Seshan

वोट की ताकत का अहसास कराने वाले पूर्व मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त शेषन नहीं रहे

मतदाताओं में भरोसा पैदाकर लोगों को वोट की ताकत का अहसास कराने वाले पूर्व मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त  (Chief Election Commissioner ) तिरुनेलई नारायण अय्यर शेषन (टी.एन. शेषन)  (T N Seshan) का  10 नवंबर को देर रात चेन्‍नई में  देहांत हो गया।

वे 87 साल के थे। 1996 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित  स्व. टी.एन. शेषन (T N Seshan) का जन्म 15 दिसंबर 1932 को पलक्कड़में हुआ था।

वे भारत के 10वें मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त (Chief Election Commissioner ) थे।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी (Narendra Modi) ने  टी.एन. शेषन (T N Seshan) के निधन पर शोक व्‍यक्‍त करते हुए ट्वीट में कहा   “श्री टी. एन. शेषन एक उत्कृष्ट सिविल सेवक थे। उन्होंने अत्यंत परिश्रम और निष्ठा के साथ भारत की सेवा की। चुनावी सुधारों के प्रति उनके प्रयासों ने हमारे लोकतंत्र को मजबूत और अधिक भागीदारी वाला बनाया है। उनके निधन से पीड़ा हुई। ओम शांति।”

स्व. शेषन को देश के अनेक बड़े नेताओं,संसद सदस्यों, बुद्धिजीवियों, आध्यात्मिक गुरूओं आदि ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी है।

स्व. शेषन को सम्‍मान देने के लिए 11 नवंबर, 2019 को निर्वाचन सदन में एक शोक सभा का आयोजन किया गया।

निर्वाचन आयोग ने अपने शोक संदेश में कहा है कि देश के 10वें मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त श्री टी.एन. शेषन (T N Seshan) के दु:खद निधन पर हार्दिक शोक व्‍यक्‍त करता है।

स्व. टी.एन. शेषन (T N Seshan)भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1955 बैच के तमिलनाडु कैडर के प्रतिभाशाली अधिकारी थे। भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में विभिन्न पदों पर कार्य करने के बाद, वे 12 दिसंबर, 1990 से लेकर 11 दिसंबर, 1996 तक देश के मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त रहे।

इससे पहले, वे कैबिनेट सचिव भी रहे थे। स्व.शेषन ने अपने पद के उच्‍च मानक स्‍थापित किए। अपने जीवन काल में किवदंती बने स्व. शेषन हमेशा हमारे लिए, सभी मुख्‍य चुनाव आयुक्‍तों के लिए और चुनाव आयोग के लिए आने वाले समय में प्रेरणा स्रोत रहेंगे।

स्व.शेषन ने चुनावी प्रक्रिया में काफी बदलाव किए। मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त के संवैधानिक पद पर रहते हुए उन्‍होंने चुनावी धांधलियों, हिंसा और बाहुबल के प्रयोग पर सख्‍त रुख अपनाते हुए निर्वाचन आयोग की प्रतिष्‍ठा को ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। जब तक वे पद पर बने रहे, निर्वाचन आयोग का स्‍तर ऊंचा रहा।

उन्‍होंने संविधान के अनुच्‍छेद 324 के तहत निर्वाचन आयोग को प्रदत्‍त स्‍वायत्‍ता और अधिकारों को पुन:स्‍थापित किया। चुनावी प्रक्रिया की केवल एक प्रबंधन के रूप में निगरानी करने से इंकार करते हुए उन्‍होंने धन, शराब, बाहुबल, वोट कैप‍चरिंग जैसी बुराइयों से चुनाव को मुक्‍त करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य किया।

एक नौकरशाह के करियर से उन्‍होंने भारत के मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त के रूप में अपने आपको इस रूप में पुन:स्‍थापित किया, जिसने लोगों को उनके वोट की ताकत की याद दिलाई।

शेषन सही समय पर, सही स्‍थान पर, बैठने वाले सही व्‍यक्ति थे। वे चुनावी भ्रष्‍टाचार के खिलाफ धर्म-युद्ध का प्रतीक बन गए थे। उन्‍होंने ऐसा माहौल और चेतना पैदा की, जिसके द्वारा नागरिकों ने यह अनुभव किया कि वे चुनाव में मुख्‍य हितधारक हैं।

सेवानिवृत्ति के बाद उन्‍होंने अपने जीवन के अंतिम 22 वर्ष चेन्‍नई में शांतिपूर्वक व्‍यतीत किए। कुल मिलाकर वे लोगों के लिए जीवित किवदंती बन गए थे। वे हमेशा युवा मतदाताओं के साथ-साथ बुजुर्गों की कल्‍पना को भी मंत्रमुग्‍ध करते रहे। वे उत्‍कृष्‍ट सांस्‍कृतिक मूल्‍यों से परिपूर्ण थे, जिसका उन्‍होंने कठिन समय में भी पालन किया।

वे हमेशा चुनाव आयोग और राष्‍ट्र के लिए आदर्श बने रहेंगे। श्री शेषन अपने पीछे आयोग की समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं और वे हमेशा निर्वाचन आयोग में प्रेरणा प्रदान करते रहेंगे। हम दिवंगत आत्‍मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और अपनी शोक संवेदना व्‍यक्‍त करते हैं।