Atal_Samadhi

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विशिष्टजनों ने ‘सदैव अटल’ पर श्रद्धांजलि अर्पित की

Tribute to Atal ji

अटल जी की समाधि पर प्रधानमंत्री मोदी

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की 95वीं जयंती (95th birth anniversary) पर आज सवेरे अटल जी की समाधि ‘सदैव अटल’ (Sadaiv Atal) पर आयोजित श्रद्धांजलि (Tribute) कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित अनेक विशिष्टजनों और अन्य लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये और उनका स्मरण किया।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और सालों तक अटल जी के साथ कदम मिलाकर काम करने वाले लालकृष्ण अडवाणी भी अटल जी की समाधि  ‘सदैव अटल’ (Sadaiv Atal)  पर  कार्यक्रम में उपस्थित थे।

Atal

अटल जी की समाधि पर भजन गाते गायक अनूप जलोटा

अटल जी की समाधि  ‘सदैव अटल’ (Sadaiv Atal) पर   विख्यात भजन गायक अनूप जलोटा ने अपने भजनों से वातावरण को आध्यात्मिकता से सराबोर कर दिया था।

देश भर में आज 25 दिसंबर, 2019 को उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।

ग्वालियर में 25 दिसंबर, 1924 को जन्मे स्व. अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee)  देश में ही नहीं , देश के बाहर भी एक महामानव के रूप में याद किये जाते हैं।

अपनी सहिष्णुता और समभाव की नीति के कारण वह राजनीतिक उत्कृष्टता के शिखर तक पहुंचे।

अटल जी (Atalji)  को  2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान – भारत रत्न (Bharat Ratna) से सम्मानित किया गया था।

वे तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। पहली बार 1996 में वे केवल 13 दिन तक प्रधानमंत्री रहे। दूसरा कार्यकाल 1998 से 1999 तक 11 महीने का रहा और इसके बाद 1999 से 2004 तक उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की। 2015 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया गया।
भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष और यशस्वी नेता अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने देश के विकास के लिए किये गए कार्यों की एक समृद्ध विरासत छोड़ी है, जो वर्षों तक याद रखी जाएगी।

प्रगतिशील आर्थिक नीतियां, व्यापक बुनियादी ढांचा परियोजनाएं और राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास उनके कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियां हैं।

वाजपेयी के नेतृत्व में ही भारत ने 1998 में दूसरा पोखरण परमाणु परीक्षण किया था और परमाणु संपन्न देश के रूप में अपनी स्थिति सुदृढ कर ली थी।

विदेश मंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित करने वाले पहले राजनेता थे। उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था।

वे एक ओजस्वी वक्ता, निर्भीक पत्रकार, निस्वार्थ समाज सेवक, समर्थ लेखक और संवेदनशील कवि भी थे।

वाजपेयी जी सभी धर्मों के प्रति उदारता का भाव रखते थे और उनकी उपासना पद्धतियों का आदर करते थे।

उन्होंने कहा था ‘सबको एक ही रंग में नहीं रंगा जा सकताा’

नई दिल्ली में 28 सितम्बर, 2001 को आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री अअल बिहारी वाजपेयी ने कहा था ‘‘वैसे दुनिया में शांति रहनी चाहिए, शांति के बिना तरक्की नहीं हो सकती। शांति तभी हो सकती है, जब हम यह बात स्वीकार करें कि दुनिया को एक ही रंग में नहीं रंगा जा सकता है। यह एक ऐसा बगीचा है, हिन्दुस्तान एक ऐसा मुल्क है, वैसी दुनिया भी उसी तरह से बनी हुई है जिसमें अलग-अलग ज़ुबाने हैं, अलग-अलग मज़हब हैं, अलग-अलग पूजा के तरीके हैं, रहन-सहन के अलग-अलग तरीके हैं, हिन्दुस्तान के 100 करोड़ लोग हैं, अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं लेकिन सब एक हैं। अलग-अलग मज़हब मानते हैं मगर मिलकर देश की बेहतरी के लिए काम करना चाहते हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें निराशा ही हाथ लगेगी जो यह चाहते हैं कि हम सबको एक ही रंग में रंग दें।’’