तानसेन समारोह

तानसेन समारोह : पारंपरिक ढंग से शहनाई वादन के साथ संगीत का महाकुंभ शुरू

ग्वालियर, 26 दिसम्बर । तानसेन समारोह की शुरूआत में शनिवार की सुबह पारंपरिक ढंग से शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद और चादरपोशी के साथ हुई।

मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग एवं उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी के तत्वावधान में ‘तानसेन समारोह’ इस बार 26 से 30 दिसम्बर तक आयोजित हो रहा है।

तानसेन समारोह में कुल 8 संगीत सभायें होंगीं। पहली सात सभाएँ तानसेन समाधि स्थल पर सजेंगी।

आठवीं एवं अंतिम संगीत सभा 30 दिसम्बर को प्रात: तानसेन की जन्म स्थली मुरार जनपद पंचायत के ग्राम बेहट में झिलमिल नदी के किनारे सजेगी।

यहाँ हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन हुआ।

सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में पिछले 95 वर्ष से आयोजित हो रहे तानसेन समारोह में ब्रह्मनाद के शीर्षस्थ साधक तानसेन समाधि परिसर से गान मनीषी तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करने आए हैं।

तानसेन समारोह का औपचारिक शुभारंभ राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण के साथ आज शाम चार बजे शुरू हुआ। इस बार तानसेन अलंकरण प्रख्यात संतूर वादक पण्डित सतीश व्यास को दिया जाएगा।

तानसेन समाधि स्थल पर परंपरागत ढंग से उस्ताद मजीद खाँ एवं साथियों ने राग “बैरागी” में शहनाई वादन किया। इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत श्री सच्चिदानंद नाथ ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए ईश्वर और मनुष्य के रिश्तों को उजागर किया।

उनके प्रवचन का सार था कि परहित से बढ़कर कोई धर्म नहीं। अल्लाह और ईश्वर, राम और रहीम, कृष्ण और करीम, खुदा और देव सब एक हैं। हर मनुष्य में ईश्वर विद्यमान है। हम सब ईश्वर की सन्तान हैं।

उन्होंने कहा कि रोजा और व्रत, मुल्ला और पण्डित, ख्वाजा और आचार्य के उद्देश्य व मत एक ही है कि सभी नेकी के मार्ग पर चलें। ढोली बुआ महाराज द्वारा राग ‘ शुद्ध सारंग’ में प्रस्तुत भजन के बोल थे ‘एक दिन आना एक दिन जाना, बिच में सुख दुख झुटमुट सपना’।

उन्होंने प्रिय भजन ‘रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम’ का गायन भी किया। 

ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा के बाद मुस्लिम समुदाय से मौलाना इकबाल लश्कर कादिरी ने इस्लामी कायदे के अनुसार मिलाद शरीफ की तकरीर सुनाई।

अंत में हजरत मौहम्मद गौस व तानसेन की मजार पर राज्य सरकार की ओर से सैयद जियाउल हसन सज्जादा नसीन जी द्वारा परंपरागत ढंग से चादरपोशी की गई।

इससे पहले जनाब हुसैन बख्स, अल्लाह रक्खा , सैफ अली खान एवं उनके साथी कव्वाली गाते हुये चादर लेकर पहुंचे। कव्वाली के बोल थे ”खास दरबार-ए-मौहम्मद से ये आई चादर”। 

तानसेन समाधि पर परंपरागत ढंग से आयोजित हुए इस कार्यक्रम में संभाग आयुक्त आशीष सक्सेना,  कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, अलाउद्दीन खाँ कला एवं संगीत अकादमी के अधिकारी, कला रसिक और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।