सेना की राफ्टिंग टीम ने इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया

Whitewater Rafting Team

Chief of the Army Staff, General Bipin Rawat interacted with AQUA STALLIONS

भारतीय सेना की सेना सेवा कोर की एक्वा स्टेलियन व्हाइटवॉटर राफ्टिंग टीम (Whitewater Rafting Team ) ने लद्दाख (Ladakh) में ज़ांस्कर  नदी (Zanskar River) में 160 किमी की दूरी 7 घंटे 51 मिनट में पूरी कर इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा लिया।

लद्दाख में पदम से निम्मू (160 किलोमीटर) तक की दूरी को खराब मौसम और कड़कड़ाती ठंड तय करते हुए नदी के उतार वाले उस हिस्से को पार किया था जहां धारा बहुत तेज बहती है।

ज़ांस्कर नदी सिंधु नदी के उत्तर. में बहने वाली सहायक नदी है। इसकी दो मुख्य शाखाएँ हैं।

सेना सेवा कोर की व्हाइटवॉटर राफ्टिंग टीम (Whitewater Rafting Team ने पिछो 10 घंटे 10 मिनट का रिकार्ड तोड़ कर यह दूरी 7 घंटे 51 मिनट में पूरी की।

सेना अध्यक्ष (Chief of the Army Staff) जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने 13 सितंबर, 2019 को सेना सेवा कोर की एक्वा स्टेलियन (AQUA STALLIONS)  व्हाइटवॉटर राफ्टिंग टीम (Whitewater Rafting Team ) से मुलाकात की।

व्हाइटवॉटर राफ्टिंग टीम (Whitewater Rafting Team ने लेह में जान्स्कर नदी को पार करने का पिछला 10 घंटे 10 मिनट का रिकार्ड तोड़ा Record Breaking है।

व्हाइटवॉटर राफ्टिंग टीम (Whitewater Rafting Team के 24 सदस्यों को 14 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी ने 3 सितंबर को लेह से रवाना किया था।

व्हाइटवॉटर राफ्टिंग टीम (Whitewater Rafting Team) ने लद्दाख में जान्स्कर नदी पर पदम से निम्मू (160 किलोमीटर) तक की दूरी को खराब मौसम और कड़कड़ाती ठंड में तय करते हुए नदी के उतार वाले उस हिस्से को पार किया था जहां धारा बहुत तेज बहती है।

पिछले 10 घंटे 10 मिनट के रिकार्ड को तोड़ कर इस दल ने यह दूरी 7 घंटे 51 मिनट में पूरी की।

व्हाइटवॉटर राफ्टिंग टीम (Whitewater Rafting Team)  द्वारा स्थापित रिकार्ड का इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स की टीम ने फैसला सुनाया और यह आर्मी एडवेंचर विंग के नाम पर दर्ज हो गया।

यहां इस बात का उल्लेख करना उपयुक्त होगा कि व्हाइटवॉटर राफ्टिंग टीम (Whitewater Rafting Team को इस तरह का कोई अनुभव नहीं था और इसने इससे पहले किसी अभियान में हिस्सा नहीं लिया था।

दल की उपलब्धि के लिए 8 सितंबर, 2019 को लेह में इसका स्वागत किया गया था।