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मून वॉक मॉडल को देखा तो लगा कि चन्द्रमा पर आ गए

जयपुर, 5 अगस्त। फेस्टीवल ऑफ एज्यूकेशन के पहले दिन स्कूली बच्चों ने जब मून वॉक मॉडल को नजदीक से देखा तो उन्हें ऐसा लगा कि वे चन्द्रमा पर आ गए हैं। यहां उनकी चन्द्रमा से जुड़ी सभी जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। इसके साथ ही फेस्टीवल में विभिन्न विज्युअल माध्यमों से ज्ञान-विज्ञान से जुड़ी बातों को रोचक अंदाज में समझाया गया।

राजस्थान सरकार और जेम्स एज्यूकेशन इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में जयपुर के सीतापुरा स्थित जेईसीसी में आयोजित दो दिवसीय फेस्टीवल ऑफ एज्यूकेशन के पहले दिन छात्र-छात्राओं में अपार उत्साह देखने को मिला।

उल्लेखनीय है कि फेस्टीवल ऑफ एज्यूकेशन प्रदेश ही नहीं देश का पहला ऎसा आयोजन है, जिसमें शिक्षा, विज्ञान और मनोरंजन का समन्वय देखने को मिल रहा है। फेस्टीवल में देश-विदेश में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी से शिक्षण की सुगमता से संबंधित विशेष प्रदर्शनी आयोजित की गई है।

फेस्टीवल को देखने आई राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय, एयरपोर्ट जयपुर की छात्रा बुलबुल चौहान ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में इस तरह का पहला मेला देखा है। उन्होंने बताया कि अभी तक जिन बातों को हम किताबों में पढ़ते थे, उनके बारे में प्रेक्टिल करके दिखाया जा रहा है। विज्ञान से जुड़ी कठिन बातें भी, हमें यहां आसानी से समझ में आ रही हैं।

फेस्टीवल ऑफ एज्यूकेशन  में  डायनासोर लाइन, रोबोटीकल इंजीनियरिंग, द रन, एनीमल सलेक्टेड रन, मेक योर म्यूजिक, स्टार्स बैटल, मून वॉक, नो योर सोलर सिस्टम, फ्लाई हाई, स्केलटन्स, विजुअल एज्यूकेशन, वॉक विद डायनासोर थीम पर बच्चों को विज्ञान से जुड़ी बारीकियां बताई जा रही हैं।

राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, सांगानेर की कक्षा छह में पढ़ने वाली फरीन का कहना था कि यह उनके जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है। यहां उसने बबल्स मरीना में बबल्स बनाए और इस पूरी प्रकिया को समझा। इसके साथ ही उसने यहां गियर मशीन्स के बारे में जानकारी ली। उसका कहना है कि इस आयोजन में आने से न केवल उसके ज्ञान में वृद्धि हुई है बल्कि यहां नया अनुभव भी मिला है। इसी तरह का ही अनुभव डकलिंग स्कूल की छात्र सत्यम जायसवाल का रहा।

डै्रगन बन गए बच्चे

फेस्टीवल ऑफ एज्यूकेशन में साइंस फेस्टीवल के दौरान नाइट्रोजन गैस के माध्यम से कई प्रयोग किए गए। एक प्रयोग में नाइट्रोजन को गर्म करके एक बॉक्स में डाला गया, जिसमें बिस्कुट डाले गए और वो बिस्कुट जब बच्चों ने खाए, तो उनके मुंह व नाक से धुंआ निकालते हुए ड्रैगन जैसी आकृति बनाई गई। इस फेस्टीवल में बच्चों को विभिन्न गैसों की क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं के बारे में बताया गया।