Krishna Baldev Vaid

प्रख्यात हिंदी लेखक कृष्ण बलदेव वैद का न्यूयॉर्क में निधन

प्रख्यात हिंदी लेखक कृष्ण बलदेव वैद (Krishna Baldev Vaid)  का न्यूयॉर्क, अमेरिका में 6 फरवरी, 2020 को निधन हो गया। वह 93 साल के थे।

वैद का जन्म 27 जुलाई, 1927 को डिंगा में हुआ था जो अब पाकिस्तान है। उन्होंने अनेक उपन्यास,कहानियाँ, नाटक आदि लिखे।

वैद ने पंजाब विश्वविद्यालय में अध्ययन किया था और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी।

कृष्ण बलदेव वैद (Krishna Baldev Vaid)  ने पंजाब विश्वविद्यालय में अध्ययन किया था और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी।

उन्होंने देश के कुछ विश्वविद्यालयों में पढ़ाया भी था और अपने शैक्षणिक कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए 1966 में अमेरिका चले गए थे।

कृष्ण बलदेव वैद (Krishna Baldev Vaid)  1985 में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क पोट्सडैम से अंग्रेजी के प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्ति के बाद, वैद दो दशकों से अधिक समय तक भारत में रहे और अपनी साहित्यिक गतिविधियों को जारी रखा।

कृष्ण बलदेव वैद (Krishna Baldev Vaid)  2010 में पुनः संयुक्त राज्य अमेरिका लौट गए जहां वह इन दिनों रह रहे थे।

वे अपनी प्रयोगात्मक और प्रतीकात्मक कथा शैली के लिए जाने जाते रहे। उन्होंने अनेक उपन्यास,कहानियाँ, नाटक आदि लिखे।

कृष्ण बलदेव वैद (Krishna Baldev Vaid)  के साहित्य का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी, पोलिश, रूसी, जापानी और कई भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।

इनमें से कुछ हैं

स्व. वैद के कुछ उपन्यास हैं:

उसका बचपन
बिमल उर्फ़ जाएँ तो जाएँ कहाँ
नसरीन
एक नौकरानी की डायरी
दर्द ला दवा
दूसरा न र्कोइ
गुज़रा हुआ ज़माना
काला कोलाज
माया लोक
नर नारी

कथा संग्रह हें
बीच का दरवाजा
मेरा दुश्मन
बोधिसत्व की बीवी
बदचलन बीवियों का द्वीप
दूसरे किनारे से
लपता
उसके बयान
वह और मैं
खाली किताब का जादू
प्रवासी गंगा
खामोशी आदि ।

नाटक हैं
भूख आग है
हमारी बुढिया
परिवार अखाडा
सवाल और स्वप्ना
मोनालीसा की मुस्कान
कहते हें जिसको प्यार
अंत का उजाला आदि ।