बंगाल व केरल की सरकारें राष्ट्रविरोधी शक्तियों की सहायक : भागवत

Bhagwat

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 92वें स्थापना दिवस के अवसर पर शस्त्र पूजा करते मोहन भागवत

नागपुर,  30 सितम्बर  (जनसमा)। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को नागपुर में विजय दशमी के अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि बंगाल व केरल की सरकारें व प्रशासन अपने संकुचित राजनीतिक स्वार्थ के चलते राष्ट्रविरोधी शक्तियों की सहायता कर रही हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 92वें स्थापना दिवस के अवसर पर उन्होंने केन्द्र सरकार से अपेक्षा की कि इन राज्यों में चल रही राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को निष्फल करना होगा।

सर संघचालक भागवत ने कहा कि सीमापार से होनेवाली गौ-तस्करी सहित सभी प्रकार की तस्करी चिन्ता का विषय बनी हुई है।

रोहिंग्या मुसलमानों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि देश में पहले से ही अनधिकृत बंगलादेशी घुसपैठियों की समस्या है, अब म्यांमार से खदेडे गये रोहिंग्या भी घुसे हैं तथा बहुत अधिक संख्या में घुसने को तैयार हैं। देश की सुरक्षा व एकात्मता पर संकट ही बनेंगे यह ध्यान में रखकर ही उनका विचार व निर्णय करना चाहिये।

भागवत ने कहा कि म्यांमार में  लगातार चलती आयी उनकी अलगाववादी हिंसक व अपराधी गतिविधि तथा आतंकियों से साठगांठ ही वहाँ से उनके खदेडे जाने का मुख्य कारण है।

सेना के जवानों की चर्चा करते हुए आरएसएस प्रमुख ने सैनिकों को पर्याप्त साधनसंपन्न बनाये जाने पर जोर देते हुए कहा कि देश के सीमाओं की व देश की अंतर्गत सुरक्षा का व्यवस्थागत दायित्व सेना, अर्धसैनिक व पुलिस बलों का होता है।  परंतु देश के सूचना तंत्र के साथ तालमेल बिठाना, उनकी तथा उनके परिवारों के कल्याण की चिंता करना, युद्धसाधनों में देश को आत्मनिर्भर बनाना, इन बलों में पर्याप्त मात्रा में नई भरती व प्रशिक्षण देने में शासन को अधिक गति  बढ़ानी पडेगी तथा इन बलों से शासन को सीधा संवाद बढ़ाना पडेगा।

उन्होंने कृषि क्षेत्र की चर्चा करते हुए कहा कि हमारा किसान स्वभाव से न केवल अपने परिवार काए अपितु सबका भरणपोषण करनेवाला है। वह आज दुखी है। वह बाढ, अकाल , आयात निर्यात नीति , फसल बढाने पर भारी कर्जे की व कम भाव की व फसल बरबाद होनेपर सब तरह से नुकसान की मार झेलकर निराश होने लगा है।