जलवायु परिवर्तन पर रुख बदलने का अब वक्त नहीं रहा : संयुक्त राष्ट्र

नई दिल्ली, 31 मार्च | संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के कार्यकारी निदेशक ने कहा है कि अब समय किसी भी देश के लिए जलवायु परिवर्तन पर अपने रुख से पीछे हटने का नहीं रह गया है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन को ‘असल खतरा’ बताया।

कार्यकारी निदेशक एरिक सोल्हेम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इस सप्ताह की शुरुआत में हस्ताक्षर किए गए शासकीय आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। शासकीय आदेश का उद्देश्य ग्लोबल वार्मिग से निपटने के लिए पिछली ओबामा सरकार द्वारा जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल से दूर रहने के फैसले को वापस लेना था।

रूस के अरखांगेलस्क से ई-मेल के माध्यम से सोल्हेम ने आईएएनएस से कहा कि ट्रंप अभी भी इसी उधेड़बुन में हैं कि 2015 पेरिस जलवायु समझौते का हिस्सा रहा जाए या नहीं। सोल्हेम फिलहाल अरखांगेलस्क में आर्कटिक के विकास पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं।

सोल्हेम ने उम्मीद जताते हुए कहा, “पेरिस समझौता बेहद सफल रहा है और हम इसके लिए अमेरिका का शुक्रिया अदा करते हैं तथा उम्मीद करते हैं कि ट्रंप सरकार इसे बरकरार रखेगी।”

निदेशक ने कहा कि ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित शासकीय आदेश एक जटिल प्रक्रिया के बारे में है और इसके बारे में अभी से किसी कानूनी पहलू पर विचार करना बेकार की बात होगी। उन्होंने कहा, “इस बात पर जोर देना अत्यावश्यक है कि जलवायु परिवर्तन के बेहद गंभीर तथा बेहद वास्तविक मुद्दे पर किसी भी देश द्वारा अपने रुख में बदलाव लाने का अब वक्त नहीं रह गया है।”

ट्रंप ने जिन पहलों को रद्द किया है, उनमें स्वच्छ विद्युत योजना शामिल है। इस योजना के तहत अमेरिका को दिसंबर 2015 में पेरिस समझौते के तहत जताई गई कटिबद्धता पूरी करने के लिए ऊर्जा उत्पादन के लिए जीवाश्म ईंधनों में कटौती करनी होगी।

यूएनईपी प्रमुख ने कहा, “किसी भी देश के स्तर पर बेहद महत्वपूर्ण हरित पहल तथा कानूनी ढांचा भी है, जबकि निजी क्षेत्र भी एक महत्वपूर्ण प्रेरक बल है। हमें बाजार तथा प्रौद्योगिकी ट्रेंड पर भी विचार करना होगा, जो सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।”

दिसंबर 2015 में कुल 197 देशों ने वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस तक कम करने के लिए कार्बन उत्सर्जन में कटौती पर सहमति जताई थी। ओबामा ने साल 2005 की तुलना में साल 2025 में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 26 फीसदी की कटौती का संकल्प लिया था।

सोल्हेम ने आश्चर्य जताते हुए कहा, “पर्यावरण के लिए संघर्ष पर राजनीति (अमेरिकी) का बेहद प्रभाव पड़ता है। क्या यह पर्यावरण की गंभीर चिंताओं की दिशा में काम करने के लिए एक नया तरीका सोचने के लिए प्रेरित करेगा और क्या अब यह संभव है?”

उन्होंने आईएएनएस से कहा, “पेरिस जलवायु समझौता स्वैच्छिक कार्रवाई पर टिका हुआ है, लेकिन यह नवाचार तथा अवसरों की सकारात्मक गतिशीलता से उत्पन्न होता है। हमने निजी क्षेत्रों तथा नागरिक समाज को बातचीत की मेज तक लाने की दिशा में बड़ी उन्नति की है।”

सोल्हेम ने कहा, “इसके अलावा, सम्मेलन में 197 पक्षों ने हिस्सा लिया, जिनमें से 141 देशों ने इसका समर्थन किया। हमें हर देश से समर्थन, कार्रवाई तथा नवाचार की आवश्यकता है। कोई भी पक्ष या देश छोटा नहीं है। यह एक वैश्विक चुनौती है, जिसके लिए वैश्विक कार्रवाई की जरूरत है।” –आईएएनएस