष्टि और संस्कृति छह हजार करोड़ वर्ष से भी ज्यादा पुरानी है।

विशालकाय डायनासोर लगभग 65 मिलियन वर्ष के इतिहास को बतलाते हैं।

छोटे से रैयाली ने जीवाश्म संशोधन नक्शे में अपना नाम अंकित किया है। उद्यान के साथ ही आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का उपयोग कर 10 गैलेरी वाला संग्रहालय निर्मित किया गया है।

यह पार्क लुप्त हो चुकी प्रजाति डायनासोर के उद्भव से लुप्त होने तक के इतिहास की जानकारी देगा।

गुजरात पर्यटन निगम द्वारा विकसित इस स्थल को विश्व पर्यटन नक्शे में स्थान मिला है।

डायनासोर म्युजियम (Dinosaur Museum ) और फोसिल पार्क आने वाले विद्यार्थियों, खोजकर्ताओं , सैलानियों और पुरातत्वविदों को इन जीवाश्मों की अनेक गाथाएं जानने को मिलेंगी।

रूपाणी ने कहा कि  रैयाली अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हुआ है इसलिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे।

मुख्यमंत्री  रूपाणी ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि डायनासोर पार्क की स्थापना के साथ ही गुजरात ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

गुजरात की ऐतिहासिक धरती पर हड़प्पा की संस्कृति से लेकर लोथल- धोलावीरा सहित अन्य स्थलों से भी प्राचीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं। इनमें भगवान श्रीकृष्ण की द्वारिका नगरी का भी उल्लेख है। गुजरात में ड्यानासोर के अवशेष भी बालासिनोर की धरती पर मिले हैं, जिसे उजागर कर पर्यटन निगम ने गुजरात और दुनिया को नजराना प्रदान किया है।

रैयाली गांव की धरती गुजरात के प्रागैतिहासिक युग की गवाही है ।

स्टीवन स्पीलबर्ग ने जुरासिक पार्क नामक फिल्म बनायी थी। वर्ष 1993 में रिलीज़ इस फिल्म हर आयु के व्यक्ति को रोआंचित कर दिया था। लोगों ने पहली बार विशालकाय छिपकली जैसे प्राणी डायनासोर को सिनेमा के पर्दे पर निहारा था।

अब तक जो रोमांच हमारा सबने सिर्फ फिल्मों में और टीवी पर देखा था, वही रोमांच गुजरात में इस पार्क में देख सकेंगे और जानकारी भी हासिल कर सकेंगे।