Ayodhya Dispute Case_ Supreme Court

प्राइवेसी अब 134 करोड भारतीयों का मौलिक अधिकार

नई दिल्ली, 24अगस्त  (जनसमा)| प्राइवेसी अब 134 करोड भारतीयों का मौलिक अधिकार हें। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को यह फैसला सुना दिया। इस फैसले का सीधा असर विभिन्न सरकारी योजनाओं को आधार कार्ड से जोड़ने के मामले पर पड़ेगा।

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय पीठ ने एक मत से यह फैसला दिया।

एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने निजता के अधिकार,  राइट टु प्राइवसी को मौलिक अधिकारों,  यानी फन्डामेंटल राइट्स का हिस्सा घोषित किया है।

नौ जजों की संविधान पीठ ने 1954 और 1962 में दिए गए फैसलों को पलटते हुए कहा कि राइट टु प्राइवेसी मौलिक अधिकारों के अंतर्गत प्रदत्त जीवन के अधिकार का ही हिस्सा है।

याद रखने की बात यह है कि  1950 में 8 जजों की बेंच और 1962 में 6 जजों की बेंच का कहना था कि ‘राइट टु प्राइवेसी’ मौलिक अधिकार नहीं है।

सर्वोच्च न्यायालय की इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश  जे एस खेहर, जस्टिस जे चेलामेश्वर,  जस्टिस ए आर बोबडे, जस्टिस आर के अग्रवाल,  जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन,  जस्टिस अभय मनोगर स्प्रे,  जस्टिस डी वाई चंद्रचूड, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल थे।

इस तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट में 21 याचिकाएं दायर की गई थीं। कोर्ट ने 7 दिन तक  सुनवाई की और उसके बाद,  2 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था।