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वायरस जनित बीमारियां पशुधन के स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती

भुवनेश्वर, 2 अप्रैल (जस)| देश में वायरस जनित खुरपका और मुंहपका रोग और इंफ्लुएंजा जैसी बीमारियां पशुधन के स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बनी हुई है| सरकार इन रोगों के रोकथाम का पूरा प्रयास कर रही है। पशुओं के स्वास्थ्य सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत खुरपका एवं मुंहपका रोग के लिए बेहतर प्रबंधन अपनाकर वर्ष 2013 की तुलना में 2015 में 377 प्रकोपों से घटाकर 109 पर ला दिया है।

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने यह बात शनिवार को भुवनेश्वर के अरुगुल जटनी स्थित अंतरराष्ट्रीय खुरपका एवं मुंहपका रोग केन्द्र- इंटरनेशनल सेंटर फॉर एफएमडी (आईसीएफएमडी) के उदघाटन के मौके पर कही।

सरकार ने पशुधन के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अनेक कदम उठाए हैं जिसका लाभ किसानों को हो रहा है। पशुओं का स्वास्थ्य किसान हित से जुड़ा है, अगर पशु स्वस्थ होंगे तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी। इस दिशा में सरकार की पहल का ही नतीजा है कि देश दुध उत्पादन में नंबर वन पर बना हुआ है और अंडा उत्पादन में तीसरे स्थान पर है।

कृषि मंत्री ने बताया कि देश में पहली बार पशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए पशुधन संजीवनी-नकुल स्वास्थ्य पत्र योजना शुरू की गयी है। साथ ही, पशु यूआईडी द्वारा पशुओं की पहचान और राष्ट्रीय डाटा बेस बनाया जा रहा है। देश में पहली बार राष्ट्रीय बोवाइन प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत देशी नस्लों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक नई पहल ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ की 500 करोड़ रूपये के आवंटन के साथ दिसम्बर 2014 में शुरुआत की गई। इस मिशन के तहत 14 गोकुल ग्रामों की स्थापना की जा रही है। देशी नस्लों के सुधार लिए राष्ट्रीय बोवाइन जेनॉमिक केंद्र की स्थापना की गयी है। सरकार ने ई पशुधन हाट पोर्टल की भी शुरुआत की है।

कृषि मंत्री ने उम्मीद जताई कि जैव सुरक्षा और जैव नियंत्रण की सुविधाओं के साथ भुवनेश्वर की यह अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला वैश्विक भागेदारी और सार्क क्षेत्र में इस रोग के नियंत्रण में अहम भूमिका अदा करेगी। उन्होंने इस मौके पर इस प्रयोगशाला से जुड़े वैज्ञानिकों और अधिकारियों की उनके अच्छे काम के लिए सराहना की।

कृषि मंत्री ने इसके बाद भुवनेश्वर के ओडि़शा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय(OUAT) में कृषि विज्ञान केन्‍द्र का शिलान्यास किया। इस मौके पर केन्‍द्रीय पेट्रोलियम मंत्री श्री धर्मेन्‍द्र प्रधान, ओडि़शा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस. पसुपालक भी उपस्थित थे। इस मौके पर कृषि मंत्री ने कहा कि ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय (OUAT) द्वारा आईसीएआर के 100 प्रतिशत वित्‍तीय सहयोग के साथ 31 कृषि विज्ञान केन्‍द्र स्‍थापित किए गए हैं जो कि ऑन-फार्म टैस्टिंग, अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन (FLD), कौशल उन्‍मुखता प्रशिक्षण, प्रक्षेत्र दिवस, किसान मेला आदि जैसी गतिविधियों के साथ बहुउद्देशीय प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण के अग्रदूत के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खोर्दा जिले में चलाया जा रहा Farmer FIRST कार्यक्रम का उद्देश्‍य भागीदारी के जरिए बदलाव लाकर फार्म उत्‍पादकता और लाभप्रदता में सुधार लाना है। कृषि उद्यम इनोवेशन में युवा शक्ति को आकर्षित करने के लिए राज्‍य के नयागढ़ जिले में आर्या (ARYA) परियोजना चलाई जा रही है। कृषि मंत्री ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के माध्‍यम से भारत सरकार से प्रत्‍येक कृषि विज्ञान केंद्र के लिए रूपये 144.38 लाख के वित्‍तीय परिव्‍यय के साथ चार कृषि विज्ञान केंद्रों – पुरी, बोलानगीर, बरहामपुर में गंजाम- II और जोशीपुर में मयूरभंज- II के प्रशासनिक भवनों का यहां शिलान्‍यास करते हुए उन्हें बहुत खुशी हो रही है।

राधा मोहन सिंह इसके बाद केन्‍द्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्‍थान (सीआईएफए), भुवनेश्‍वर के 31 स्थापना दिवस में शामिल हुए। इस अवसर पर कृषि मंत्री ने संस्थान के अधिकारियों और समस्त कर्मचारियों को संस्थान के 31 स्थापना दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि अपने काम की वजह से मीठा जल जीवपालन के क्षेत्र में राष्‍ट्रीय एवं अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर इस संस्‍थान को एक विशेष पहचान मिली है। संस्‍थान ICAR-CIFA की स्‍थापना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्‍ली के तत्‍वावधान में दिनांक 1 अप्रैल, 1987 को हुई थी।

कृषि मंत्री ने इसके बाद भुवनेश्वर के आईडीसीओ एक्जिविशन ग्राउंड मैदान में उत्‍कल चेम्‍बर्स आफ कामर्स एंड इंडस्‍ट्री यूसीसीआई एक्‍सपो 2017 में हिस्सा लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राष्‍ट्रीय कृषि नीति में अगले दो दशकों में भारतीय कृषि की अदोहित विकास क्षमता का उपयोग करने, त्‍वरित कृषि विकास को समर्थन देने के लिए ग्रामीण आधारभूत सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने तथा मूल्‍य परिवर्धन को बढ़ावा देने, कृषि व्‍यवसाय के विकास में तेजी लाने, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने, किसानों और कृषि कामगारों तथा उनके परिवारों के लिए जीवन यापन स्‍तर में सुधार करने, शहरी क्षेत्रों में पलायन को हतोत्‍साहित करने और आर्थिक उदारीकरण और वैश्‍वीकरण से उत्‍पन्‍न चुनौतियों से निपटने की व्‍यवस्‍था है।