उत्तराखण्ड के जंगलों में आग बुझाने के काम में लगे 6 हजार से अधिक कर्मचारी

देहरादून, 2 मई (जनसमा)। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि उत्तराखण्ड के जंगलों की आग बुझाने के काम में 6 हजार से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं। अब आग लगभग 60 स्थानों पर ही लगी हुई है जबकि पहले 120 स्थानों पर आग लगी हुई थी। सेटेलाइट से भी आग पर नजर रखी जारही है।

उन्होंने बताया कि कुछ लोग आग लगाने का काम भी कर रहे हैं । ऐसे ही 4 लोगों को आज गिरफ्तार किया गया है। असल में लकड़ियों का अवैध व्यापार करने वाले लोग इस काम में शामिल बताये गए हैं।

दूसरी ओर हरीश रावत ने कहा कि असमान धरातल और भौगोलिक स्थिति के कारण पूरी तरह में कामयाबी नहीं मिल रही है।

आईएएनएस  के अनुसार उत्तराखंड के जंगलों में फैली आग पर काबू पाने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने अपनी ताकत झोंक दी है। कई दमकल टीमों के तहत 130 से अधिक कर्मियों को तैनात किया है। एनडीआरएफ की टीमों को पौडी गढ़वाल, अल्मोड़ा और चमोली जिलों में 13 प्रभावित इलाकों में भीषण आग पर काबू पाने के लिए लगाया गया है। आग से कई जिलों में करीब 2,269 हेक्टेयर जंगल नष्ट हो गए और अब तक कम से कम सात जानें गई हैं।

एनडीआरएफ के महानिदेशक ओपी सिंह के मुताबिक, “हमारी टीमें अधिकारियों और राज्य दमकल एवं वन विभाग के कर्मियों के साथ तालमेल कर 13 क्षेत्रों में काम कर रही हैं।”

उन्होंने बताया कि इन टीमों को आग के फैलाव को रोकने की पारंपरिक पद्घति को अपनाने का निर्देश दिया गया है।

सिंह ने बताया, “हम आग को फैलने से रोकने के लिए उपकरणों और हरी झाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। कई टीमों के तहत करीब 135 कर्मी फिलहाल उत्तराखंड में काम कर रहे हैं।”

उन्होंने बताया कि चमोली में एनडीआरएफ पाखी और गोपेश्वर इलाकों में काम कर रहा है, जबकि अल्मोड़ा में टीमें बिनसार, सोमेश्वर, बिकिसेन, सिपलाखेत और धौलादेवी में काम कर रही हैं।

महानिदेशक ने बताया कि प्रत्येक टीम आठ से 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर कर रही है। एनडीआरएफ की अतिरिक्त टीमों को गाजियाबाद में तैयार रखा गया है। पोडी जिले में महलचोरी के पर्वतीय इलाके में आग से एक मकान को भी बचाया, जिसमें चार लोगों का एक परिवार रहता है।

उन्होंने कल राज्यपाल के.के. पल से बात भी की। वायुसेना के एमआई-17 हेलीकप्टर भी आग पर काबू पाने के लिए नैनीताल में पानी छिड़क रहे हैं। वनाग्नि से पौडी, नैनीताल, रुद्रप्रयाग और टिहरी सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं।