Bankim Chandra Chattopadhyay

‘वंदे मातरम्’ भारत के राष्ट्रवादी लोकाचार का प्रतीक

नई दिल्ली, 10 अगस्त (जनसमा)।    ‘वंदे मातरम्’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक में वंदे मातरम् के सृजन से लेकर विभिन्न चरणों में इसकी विकास यात्रा का पता लगाया गया है।

परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने  कहा कि ‘वंदे मातरम्’ भारत के राष्ट्रवादी लोकाचार का प्रतीक है और इसे किसी एक धर्म अथवा पंथ के साथ जोड़ना पूरी तरह से गलत है। मंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् को सबसे पहले 1870 के दशक में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित कविता के रूप में जाना जाता था, जिसे बाद में 1881 में लेखक द्वारा लिखित उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया गया।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में इस गीत के कई छंदों को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया और बाद में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए यह यह गीत अत्यंत लोकप्रिय बन गया।

वंदे मातरम् को एक प्रतीक के रूप में व्याख्यायित किया जा सकता है, जो भारत के विभिन्न राज्यों, धर्मों और विश्वासों को मानने वाले लोगों को एकता के सूत्र में बांधता है और उन्हें एक साथ आकर मां भारती की सेवा एवं रक्षा करने के लिए प्रेरित करता है।

इस पुस्तक को अखिलेश झा और सुश्री रश्मिता झा ने लिखा है। यह पुस्तक विशेष रूप से संविधान सभा और भारतीय संसद की कार्यवाही के दौरान वंदे मातरम् के संदर्भों पर केंद्रित है, और पिछले 150 सालों के दौरान विभिन्न ध्वनियों एवं ग्रामोफोन में रिकॉर्ड किए गए वंदे मातरम् के विभिन्न संगीत संस्करणों का पता लगाती है।