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अधिकारी वैट के लंबित रिफंड दावों का निपटारा शीघ्र करें

नई दिल्ली, 22 सितंबर (जनसमा)। वित्त मंत्रालय ने राज्‍य सरकारों के साथ-साथ केन्‍द्र सरकार के अधिकारियों से आग्रह किया गया है कि वे जीएसटी लागू होने से पहले की अवधि वाले केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क एवं वैट के लंबित रिफंड दावों का निपटारा कर दें, ताकि निर्यातकों को तत्‍काल राहत मिल सकें।

मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति जारी कर अनेक शंकाओं का समाधान किया है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किये जाने के बाद निर्यातकों की कार्यशील पूंजी पर रोक लगाने की समस्‍या को लेकर मीडिया में व्‍यापक आशंकाएं जताई जा रही हैं। इस तरह की राशि पर रोक लगाये जाने के संबंध में विभिन्‍न तरह के आंकड़ों पर चर्चाएं भी की जा रही हैं, जो ख्‍याली अनुमान हैं। मीडिया में आई इस तरह की रिपोर्ट तथ्‍यों पर आधारित नहीं हैं।

मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति इसप्रकार है :

“सबसे पहले इस बात का उल्‍लेख किया जा सकता है कि निर्यात के 66 फीसदी मूल्‍य के संबंध में निर्यातकों ने जीएसटी पूर्व व्‍यवस्‍था में इनपुट टैक्‍स का वास्‍तविक रिफंड लेने के बजाय ड्यूटी ड्रॉबैक स्‍कीम को वरीयता दी है।

जीएसटी लागू होने के बाद ड्यूटी ड्रॉबैक स्‍कीम की अवधि को वास्‍तव में तीन माह अर्थात 30 सितम्‍बर, 2017 तक बढ़ा दिया गया। इसके तहत शर्त यह रखी गई कि निर्यातक ने जीएसटी के तहत इनपुट टैक्‍स क्रे‍डिट न लिया हो।

इसका मतलब यही है कि अब त‍क निर्यात के 66 फीसदी मूल्‍य के लिए धनराशि पर कोई रोक नहीं लगाई गई है।

शेष 33 फीसदी निर्यातक केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क के लिए अलग से एवं वैट के लिए भी अलग से इनपुट (कच्‍चे माल) पर अदा किये गये करों के लिए सामान्‍य रिफंड रूट को सदा ही वरीयता देते थे और यह उन्‍हें केवल तभी उपलब्‍ध कराया गया, जब निर्यात वास्‍तव में हो जाया करता था।

इस तरह के निर्यातकों के मामले में कम से कम 5-6 महीनों की अवधि के लिए धनराशि पर सामान्‍य रोक पहले भी लगाई जाती थी। इनमें अग्रिम अधिकार पत्र की सुविधा का उपयोग करने वाले निर्यातक शामिल नहीं हैं। अत: समस्‍या उतनी गंभीर नहीं है, जितनी बताई जा रही है।

इसके बावजूद निर्यात पर गठित समिति निर्यात क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर काम कर रही है।

कई लोग इस तरह की अटकलें लगा रहे हैं कि जीएसटी के तहत निर्यात के मामले में कच्‍चे माल पर रिफंड केवल तभी मिलेगा, जब प्रत्‍येक म‍हीने नियमित फॉर्म जीएसटीआर-3 दाखिल किया जाएगा। हालांकि, ऐसी बात नहीं है।

हम फॉर्म जीएसटीआर-3बी के साथ फॉर्म जीएसटीआर-1 को लिंक करके रिफंड देने का तरीका ढूंढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। अत: जुलाई माह के लिए, जिस दौरान फॉर्म जीएसटीआर-1 पहले ही दाखिल किया जा चुका है, अधिकारीगण रिफंड आवेदनों की प्रोसेसिंग करने की स्थिति में होंगे।

इसलिए जिन निर्यातकों ने जुलाई, 2017 के लिए फॉर्म जीएसटीआर-1 को अब तक दाखिल नहीं किया है, उन्‍हें यह सलाह दी जा सकती है कि वे इसे तत्‍काल दाखिल कर दें और तय समयसीमा का इंतजार न करें।

रिफंड से संबंधित जीएसटीएन आवेदन पत्र को भी तैयार किया जा रहा है। लेकिन इस बीच हम रिफंड देने के अन्‍य तरीके भी ढूंढ रहे हैं। यदि आवश्‍यक हुआ, तो मैनुअल प्रक्रिया के जरिेये भी हम रिफंड कर सकते हैं। “