विकास, संस्कृति एवं परम्पराओं का संरक्षण साथ-साथ चलना चाहिए : वीरभद्र

शिमला, 12 सितंबर (जस)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सोमवार को कुल्लू जिले के बंजार में एक विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि रघुनाथ मंदिर किसी की निजी संपत्ति नहीं है और समूची कुल्लू घाटी के लोग इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। यह कुल्लू दशहरे का प्रमुख देवता है और लोगों की इसमें अटूट आस्था है। उन्होंने कहा कि हम सभी कुल्लू राजघराने के शुभचिंतक हैं, लेकिन न्यास का गठन घाटी के लोगों के समग्र हित को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
वीरभद्र ने राज्य के पुराने मंदिरों, विशेषकर पारम्परिक वास्तुकला से निर्मित मंदिरों के संरक्षण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमारा जीवन हमारे देवी देवताओं के इर्द-गिर्द घूमता है और हर कीमत पर इनके संरक्षण की आवश्यकता है। विकास, संस्कृति एवं परम्पराओं का संरक्षण साथ-साथ चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार के पास मंदिरों के जीर्णोद्धार एवं मरम्मत के लिए पर्याप्त धनराशि मौजूद है बशर्ते इन्हें पुरानी वास्तुकला से निर्मित किया जाए।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य में ‘निरीक्षण निदेशालय’ का गठन किया जा रहा है जो दूरवर्ती एवं पिछड़े क्षेत्रों के स्कूलों में औचक निरीक्षण कर यह पता लगाएगा कि अध्यापक पाठशाला में उपस्थित हैं अथवा अनुपस्थित रहते हैं। उन्होंने स्कूलों में ग्रेडिंग प्रणाली का विरोध करते हुए कहा कि अब पांचवी कक्षा से लेकर परीक्षाएं हांगी ताकि विद्यार्थियों को दी जा रही शिक्षा के स्तर का आंकलन किया जा सके।
वीरभद्र ने कहा कि इस अवधि के दौरान राज्य में विभिन्न जलापूर्ति योजनाओं पर 773 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गत 45 महिनों के दौरान कुल 6949 अतिरिक्त बस्तियों को ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अन्तर्गत शामिल किया गया है तथा पानी की कमी वाले क्षेत्रों में 4887 हैंडपंप स्थापित किए गए हैं जबकि 400 करोड़ रुपये व्यय करके 10,586 हैक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा प्रदान की गई है।