Constitution

मोदी ने कहा, देशवासियों ने संविधान पर आंच नहीं आने दी है

“अगर कभी कुछ इस तरह के प्रयास हुए भी हैं तो देशवासियों ने मिलकर के उनको असफल किया है। संविधान (Constitution) पर आंच नहीं आने दी है।”

यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद (Parliament) के संयुक्त सत्र (joint sitting) में 70वें संविधान दिवस (Constitution day) पर आज मंगलवार, 26 नवंबर,2019 को कही।

उन्होंने आगे कहा कि मैं जो कुछ हूं . वो समाज के लिए हूंए देश के लिए हू, यही कर्तव्य भाव हमारी प्रेरणा का स्त्रोत है। मैं आप सभी का आह्वान करता हूं कि हम सब इस संकल्प शक्ति के साथ मिलकर भारत के एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन करे।

उन्होंने कहा  “हमारा संविधान (Constitution) हमारे लिए सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ है। एक ऐसा ग्रंथ जिसमें हमारे जीवन की, हमारे समाज की, हमारी परंपराओं, हमारी मान्यताओं, हमारे व्यवहार, हमारे आचार उन सबके साथ का समावेश है। साथ-साथ अनेक चुनौतियों का समाधान भी है। हमारा संविधान (Constitution) इतना व्यापक इसलिए है क्योंकि इसमें हमें बाहरी प्रकाश के लिए अपनी खिड़कियां खोल रखी है। और उसके साथ-साथ भीतर का जो प्रकाश है उसको भी और अधिक प्रज्वलित करने का अवसर भी दिया है।”

उन्होंने कहा कि 26 नवंबर दर्द भी पहुंचाता है जब भारत की महान उच्च परम्‍पराएं, हजारों साल की सांस्कृतिक विरासत, वसुधैव कुटुम्बकम के विचार को लेकर के जीने वाली इस महान परंपरा उसे आज ही के 26 नवंबर के दिन मुंबई में आतंकवादी मंसूबो ने छलनी करने का प्रयास किया था। मैं आज उन सभी हुतात्माओं को नमन करता हूं।

मोदी ने कहा ‘‘सात दशक पहले इसी सेंट्रल हॉल में इतनी ही पवित्र आवाजों की गूंज थी, संविधान (Constitution) के एक.एक अनुच्छेद पर बारीकी से गहन चर्चा हुई। तर्क आए, तथ्य आए, विचार आए, आस्था की चर्चा हुई, विश्वास की चर्चा हुई, सपनों की चर्चा हुई, संकल्पों की चर्चा हुई। एक प्रकार से यह सदन, यह जगह ज्ञान का महाकुंभ था और जहां पर भारत के हर कोने की सपनों को शब्दों में मढ़ने का एक भरपूर प्रयास हुआ था।

प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ भीमराव बाबा साहेब अंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, पंडित नेहरू,  आचार्य कृपलानी जी, मौलाना आजाद, पुरूषोत्तम दास टंडन, सुचेता कृपलानी, हंसा मेहता, एलडी कृष्णस्वामी अय्यर, एन.गोपालास्वामी आयंगर, जॉन मथाई अनगिनत ऐसे महापुरूष जिन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष योगदान देकर के हमें इस महान विरासत को  हमारे हाथों में सुपुर्द की है। आज के इस अवसर पर मैं उन सभी महान विभूतियों को स्मरण करता हूं और उनका आदरपूर्वक नमन करता हूं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा “बाबा साहेब ने देश को याद दिलाया था कि भारत पहली बार 1947 में आजाद हुआ है या फिर 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र बना, ऐसा नहीं है। भारत पहले भी आजाद था और हमारे यहां अनेक Republic भी थे, और उन्होंने आगे व्यथा व्यक्त की थी लेकिन अपनी ही गलतियों से हमने अतीत में आजादी भी खोई है और Republic character भी गंवाया है। ऐसे में बाबा साहेब ने देश को चेताते हु, पूछा था कि हमें आजादी भी मिल गई, गणतंत्र भी हो गए, लेकिन क्या हम इसको बनाए रख सकते हैं। क्या अतीत से हम सबक ले सकते हैं। ’’