Traffic volunteers manage traffic at India Gate in New Delhi, on Oct 10, 2016. (Photo: IANS)

..जब लड़कियों ने संभाली यातायात पुलिस की जिम्मेदारी

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर | संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय राजधानी में 100 से अधिक बालिकाओं ने लैंगिक समानता के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से यातायात पुलिस की जिम्मेदारी संभाली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार को चार जगहों पर इन लड़कियों ने लैंगिक समानता के नारे लिखी तख्तियां लेकर यातायात पुलिस का काम किया। उन्होंने इस सिलसिले में पर्चे भी बांटे।

संयुक्त राष्ट्र ने 2012 में 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था।

बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘प्लान इंडिया’ और यूरोपीय संघ (ईयू) ने संयुक्त रूप से ‘गर्ल्स टेकिंग ओवर’ नाम से एक अभियान शुरू किया है।

यूरोपीय संघ के भारत में राजदूत टॉमस कोज्लोव्स्की ने भारत में इस अभियान का आगाज किया और अभियान में शामिल बालिकाओं के बीच अभियान के बिल्ले बांटे। इन बालिकाओं में से अधिकांश का संबंध वंचित तबके से था।

इस अभियान के तहत हाल ही में एक पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाली 19 वर्षीय चंपा ने आईएएनएस से कहा, “मुझे इंडिया गेट चौराहे पर तैनात किया गया था। इंडिया गेट पर मेरे साथ तैनात अन्य लड़कियों ने लोगों को पर्चे बांटे और लड़कियों को पढ़ाने और बराबरी का हक देने के महत्व के बारे में बताया।”

चंपा ने कहा, “हमने यातायात की जिम्मेदारी भी संभाली, वाहन चालकों से जेब्रा क्रॉसिंग के पीछे वाहन खड़ा करने के लिए कहा।”

इसके अलावा राजपथ, मंडी हाउस, बाबा खड्ग सिंह मार्ग और विंडसर सर्किल पर भी बालिकाओं को जागरूकता फैलाने के अभियान पर तैनात किया गया था। दो घंटे तक ये बच्चियां यातायात का कार्य संभालती रहीं और कन्या समानता के अधिकार के बारे में जागरूकता फैलाती रहीं। इस दौरान यातायात पुलिस ने उनकी मदद की।

अभियान का आगाज करते हुए कोज्लोव्स्की ने कहा, “हमारा पहला मकसद है कि समाज में बच्चियों को सम्मान मिले और उनके महत्व को समझा जाए, जिसके लिए हमें भेदभाव को खत्म करना होगा। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की पूर्व संध्या पर हम इस बात को याद करना चाहेंगे कि बच्चियों और महिलाओं को सशक्त बनाना सिर्फ हमारी नैतिक जिम्मेदारी नहीं है बल्कि विकास और शांति की दिशा में आने वाली कई चुनौतियों से निपटने का बेहतर समाधान भी है।”

अभियान से जुड़ी मदनपुर खादर की 10वीं में पढ़ रही रूबी ने रेडियो एफएम चैनल ‘रेडियो मिर्ची’ पर रेडियो जॉकी बनकर जागरूकता फैलाने का काम किया।

रूबी ने आईएएनएस से कहा, “मुझे वहां रॉकिंग रूबी नाम दिया गया और मैंने रेडियो चैनल के जॉकी रिचार्ज रोहित से बातचीत की। मैंने अपनी बात बेहतर तरीके से रखने के गुर सीखे और खूब मस्ती की। मैं इस अभियान से सिर्फ अपनी गली, मोहल्ले, शहर या देश की लड़कियों के लिए नहीं जुड़ी हूं, बल्कि मैं पूरी दुनिया में भेदभाव झेल रही लड़कियों की आवाज उठाने के लिए इस अभियान का हिस्सा बनी हूं।”

–आईएएनएस