सेंसर बोर्ड समलैंगिता के प्रति दुर्भावना नहीं रखता : पहलाज

मुंबई, 7 नवंबर | केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष पहलाज निहलानी का कहना है कि यह संस्था समलैंगिकता के प्रति न तो कोई दुर्भावना रखती, और न तो समलैंगिक प्यार से संबंधित सामग्री के लिए अलग दिशा-निर्देश का अनुसरण ही करती है।

हाल में जारी हुए शरीफ डी. रांगणेकर के म्यूजिक वीडियो ‘मिस यू’ पर काफी हो-हल्ला मचा है। इसमें दो पुरुषों को प्यार में, प्यार करते हुए, लड़ते-झगड़ते हुए, अलग होते हुए और एक-दूसरे को याद करते हुए दिखाया गया है। सीबीएफसी ने इस म्यूजिक वीडियो को ‘ए’ प्रमाणपत्र दिया, जिस कारण यह सवाल उठता है कि सेंसरबोर्ड समलैंगिकता के प्रति दुर्भावना रखता है।

इस पर निहलानी ने कहा, “ऐसा हरगिज नहीं है।”

निहलानी ने कहा, “हमें दो प्रेमियों के लिंग को लेकर न कोई समस्या है, और न चिंता ही, बशर्ते कि उनके आचरण हमारे पास मौजूद दिशा-निर्देशों के दायरे में हों।”

ऐसा माना जाता है कि सेंसर बोर्ड ने हंसल मेहता की फिल्म ‘अलीगढ़’ और पान नलिन की फिल्म ‘एंग्री इंडियन गॉडेसेस’ में समलैंगिक दृश्यों पर कैची चलाई थी।

लेकिन निहलानी इस आरोप को खारिज करते हैं। उन्होंने कहा, “किरदार के लिंग के आधार पर कोई कट नहीं किया गया है। हम समलैंगिक सामग्री वाली फिल्म का मूल्यांकन उसी पैमाने पर करते हैं, जिस पर विषमलिंगी सामग्री वाली फिल्म का मूल्यांकन किया जाता है।”

निहलानी ने इस म्यूजिक वीडियो के बारे में कहा, “हमने 15 दिन पहले ही ‘ए’ प्रमाण-पत्र और एक कट के साथ म्यूजिक वीडियो ‘मिस यू’ को मंजूरी दे दी थी। अब इस पर इतना हो-हल्ला क्यों? मुझे आशंका है कि फिल्मकार अपनी तरफ लोगों का ध्यान खींचने के लिए इस तरह के रास्ते अख्तियार कर रहे हैं। अपने काम की तरफ लोगों का ध्यान खींचने के लिए सेंसर बोर्ड को दोषी ठहराने का तिकड़म कारगर नहीं होगा।”

===सुभाष के. झा 

(फाइल फोटो)