Kovind

आज हम एक ऐसे निर्णायक दौर से गुजर रहे हैं : राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद

‘आज हम एक ऐसे निर्णायक दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में, हमें इस बात पर जोर देना है कि हम ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में न उलझें, और ना ही निरर्थक विवादों में पड़कर, अपने लक्ष्यों से हटें।’

देश के 72 वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर  देश के नागरिकों को संबोधित करते हुए  राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंगलवार, 14 अगस्त को यह भी कहा कि महिलाओं की आज़ादी को व्यापक बनाने में ही देश की आजादी की सार्थकता है।

राष्ट्रपति ने कहा यह सार्थकता, घरों में माताओं, बहनों और बेटियों के रूप में, तथा घर से बाहर अपने निर्णयों के अनुसार जीवन जीने की उनकी स्वतंत्रता में देखी जा सकती है।

उन्होंने कहा “एक राष्ट्र और समाज के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना है कि महिलाओं को, जीवन में आगे बढ़ने के सभी अधिकार और क्षमताएं सुलभ हों।”

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कुछ ही सप्ताह बाद, 2 अक्टूबर से, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के समारोह शुरू हो जाएंगे। गांधीजी ने, केवल हमारी स्वाधीनता संग्राम का नेतृृत्व ही नहीं किया था, बल्कि वह हमारे नैतिक पथ-प्रदर्शक भी थे, और सदैव रहेंगे।

उन्होंने कहा ” हमें गांधीजी के विचारों की गहराई को समझने का प्रयास करना होगा। उन्हें राजनीति और स्वाधीनता की सीमित परिभाषाएं, मंजूर नहीं थीं।”

“गांधीजी का महानतम संदेश यही था कि हिंसा की अपेक्षा, अहिंसा की शक्ति कहीं अधिक है। प्रहार करने की अपेक्षा, संयम बरतना, कहीं अधिक सराहनीय है तथा हमारे समाज में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है।”

“गांधीजी ने अहिंसा का यह अमोघ अस्त्र हमें प्रदान किया है। उनकी अन्य शिक्षाओं की तरह, अहिंसा का यह मंत्र भी, भारत की प्राचीन परम्‍परा में मौजूद था, और आज 21वीं सदी में भी, हमारे जीवन में यह उतना ही उपयोगी और प्रासंगिक है।”

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा “हमारा तिरंगा हमारे देश की अस्मिता का प्रतीक है। इस दिन, हम देश की संप्रभुता का उत्सव मनाते हैं, और अपने उन पूर्वजों के योगदान को कृतज्ञता से याद करते हैं”।

कोविंद ने कहा कि हम अपने युवाओं का कौशल-विकास करते हैं, उन्हें टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग और उद्यमिता के लिए, तथा कला और शिल्प के लिए प्रेरित करते हैं।

‘उन्हें संगीत का सृजन करने से लेकर मोबाइल एप्स बनाने के लिए और खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करते हैं।’

‘इस प्रकार, जब हम अपने युवाओं की असीम प्रतिभा को उभरने का अवसर प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।’