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मोदी के दिल की बात और हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन

अहमदाबाद , 15 सितंबर (जनसमा)।  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा है कि वह 2022-23 में अहमदाबाद और मुंबई के बीच हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन में बैठकर यात्रा करें और एक सपने को साकार होते हुए देखें। यह दिल की बात प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना के भूमि पूजन  के अवसर पर कही।

प्रधान मंत्री के जन संबोधन की कुछ खास बातें यहां प्रस्तुत हैं :

  • आजादी के 70 सत्‍तर साल हुए हैं, साबरमती आश्रम की शताब्दी मना रहे हैं, मन में इच्‍छा है सपना है, जब आजादी के 75 साल हों 2022-23 में ये हम रेल का काम पूरा करें और जैसा आबे-सान ने कहा हम दोनों बैठकर के उसमें यात्रा करके उसका उद्दघाटन करें। जापान और भारत ने एक बार ठान ली तो ये भी हम करके रहेंगे ये मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं।
  •  हम भारतीयों और विशेषकर हम गुजराती और अहमदाबादी जब भी कोई चीज खरीदने जाते हैं, जब बिक्री की बात आती है तो बराबर तोल-मोल का हिसाब लगाते हैं, एक-एक पैसे का हिसाब लगाते हैं। घाटे और फायदे के रूप रंग बराबर चकासते हैं।
  • जब हम एक छोटा सा बाइक भी खरीदने के लिए जाएं और बैंक से लोन ले जाएं तो दस बैंकों में चक्‍कर काटेगें। एक बैंक में दस-दस बार जाएंगे और कम रेट से कम ब्‍याज दर से कौन लोन देगा, उसका जरा हिसाब लगाते हैं।
  •  8 प्रतिशत पर नहीं ले सकता 9 प्रतिशत पर नहीं ले सकता जरा कम करों। आधा परसेंट भी कोई कम कर दे तो खुशी मनाते हैं।
  • कल्‍पना कीजिए दोस्‍तों कोई ऐसा दोस्‍त, ऐसी बैंक नहीं मिल सकती जैसे भारत को आबे-सान जैसा दोस्‍त मिला है, जापान जैसा दोस्‍त मिला है।
  • अगर कोई ये कहे कि बिना ब्‍याज के ही लोन ले लो और दस बीस नहीं पचास साल में चुकाना, कोई यकीन करेगा क्‍या? लोगों को ऐसा बैंक नहीं मिलते, लेकिन भारत को ऐसा दोस्‍त मिला है जिसने बुलेट ट्रेन के लिए 88 हजार करोड़ रुपया, Eighty Eight Thousand Crore rupees सिर्फ 0.1 परसेंट, 0.1 प्रतिशत ब्‍याज दर से ये बुलेट ट्रेन के लिए पैसा देना का फैसला किया है।
  • जब ये प्रोजेक्‍ट पूरा होगा तो मुबंई और अहमदाबाद की दूरी दो से तीन घंटे के भीतर-भीतर पूरी की जा सकती है। अगर हम हवाई यात्रा से इसकी तुलना करें तो जितना समय यहां सें एयरपोर्ट जाने में वहां की औपचारिकता पूरी करने में और हवाई यात्रा के बाद अपने घर या अपने दफ्तर पहुंचने में जितना समय लगता है उससे भी आधे समय में ये High Speed Rail से मुबंई जा सकते हैं।
  • आप कल्‍पना कर सकते हें कितना बड़ा बदलाव आएगा। लोगों का कितना समय बचेगा। मुबंई अहमदाबाद सड़क रूट पर जो हजारों गाड़ियाँ हर रोज चला करती हैं, उसमें भी कमी आएगी इसका पर्यावरण पर भी positive impact होगा और जब इंधन बचेगा, तो विदेशी पूंजी भी बचेगी क्‍योंकि हमें सारा इंधन विदेशों से लाना पड़ता है।
  • टेक्‍नोलॉजी हमें भले जापान से मिल रही है लेकिन बुलेट ट्रेन के लिए अधिकांश संसाधन भारत में ही जुटाएं जाएगें। और इसलिए हमारे उद्योगों को भी World Class Equipment Manufacturing करने होंगे और उनकी समय पर सप्‍लाई भी करनी होगी। ‘Zero Defect, Zero Effect’ manufacturing पर बल देना पड़ेगा। इससे ‘Make in India’ को भी मजबूती मिलेगी।
  • Direct or Indirect Employment के हजारों अवसर भी ये प्रोजेक्‍ट अपने साथ लेकर कर के आ रहा है।