Uma Bharati, about Sarswati river

सरस्वती नदी हिमालय से निकल कर अरब सागर में जा मिली

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर | सरस्वती नदी हिमालय के आदिबद्री से निकल कर कच्छ के रन से होती हुई अरब सागर में जा मिलती थी। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दीगई है। यह रपट राजस्थान, हरियाणा तथा पंजाब सहित उत्तर-पश्चिम भारत में जमीन की संरचना के अध्ययन पर आधारित है। इस अध्ययन में अतीत में हुए भूगर्भीय परिवर्तन का भी ख्याल रखा गया है।

केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने शनिवार को उत्तर-पश्चिम भारत के पालेयो चैनल पर विशेषज्ञ समिति की समीक्षा और मूल्यांकन की रपट जारी की। इस समिति का नेतृत्व प्रख्यात भूवैज्ञानिक प्रो. के.एस. वालदिया कर रहे थे।

इस अवसर पर भारती ने इस रपट को तैयार करने तथा संकलन करने में लगे वैज्ञानिकों के समर्पण और योगदान के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “यह रपट इस धारणा की पुष्टि करती है कि सरस्वती नदी हिमालय के आदिबद्री से निकल कर कच्छ के रन से होती हुई अरब सागर में जा मिलती थी। भारती ने खुलासा किया कि यह नदी एक समय उत्तरी और पश्चिमी भारतीय प्रांतों की जीवन रेखा थी। इसके किनारे पर ही महाभारत से लेकर हड़प्पा जैसी संस्कृतियों का विकास हुआ था।”

मंत्री ने कहा, “यह रपट वैसे भू वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई है जो भूमि की संरचना, चट्टानों तथा खनिजों की छिपी सच्चाई को सामने लाने के विशेषज्ञ हैं और इसके लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं और इसलिए इस रपट पर कोई शंका नहीं है।”

उन्होंने कहा कि इस रपट के अनुकूलतम प्रयोग के लिए इसका अध्ययन केन्द्रीय भूजल बोर्ड और उनके मंत्रालय के विशेषज्ञों द्वारा भी किया जाएगा। भारती ने कहा कि आगे की कार्रवाई के लिए इस रपट को मंत्रिमंडल के समक्ष भी पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जल की बढ़ती मांग को देखते हुए इसका उचित प्रबंधन और संसाधनों का पुनर्भरण(रिचार्ज) करना सबसे महत्वपूर्ण हो गया है।

— आईएएनएस