एनडीए सरकार ने सैनिकों के लिए उठाए कई कारगर कदम

मशीन के पीछे जो इंसान है वह भी पूरी तरह से तंदुरुस्त और सुविधा संपन्न होना चाहिए। पिछले तीन वर्षों के दौरान एनडीए सरकार का यह मिशन रहा है। जब लाखों डॉलर की लागत से हथियार प्रणालियों और विभिन्न उपकरणों को खरीदा जाता है, तो सेना के जवान और अधिकारी इनकी बेहतर तरीके से देखभाल करते हैं, ताकि युद्ध के समय इनका प्रभावशाली ढंग से इस्तेमाल किया जा सके। ऐसे में इन जवानों और अधिकारियों का भी तंदुरुस्त एवं सुविधा संपन्न होना जरूरी है।

फोटो: 26 जनवरी, 2015 को राजपथ पर परेड का एक दृश्य।

एनडीए सरकार ने सत्ता संभालने के बाद, न केवल सैनिकों के भुगतान एवं भत्तों तथा पेंशन में बढ़ोतरी की घोषणा की है, बल्कि उनके जीवन को आसान बनाने के लिए कई कारगर कदम भी उठाए हैं। देश तब तक युद्ध नहीं जीत सकता, जब तक युद्ध लड़ने वाले सैनिकों को उनके कल्याण के लिए आश्वस्त न किया जाए। एक असंतुष्ट सैनिक से देश के लिए बलिदान देने की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसलिए एनडीए सरकार सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने और उनके कल्याण के बारे में बातें कर रही है और इस दिशा में कई कारगर कदम भी उठा रही है।

सैनिकों के कल्याण की दिशा में उठाए गए प्रभावशाली कदमों में से एक वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) को स्वीकार किया जाना है। देश के सैनिक पिछले चार दशकों से वन रैंक वन पेंशन की मांग कर रहे थे। सरकार ने 07 नवंबर 2015 को वन रैंक वन पेंशन को आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लागू करने की घोषणा कर दी। इसके लागू होने से सरकारी ख़जाने से प्रतिवर्ष करीब 8000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वन रैंक वन पेंशन ने रक्षा सेवा के सैनिकों के बीच पेंशन को लेकर व्याप्त असमानताओं और अस्थिरताओं में सुधार सुनिश्चित किया है। पिछले वर्ष 30 नवंबर तक, पहली किश्त और एकमुश्त भुगतान के तहत 19,64,350 सैनिकों को 3,985.65 करोड़ रुपयों का भुगतान किया जा चुका है। दूसरी किश्त में 15,46,857 सैनिकों को 2281.63 करोड़ रुपयों का भुगतान किया गया।

इसके अलावा सरकार ने 3 मई, 2017 को 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर अधिसूचित कर दिया। इससे सेवा कर्मियों के वेतन और भत्तों में भारी वृद्धि होगी। आयोग ने पहली बार, सभी सैन्य कर्मियों के सैन्य सेवा वेतन (एमएसपी) में काफी अधिक वृद्ध की है और उच्च जोखिम वाली स्थिति में तैनात नौसेना और वायुसेना के जवानों को विशेष भत्ते दिए जाने की अनुशंसा की गई है।

सेवानिवृत्त सैनिकों और उनके आश्रितों को गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए कई प्रभावी कदम कदम उठाए गए हैं। स्वास्थ्य सुरक्षा सुधारों के क्रम में सेवानिवृत्त अंशदान स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) को पूर्ण रूप से डिजिटल किया जा चुका है। इस योजना के अंतर्गत कुल 50 लाख लाभार्थी शामिल हैं। फिलहाल इस योजना को 28 क्षेत्रीय केन्द्रों और 426 पॉलिक्लिनिकों के जरिए चलाया जा रहा है। ईसीएचएस लाभार्थियों को नकदरहित उपचार की सुविधा मुहैया कराने के लिए कुल 1445 सिविल अस्पतालों को इस योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है।

महिलाओं को सशक्त करने और उनके कल्याण के मद्देनज़र, सरकार ने लड़ाकू टुकड़ियों में महिलाओं को शामिल करने को मंज़ूरी दी है, ताकि उन्हें भारतीय वायुसेना की सभी शाखाओं और धाराओं में शामिल होने के लिए योग्य बनाया जाए। 18 जून 2016 भारत की महिलाओं के लिए ऐतिहासिक दिन था, क्योंकि इस दिन तीन महिला लड़ाकू पायलटों को डूंडीगल में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था।

प्रधानमंत्री की डिजिटल इंडिया पहल के तहत, सेना कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया और संचार नेटवर्क को पूरी तरह से डिजिटल किया जा चुका है। एक विशेष सॉफ्टवेयर प्रणाली – आर्मी रिकॉर्ड ऑफिसर प्रोसेस ऑटोमेशन (एआरपीएएन) 2.0 भी शुरू किया गया है। इस सॉफ्टवेयर ने 12 लाख से अधिक जूनियर कमिशन अधिकारियों और जवानों को अपने सर्विस रिकॉर्ड और नौकरी से संबंधित विभिन्न जानकारियां ऑनलाइन प्राप्त करने में सक्षम बनाया है।

01 जुलाई 2015 से सेना की भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन किया जा चुका है। अधिकारियों, जेसीओ और अन्य अधिकारी एवं कर्मियों के चयन के लिए भर्ती महानिदेशालय की एक नई वेबसाइट की शुरुआत की गई है। अब देशभर के उम्मीदवार इस वेबसाइट पर जाकर, सेना में रोज़गार एवं करियर के विकल्पों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

सेना के दिग्गजों को बेहतर और व्यापक देखभाल प्रदान करने के लिए सेना ने 14 जनवरी, 2016 को दिल्ली कैंट में डायरेक्टरेट ऑफ इंडियन आर्मी वेटरन्स की स्थापना की। यह निदेशालय सेना के दिग्गजों को वयोवृद्ध देखभाल और सहायता सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करेगा। इसके साथ ही यह निदेशालय सेना के दिग्गजों, उनकी विधवाओं और परिजनों की शिकायतों और समस्याओं का एक ही स्थान पर समाधान प्रदान करने वाली एक संस्था के तौर पर कार्य करेगा।

सेवानिवृत्त सैनिकों और उनके परिजनों की सुविधा के लिए, रक्षा मंत्रालय ने 22 अगस्त 2016 को पायलट परियोजना के तौर पर एक आर्मी कौशल प्रशिक्षण केन्द्र (एएसटीसी) भी स्थापित किया। इस केन्द्र की स्थापना के साथ ही, सैनिकों के जीवनसाथी और उनके परिवारजनों को कौशल विकास की धारा में जोड़डकर भारतीय सेना ने एक नए मिशन की शुरुआत की है।

दूरदराज, ऊंचाई और कठिन परिस्थितियों में कार्य करने के दौरान अपने परिवार से लंबे समय तक दूर रहने और कठिनाइयों का सामना करने जैसी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मंत्रालय ने सशस्त्र बलों के कर्मियों के लिए प्राथमिकता के आधार पर विवाहित आवास परियोजना (एमएपी) में तेजी लाने के लिए कदम उठाए हैं। इसके अंतर्गत अपनी तैनाती के स्थान पर कार्यरत विवाहित जवानों को करीब 2,00,000 आवासों की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। एमएपी के तीसरे और अंतिम चरण के अंतर्गत करीब 71,000 आवास इकाइयां उपलब्ध कराने की योजना कार्यान्वयन के अंतर्गत आगे बढ़ रही है।

–रंजीत कुमार