चुनाव आयोग

विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान मीडिया के बारे में चुनाव आयोग के निर्देश

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव 2018 के लिए  चुनाव अवधि के दौरान मीडिया करवेज के बारे में चुनाव आयोग ने आवश्यक निर्देश जारी किये है।

निर्वाचन आयोग चुनावों की घोषणा के समय से लेकर उसकी समाप्ति और चुनाव परिणामों की घोषणा होने तक समाचार प्रसारकों द्वारा किये गए प्रसारणों निगरानी करेगा।

प्रसारकों द्वारा किसी प्रकार के उल्लंघन के बारे निर्वाचन आयोग की ओर से एनबीएसए को मिली शिकायतों पर नियम के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।

निर्वाचन आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि ओपिनियन पोल के बारे में रिपोर्ट करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए ताकि वे सही और निष्पक्ष हो।   दर्शकों के लिए इस बात का खुलासा होना चाहिए कि  इन ओपिनियन पोलों के लिए शुरूआत, संचालन और भुगतान किसने किये हैं।

विज्ञप्ति के मुख्य बिन्दु इस प्रकार हैं जिनका ध्यान मीडिया को रखना है :

  • जहां तक संभव हो प्रसारकों को मतदान प्रक्रिया, मतदान का महत्व, मतदान का समय और स्थान, और मतपत्र की गोपनीयता के बारे में मतदाताओं को प्रभावी तौर पर शिक्षित करने के लिए कार्यक्रम चलाना चाहिए।
  • समाचार प्रसारकों को कोई अंतिम, औपचारिक और निश्चित परिणाम प्रसारित नहीं करना चाहिए जबतक की निर्वाचन अधिकारी द्वारा ऐसे परिणामों की औपचारिक घोषणा न की गई हो।
  • तथापि ऐसे परिणामों को इस स्पष्ट घोषणा के साथ दर्शाना चाहिए की वे गैर-अधिकारिक अथवा अपूर्ण अथवा अनुमान पर आधारित हैं, जिन्हें अंतिम परिणामों के रूप में नहीं लेना चाहिए ।
  • समाचार प्रसारकों को अपने समाचार चैनलों पर प्रसारित संपादकीय और विशेषज्ञों की राय के बीच स्पष्ट अन्तर कायम रखना चाहिए।
  • ऐसे समाचार प्रसारक जो राजनीतिक दलों से प्राप्त दृश्य सामग्री का इस्तेमाल करते हैं, वे उन्हें इसकी घोषणा करनी चाहिए और उसे समुचित रूप से चिन्हित करना चाहिए।
  • समाचार प्रसारकों ऐसे सभी राजनीतिक वित्तीय दबावों से बचना चाहिए, जिससे चुनाव और संबंधी मामले का करवेज प्रभावित हो।
  • यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि चुनावों और चुनाव संबंधी सामग्रियों से जुड़े समाचारों/कार्यक्रमों का प्रत्येक हिस्सा घटनाओं, तिथियों, स्थानों और उद्धरणों से जुड़े सभी तथ्यों के अनुसार सही-सही हो।
  • यदि गलती से अथवा असावधानी से कोई गलत सूचना प्रसारित हो जाए तो ऐसे में प्रसारक जिनता जल्दी संभव हो, संज्ञान मिलने के साथ ही, उसे शुद्ध करना चाहिए।
  • समाचार प्रसारकों, उनके पत्रकारों और अधिकारियों को कोई धन अथवा उपहार अथवा कोई अन्य प्रलोभन स्वीकार नहीं करना चाहिए, जिससे प्रसारक अथवा उनके कर्मचारी प्रभावित होते हैं अथवा प्रभावित होते दिखाई पड़ते हैं, हितों का कोई टकराव हो अथवा विश्वसनीयता प्रभावित हो।
  • समाचार प्रसारकों को किसी रूप में घृणा पैदा करना वाला वक्तव्य अथवा कोई आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित नहीं करना चाहिए, जिससे हिंसा फैले अथवा लोगों के बीच उपद्रव अथवा गड़बड़ी को बढ़ावा मिले, क्योंकि निर्वाचन कानूनों के तहत सामुदायिक अथवा जाति गत आधार पर चुनाव अभियान प्रतिबंधित है।
  • निर्वाचन नियमावली के अनुसार साम्प्रदायिक अथवा जातिगत आधार पर चुनाव अभियान चलाना प्रतिबंधित है। इसलिए पत्र-पत्रिकाओं को ऐसी रिपोर्टों से परहेज करना चाहिए जो धर्म, प्रजाति, जाति, समुदाय अथवा भाषा के आधार पर लोगों के बीच दुश्मनी अथवा घृणा की भावना को बढ़ावा देती हो।
  • पत्र-पत्रिकाएं किसी उम्मीदवार/पार्टी के प्रचार के लिए किसी प्रकार का लाभ, वित्तीय अथवा अन्य, स्वीकार नहीं करेंगे। ये किसी उम्मीदवार/पार्टी की ओर से अथवा उनके द्वारा प्रस्तावित आतिथ्य अथवा कोई अन्य सुविधाएं स्वीकार नहीं करेंगे।
  • पत्र-पत्रिकाओं से किसी खास उम्मीदवार/पार्टी की सिफारिश करने में शामिल होना अपेक्षित नहीं है। यदि यह ऐसा करते हैं तो इससे अन्य उम्मीदवार/पार्टी को उत्तर देने के अधिकार को अनुमति मिलेगी।
  • पत्र-पत्रिकाएं सत्ताधारी पार्टी/सरकार की उपलब्धियों के बारे में सरकारी खजाने के खर्च पर कोई विज्ञापन स्वीकार/प्रकाशित नहीं करेंगे।
  • पत्र-पत्रिकाएं निर्वाचन आयोग/निर्वाचन अधिकारी अथवा मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से समय-समय पर जारी सभी निर्देशों/आदेशों/दिशानिर्देशों का पालन करेंगे।