हमारी पाकिस्तान की नीति दिखावा ज्यादा है और परिणाम कम है : सिंधिया

नई दिल्ली, 16 मार्च (जनसमा)। लोकसभा में बुधवार को नियम 193 के तहत पठानकोट एयरबेस हुए आतंकी हमले की स्थिति पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के लोकसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हमारी पाकिस्तान की नीति दिखावा ज्यादा है और परिणाम कम है। इस सरकार ने शुरु से ही पाकिस्तान नीति में अज्ञानता और अदूरदर्शिता का प्रमाण दिया है।

सिंधिया ने कहा ‘‘पिछले 22 महीने में देश की सीमा पर 930 बार सीजफायर का उल्लंघन हुआ है। जम्मू-कश्मीर और पंजाब में आतंकवादी घटनाएं बढ़ी हैं। इस सब के बावजूद 13 फरवरी 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने नवाज शरीफ के साथ संपर्क साधा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इतना ही नहीं 3 मार्च 2015 को विदेश सचिव जयशंकर अपने पाकिस्तानी समकक्ष के साथ बात करने के लिए इस्लामाबाद चले गए। इससे पाकिस्तान में क्या हृदय-परिवर्तन आया? क्या पाकिस्तान ने 26/11 हमले के लिए किसी को जिम्मेदार ठहराया? सरकार बताए कि उसने पाकिस्तान नीति के मामले यह यू-टर्न  क्यों लिया?

उन्होंने कहा कि मैं एक और उदाहरण देना चाहता हूं जब 11 जुलाई 2015 को रूस में मोदी और नवाज की मुलाकात हुई थी। उसके बाद हमारे विदेश सचिवों ने 5 विषयों का उपाय निकाला। उसमें कश्मीर का उल्लेख नहीं था और गुरदासपुर हमले के बाद सुषमा स्वराज ने भी कहा था कि पाकिस्तान से कश्मीर पर बात नहीं होगी लेकिन बैंकॉक में भारत और पाकिस्तान के एन.एस.ए. ने कश्मीर पर बात की। क्या पाकिस्तान तय करेगा कि हमें किस मुद्दे पर बात करनी चाहिए?

उन्होंने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव के पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि ‘पाकिस्तान को लाल आंख दिखाएंगे’ और कहा था कि जब हिन्दू आतंकवाद आएगा न तो दुनिया के नक्शे पर पाकिस्तान का नामोनिशान मिट जाएगा। प्रधानमंत्री ने 26/11 की घटना के बाद एक टेलीविजन चैनल पर कहा था कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए, लव लेटर लिखना बंद करना चाहिए, बुरा वो करें और जवाब भारत सरकार देती फिर रही है। पड़ोसी सरकार मारकर चली जाए और आप अमरीका जाते हो। अरे पाकिस्तान जाओ न, पाकिस्तान जिस भाषा में समझे उसी भाषा में समझाओ।

सिंधिया ने कहा कि जब प्रधानमंत्री गद्दी पर बैठ गए तब आप आतंकवादियों को मारने के अलावा आप तो पप्पी-झप्पी पर लग गए। कम से कम आपको यह तो समझ में आया कि कठोर कहना तो बहुत आसान है कठोर करना बहुत कठिन है।

उन्होंने कहा कि जब 2013 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के साथ सम्मानजनक चर्चा करने की कोशिश की तो आप लोगों ने कठोर विरोध किया था। तब सुषमा स्वराज ने कहा था कि प्रधानमंत्री जी लाशों के ऊपर बातचीत नहीं होनी चाहिए। कृपया आप नवाज शरीफ के साथ अपनी मीटिंग रद्द करें। सुषमा ने सदन में बैठकर कहा था कि जब तक पाकिस्तान अपने यहां के सारे आतंकी ठिकाने खत्म नहीं कर देता तब तक हम बात नहीं करेंगे। और आज जब प्रधानमंत्री बिना किसी एजेंडे के बिना पाकिस्तान जाते हैं तो तब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कहती हैं ‘वह राजनेता की तरह हैं। पड़ोसियों से ऐसे ही रिश्ते होने चाहिए। अगर ये यू-टर्न नहीं है तो क्या है?

ज्योतिरादित्य ने कहा कि पिछले दो साल में क्या स्थिति उत्पन्न हुई? क्या मुंबई हमले के मास्टरमाइंड को पकड़ा गया? दिसंबर 2014 को तो लखवी को पाकिस्तान में जमानत दे दी गई थी। क्या पाकिस्तान के नेताओं ने हुर्रियत के साथ बात करना बंद किया है? क्या आज आतंकवाद में कमी आई है?