Tripal Talaq

तीन तलाक पर रोक का विधेयक संसद के आगामी सत्र में

केन्द्र सरकार संसद में मुस्लिम महिलाओं के शादी के अधिकारों की रक्षा करने वाला तीन तलाक विधेयक  (Triple talaq bill ) संसद में  पेश करेगी।

इस संबंध में बुधवार को नई सरकार ने अपने मंत्रिमण्डल की पहली बैठक में यह निर्णय लिया।

प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों की रक्षा) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी है।

तीन तलाक विधेयक (Triple talaq bill ) मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों की रक्षा) दूसरे अध्‍यादेश, 2019 (2019 के अध्‍यादेश 4) का स्‍थान लेगा।

सरकार का मानना है कि यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं को लिंग समानता प्रदान करेगा और न्‍याय सुनिश्चित करेगा।

तीन तलाक विधेयक (Triple talaq bill ) विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में मदद करेगा और उनके पति द्वारा ‘तलाक-ए-बिद्दत’ से तलाक लेने से रोकेगा।

  • इस विधेयक में तीन तलाक की परिपाटी को निरस्‍त और गैर-कानूनी घोषित किया गया है।
  • इसे तीन वर्ष के कारावास और जुर्माने के साथ दंडनीय अपराध माना गया है।
  • इसमें विवाहित मुस्लिम महिलाओं और उनके आश्रित बच्‍चों को गुजारा-भत्‍ता देने की व्‍यवस्‍था है।
  • इस विधेयक में अपराध को संज्ञेय बनाने का प्रस्‍ताव है, यदि पुलिस थाने के प्रभारी को उस विवाहित मुस्लिम महिला अथवा उसके किसी नजदीकी रिश्‍तेदार द्वारा अपराध होने के संबंध में सूचना दी जाती हैजिसे तलाक दिया गया है।
  • जिस विवादित मुस्लिम महिला को तलाक दिया गया हैउसकी जानकारी के आधार पर मजिस्‍ट्रेट की इजाजत से अपराध को कठोर बनाया गया है।
  • विधेयक में मजिस्‍ट्रेट द्वारा आरोपी को जमानत पर रिहा करने से पहले उस विवाहित मुस्लिम महिला की बात सुनने का प्रावधान किया गया हैजिसे तलाक दिया गया है।

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों की रक्षा) विधेयक, 2019 मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों की रक्षा) दूसरे अध्‍यादेश, 2019 (2019 के अध्‍यादेश 4) के समान है।