Education

राष्ट्रीय शिक्षा नीति बदलने के लिए क्या-क्या कदम उठाने जा रही है सरकार

नई दिल्ली, 30 जुलाई (जस)।  केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में स्कूली और उच्च शिक्षा प्रणालियों को पूरी तरह बदल देने के लिए कई निर्णय लिए हैं। यहाँ पढ़िये कि सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (national education policy 2020) बदलाव के लिए क्या-क्या कदम उठाने जा रही है:

  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (national education policy 2020) का उद्देश्य 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर के साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (national education policy 2020) स्कूल से दूर रह रहे 2 करोड़ बच्चों को फिर से मुख्य धारा में लाएगा
  • 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की आंगनवाड़ी / प्री-स्कूलिंग के साथ नए 5 + 3 + 3 + 4 स्कूली पाठ्यक्रम (school curriculum ) 
  • पढ़ने-लिखने और गणना करने की बुनियादी योग्यता (Foundational Literacy)  पर ज़ोर
  • स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं, पाठ्येतर गतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच खास अंतर नहीं
  • इंटर्नशिप के साथ कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा शुरू
  • कम से कम 5 वीं कक्षा तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई
  • समग्र विकास कार्ड (Holistic Progress Card) के साथ मूल्यांकन प्रक्रिया में पूरी तरह सुधार,
  • सीखने की प्रक्रिया में छात्रों की प्रगति पर पूरी नज़र रखना
  • उच्च शिक्षा में जीईआर को 2035 तक 50% तक बढ़ाया जाना
  • उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी
  • उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में विषयों की विविधता होगी
  • उपयुक्त प्रमाणीकरण के साथ पाठ्यक्रम के बीच में नामांकन / निकास की अनुमति होगी
  • ट्रांसफर ऑफ क्रेडिट की सुविधा के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की स्थापना की जाएगी
  • ठोस अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी
  • उच्च शिक्षा के आसान मगर सख्त विनियमन, विभिन्न कार्यों के लिए चार अलग-अलग कामों पर एक नियामक होगा
  • महाविद्यालयों को 15 वर्षों में चरणबद्ध स्वायत्तता के साथ संबद्धता प्रणाली पूरी की जाएगी
  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (national education policy 2020) में जरूरत के हिसाब से प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ज़ोर,
  • राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच की स्थापनी की जाएगी
  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (national education policy 2020) में जेंडर इंक्लूजन फंड और वंचित इलाकों तथा समूहों के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्र की स्थापना पर ज़ोर
  • नई शिक्षा नीति स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा देगी
  • पाली, फारसी और प्राकृत के लिए राष्ट्रीय संस्थान, भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान की स्थापना की जाएगी
  • कई विदेशी भाषाओं को भी माध्यमिक शिक्षा स्तर पर एक विकल्‍प के रूप में चुना जा सकेगा।
  • भारतीय संकेत भाषा यानी साइन लैंग्वेज (आईएसएल) को देश भर में मानकीकृत किया जाएगा
  • बधिर विद्यार्थियों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्‍तरीय पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएंगी।
  • सभी विद्यार्थी ग्रेड 3, 5 और 8 में स्कूली परीक्षाएं देंगे, जो उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा संचालित की जाएंगी।
  • ग्रेड 10 एवं 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रखी जाएंगी
  • एक नया राष्ट्रीय आकलन केंद्र परख (समग्र विकास के लिए कार्य-प्रदर्शन आकलनसमीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) एक मानक-निर्धारक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा।
  • वंचित क्षेत्रों एवं समूहों के लिए बालक-बालिका समावेशी कोष और विशेष शिक्षा जोन की स्थापना
  • दिव्‍यांग बच्चों को बुनियादी चरण से लेकर उच्च शिक्षा तक की नियमित स्कूली शिक्षा प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लेने में सक्षम बनाया जाएगा
  • दिव्‍यांगता संबंधी समस्‍त प्रशिक्षण, संसाधन केंद्र, आवास, सहायक उपकरण, प्रौद्योगिकी-आधारित उपयुक्त उपकरण और उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप अन्य सहायक व्‍यवस्‍थाएं भी उपलब्‍ध कराई जाएंगी।
  • प्रत्येक राज्य/जिले को कला-संबंधी, कैरियर-संबंधी और खेलकूद-संबंधी गतिविधियों में विद्यार्थियों के भाग लेने के लिए दिन के समय वाले एक विशेष बोर्डिंग स्कूल के रूप में बाल भवन स्थापित  किया जाएगा।
  • स्कूल की नि:शुल्‍क बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का उपयोग सामाजिक चेतना केंद्रों के रूप में किया जा सकता है।
  • शिक्षकों को प्रभावकारी एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिए भर्ती किया जाएगा।
  • पदोन्नति योग्यता आधारित होगी जिसमें कई स्रोतों से समय-समय पर कार्य-प्रदर्शन का आकलन करने और करियर में आगे बढ़कर शैक्षणिक प्रशासक या शिक्षाविशारद बनने की व्‍यवस्‍था होगी।
  • शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (एनपीएसटी) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा
  • एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श किया जाएगा।
  • स्कूलों को परिसरों या क्लस्टरों में व्यवस्थित किया जा सकता है जो प्रशासन (गवर्नेंस) की मूल इकाई होगा
  • बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, शैक्षणिक पुस्तकालयों और एक प्रभावकारी प्रोफेशनल शिक्षक-समुदाय सहित सभी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा।
  • स्कूली शिक्षा के लिए मानकनिर्धारण एवं प्रत्यायन
  • राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्वतंत्र स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड्स अथारिटी (एसएसएसए) का गठन करेगे।
  • एससीईआरटी सभी हितधारकों के परामर्श के जरिये एक स्कूल गुणवत्ता आकलन एवं प्रत्यायन संरचना (एसक्यूएएएफ) का विकास करेगा।
  • व्यवसायिक शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 26.3 प्रतिशत (2018) से बढ़ाकर 2035 तक 50 प्रतिशत करना है।
  • उच्चतर शिक्षा संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी।
  • देश में वैश्विक मानकों के सर्वश्रेष्ठ बहुविषयक शिक्षा के माडलों के रूप में आईआईटी, आईआईएम के समकक्ष बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू)स्थापित किए जाएंगे
  • पूरी उच्च शिक्षा में एक मजबूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का सृजन किया जाएगा।
  • चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) का गठन किया जाएगा।