India, Magic of soil helps build low-carbon buildings

भारत: मिट्टी के ‘जादू’ से निम्न-कार्बन इमारतों के निर्माण में मदद

भारत के बेंगलुरू शहर में स्थित वास्तुकला कम्पनी ‘मेसंस इंक’ की सह-संस्थापक रोज़ी पॉल कहती हैं, ” ज़्यादातर वास्तुकार, जलवायु परिवर्तन के बारे में सोचना ज़रूरी नहीं समझते, लेकिन हम इस सोच में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं. ”

“हमें यह स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन, सीधे आपके घर की इमारतों पर असर करता है. इसलिए सहनसक्षम संरचनाओं का निर्माण करना ज़रूरी है.“

रोज़ी पॉल और सोलह साल से उनकी घनिष्ट मित्र रहीं श्रीदेवी चंगाली, मिट्टी के टिकाऊ गुणों पर आधारित निर्माण की भारत की प्राचीन विरासत को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं. मिट्टी के ये गुण, उच्च-कार्बन निर्माण की आधुनिक समस्या से निपटने के लिए आदर्श हैं.

पेरिस में 7-8 मार्च 2024 को Buildings and Climate Global Forum आयोजित किया गया है, जिसमें रोज़ी और श्रीदेवी समेत लगभग 800 लोग शिरकत करेंगे.

नमी सोखने की क्षमता
मिट्टी का जादू? इसकी हवा की आवाजाही की क्षमता से घर में आर्द्रता बनी रहती है, घर की वायु गुणवत्ता में सुधार होता है, और सीमेंट की बनी दीवारों के विपरीत, यह नमी व फफूंदी को पनपने नहीं देती.

मिट्टी की दीवारों का उच्च तापीय द्रव्यमान (high thermal mass) होता है यानि वे धीरे-धीरे सौर विकिरण से गर्मी को अवशोषित करके, संग्रहीत करती हैं, और फिर इसे रात में तापमान ठंडा होने पर छोड़ती हैं. इससे एयर कंडीशनिंग इकाइयों की कम ज़रूरत पड़ती है, जो न केवल बड़ी मात्रा में बिजली की खपत करते हैं बल्कि इनमें मौजूद शीतलन तत्व शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार होते हैं.

चूँकि मिट्टी आसानी से उपलब्ध है, इसलिए इससे परिवहन लागत व कार्बन पदचिह्न की समस्या भी ख़त्म हो जाती है. श्रीदेवी बताती हैं, “इसका विनिर्माण और प्रसंस्करण स्थानीय समुदाय करता है. मतलब यह कि इसे अपनाकर आप बड़े विनिर्माण संयंत्रों तथा कम्पनियों के बजाय स्थानीय लोगों की आजीविकाएँ लौटा रहे हैं.”

क्या इसका समाधान मिट्टी हो सकता है? रोज़ी और श्रीदेवी जैसे आर्किटैक्ट, टिकाऊ संरचनाओं का निर्माण करने के लिए कच्ची मिट्टी से घर बनाने की परम्परा को पुनर्जीवित कर रहे हैं. मिट्टी से बनी इमारतें, अचानक आई बाढ़ और तीव्र गर्मी जैसी चरम मौसम की घटनाओं का भी मज़बूती से सामना करने में सक्षम होती हैं.

महिला मज़बूती के प्रयास
यही नहीं, वो अधिक से अधिक महिलाओं को वास्तुकला की पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रेरित कर रही हैं और अपने कार्य क्षेत्र में महिलाओं को पत्थर चिनाई जैसे कौशल में प्रशिक्षित कर रही हैं.

रोज़ी कहती हैं, “मुझे लगता है कि जैसे ही आप लैंगिक मुद्दों के बारे में बात करना शुरू करते हैं, तो वो अपने-आप पुरुष बनाम महिला हो जाता है. लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है. हम केवल यह कह रहे हैं कि, ऐसे मुद्दे हैं जो हम पेशे में महसूस कर रहे हैं और हमें इसे बदलने के लिए समर्थन की आवश्यकता है.”

“आइए हम वास्तुकला कम्पनियों में अधिक महिलाओं को रोज़गार दें. आइए, निर्माण स्थलों पर अधिक महिलाओं को शामिल करें. आइए, सुरक्षा पहलुओं पर ध्यान दें. अहम यह है कि उनके रास्ते में आने वाली बाधाओं पर सवाल उठाया जाए और अधिक से अधिक लोगों को इनके ख़िलाफ़ लड़ने के लिए प्रेरित किया जाए. ”

उनके शुरुआती समर्थकों में उनके ग्राहक थॉमस पय्यापिल्ली हैं, जिनकाे मिट्टी के घर के निर्माण में ‘मेसन इंक’ ने, न्यूनतम अपशिष्ट का इस्तेमाल किया था.

उन्होंने बताया कि इसके निर्माण में दो कारक विशेष हैं: न्यूनतम सम्भव लागत और पर्यावरण पर सबसे कम प्रभाव. उनका यह मैदान, अब यह पूरी तरह से प्रमाणित जैविक स्थल है.

उनकी एक अन्य ग्राहक हैं, सिंधूर पंगल, जिनका मिट्टी का घर, उनके असंतुष्ट शहरी अस्तित्व से प्रस्थान का प्रतीक है, “बहुत से लोगों की ही तरह, मैंने भी कॉर्पोरेट जगत में अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन कुछ समय बाद, उस तरह के जीवन से मेरा मोहभंग हो गया था.” वो ग्रामीण इलाक़ों में जाकर कुछ ऐसा करने की कोशिश कर ही रही थीं कि उनके पति उत्तम की अचानक मृत्यु हो गई जिससे उनके जीवन ने दुखद मोड़ ले लिया.

“जब मैंने मेसंस इंक से बात की, तो मेरे लिए यह महत्वपूर्ण था कि वो मेरे पति उत्तम को भी जानते थे. उन्होंने मेरी यात्रा को समझा. उन्होंने समझा कि मैं क्या करना चाह रही हूँ. और इस तरह यह सब बन गया.” ‘मेसंस इंक’ और सिंधूर ने यह घर बनाने के लिए राजमिस्त्रियों की एक महिला टीम के साथ काम किया.

वह कहती हैं, ” इसे मैं अपने पति को समर्पित करती हूँ, उस प्यार और जीवन को, जो मैंने उनके साथ जिया था. “

रोज़ी और श्रीदेवी का मानना है कि जब बात जलवायु संकट की हो तो हम सभी बड़े बदलाव लाने में योगदान दे सकते हैं.

“महिलाओं के लिए, आप जहाँ भी हों, आपका पेशा जो भी हो, कोई फ़र्क नहीं पड़ता, अगर आप घर पर ही रहती हों. मुझे लगता है कि जलवायु कार्रवाई के पूरे मामले में, ज़िम्मेदारी से, हम में से प्रत्येक को अपना छोटा सा योगदान देना चाहिए. और मैं अगली बार यहाँ अधिक महिलाओं को देखना चाहूँगी. और हर एक जगह अधिक महिला आर्किटैक्ट और ज़्यादा महिलाएँ. भविष्य स्त्रियों का है.”

पेरिस में 7-8 मार्च 2024 को Buildings and Climate Global Forum आयोजित किया गया है, जिसमें रोज़ी और श्रीदेवी समेत लगभग 800 लोग शिरकत करेंगे.
इस मंच को फ्रांस और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनेप) ने, भवन एवं निर्माण के लिए वैश्विक गठबंधन की मदद से सह-संगठित किया है. इसमें देशों के मंत्री तथा प्रमुख संगठनों के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधि एकत्रित होकर, संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन COP28 के बाद, सहनसक्षम व कार्बनमुक्त इमारतों के निर्माण के लिए, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को एक नई गति देने के प्रयास करेंगे.
इसके तहत, सरकारों को वैश्विक सहयोग के लिए वैश्विक सिद्धांतों व रूपरेखा वाले एक साझा घोषणापत्र का समर्थन करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा. फ़ोरम से जुड़ी महत्वाकाँक्षाओं को पूरा करने हेतु, भवन निर्माण क्षेत्र के सभी हितधारकों को, अपनी विशिष्ट प्रतिबद्धताएँ ज़ाहिर करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा.

साभार : संयक्त राष्ट्र समाचार