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कमल नाथ ने बेतरतीब होरहे शहरीकरण पर चिन्ता जाहिर की

देश में बेतरतीब होरहे शहरीकरण (urbanization) पर चिन्ता जाहिर करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री कमल नाथ (Kamal nath) ने सुझाव दिया कि उपनगरीयकरण (Suburbanization)  इसका उपाय है।

उन्होंने कहा कि शहरीकरण (urbanization) की समस्याओं के समाधान के लिए नीतियाँ राज्यों में बनायी जानी चाहिए।

कमल नाथ गुरूवार को नई दिल्ली में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और भारतीय उद्योग परिसंघ (The Confederation of Indian Industry ) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इंडिया इकोनॉमिक समिट (India Economic Summit ) के सत्र ‘यूनियन ऑफ स्टेट्स’ को संबोधित कर रहे थे।

मजबूत शहरी अधोसंरचना और स्थानीय शासन के मुद्दे पर मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि भारत का शहरीकरण (urbanization) अगले दशक की सबसे बड़ी मानवीय घटना होगी।

उन्होंने शहरीकरण (urbanization) के  मुद्दे से निपटने के लिए टाउन प्लानिंग (Town planing) जैसी बुनियादी बातों पर ध्यान देने के लिये आह्वान किया।

चर्चा में पंजाब के मुख्यमंत्री तथा मेघालय, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

उन्होंने कहा कि  राज्यों के लिए केन्‍द्र प्रोत्साहन देने की भूमिका निभाए और केन्द्रीय योजनाओं में राज्यों की हिस्सेदारी को बढ़ाए।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ ने यह माँग करते हुए कहा कि केन्‍द्र सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों और नीतियों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से राज्यों का विकास प्रभावित हो रहा है।

केन्‍द्र-राज्य संबंधों में केन्‍द्र सरकार की भूमिका पर मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि केन्‍द्र सरकार की भूमिका प्रोत्साहन देने वाली होनी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से यह बाधा डालने वाली सिद्ध हो रही है। केन्‍द्र की योजनाओं में राज्यों की हिस्सेदारी 90ः10 से घटकर 60ः40 हो रही है। इसके कारण कोई आर्थिक गतिविधि शुरू नहीं हो पा रही है।

उन्होंने कहा कि केन्‍द्र सरकार की भूमिका, राज्य सरकारों की क्षमता को सामने लाने की होनी चाहिए क्योंकि हर राज्य एक-दूसरे से अलग है और हर राज्य की अपनी विशेषताएँ हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जहाँ तक नीति आयोग की भूमिका का सवाल है, यह अनुसंधान और नीतियों के निर्धारण तक सीमित है। इसके पास कोई अधिकार नहीं हैं, जो पहले योजना आयोग के पास हुआ करते थे।

जीएसटी सुधारों के संबंध में कमल नाथ ने इसे ‘अप्रिय गाथा’ कहा, जिसे ठीक से लागू नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि अब तक जीएसटी नीति में लगभग तीन-चार सौ संशोधन किए जा चुके हैं।

कमल नाथ ने जीएसटी परिषद के फैसलों पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि इस विषय पर कोई बौद्धिक समझ नहीं थी। फैसले पूर्व निर्धारित थे। इसे लागू करने के तरीके अव्यवहारिक थे।

 

कमल नाथ ने कृषि में चुनौतियों के बारे में भी चिंता व्यक्त की।